भूकंप त्रासदी में इतनी मदद की, फिर भी भारत के खिलाफ जहर उगलने से बाज नहीं आया तुर्किये


नई दिल्ली: एक साधु स्नान करने नदी गए। किनारे से उन्होंने देखा कि एक बिच्छू पानी में डूब रहा है। उन्होंने इधर-उधर देखा कि कहीं कुछ मिल जाए तो बिच्छू को सहारा देकर निकाल लिया जाए। नजर दौड़ाने पर कुछ नहीं मिला तो तुरंत हाथ आगे कर दिया। बिच्छू साधु के हाथ पर चढ़ गया और डंक मार दिया। डंक से हाथ कांप गया और बिच्छू फिर से पानी में गिर गया। साधु भी बार-बार हाथ देते और बिच्छू डंक मार देता। ऐसे में बिच्छू नदी से निकल नहीं पा रहा था। नदी की धारा में बहते बिच्छू के साथ चलते-चलते साधु कई बार डंक सहकर दर्द से कराहने लगे। फिर भी उन्होंने बिच्छू को बचाने की कोशिश नहीं छोड़ी। तब तक वहां एक व्यक्ति पहुंच गया। सारा माजरा समझकर साधु से पूछा कि अगर बिच्छू डंक मार रहा है तो उसे बचाने की जिद्द कैसी? साधु ने जवाब दिया- अगर बिच्छू अपना कर्म नहीं छोड़ सकता है तो मैं अपने कर्तव्य से कैसे मुंह मोड़ लूं? तुर्किये बता रहा है कि वह वही बिच्छू है। भारत भले ही साधु की तरह मदद का हाथ बढ़ाता रहे, वह डंक मारना नहीं छोड़ेगा।

दरअसल, तुर्किये पर उम्मा के नशें का हैंगओवर उतर ही नहीं रहा है। उसने फिर से इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी (OIC) के साथ मिलकर पाकिस्तान का पक्ष लिया है। पाकिस्तान से कोई गलबहियां करे, इससे भारत को भला क्या ऐतराज हो सकता है। लेकिन जब भारत विरोधी प्रॉपगैंडे पर पाकिस्तान का साथ दिया जाएगा तब तो सवाल उठेंगे। सवाल यह कि क्या मानवता और नैतिकता का कोई महत्व नहीं, उम्मा के लिए सारे धतकर्म करेगा तुर्किये? उसे पता है कि जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान का दावा बिल्कुल फर्जी है, फिर भी वह संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंच पर भारत के खिलाफ प्रॉपगैंडे में शामिल होने से बाज नहीं आ रहा है। हैरत की बात यह है कि भारत ने भूकंप से मची तबाही से उबरने में तुर्किये की भरपूर मदद की, उसके बाद भी तुर्किये का भारत विरोधी सुर नहीं थमा। उसने यूएन के मंच पर पाकिस्तान और ओआईसी के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि भारत जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार का उल्लंघन कर रहा है। पाकिस्तान और ओआईसी तो भारत के खिलाफ प्रॉपगैंडा करेंगे, इसकी तो आशंका रहती ही है, लेकिन भारत की मदद पाकर भी तुर्किये जहर उलगे, यह तो हैरतअंगेज है।

भारत ने कहा- तुर्किये का रवैया दुखद

बहरहाल, भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में उठाए गए जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर करारा जवाब दिया है। यूएनएचआरसी में भारत की प्रतिनिधि सीमा पुंजानी (Seema Punjani) ने कहा, ‘आम अवाम की जिंदगी, उसकी आजीविका और आजादी के लिए जूझते पाकिस्तान का भारत के पीछे जुटे रहने से उसकी गलत प्राथमिकताओं का इजहार होता है। मैं पाकिस्तान की लीडरशिप और उनके अधिकारियों से कहूंगी कि वो आधारहीन प्रॉपगैंडे की जगह अपनी आम अवाम के हितों पर अपनी ऊर्जा खर्च करे।’ पुंजानी ने तुर्किये के रुख पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘हमें भारत के आंतरिक मामले पर तुर्किये के बयान से दुख हुआ है। मेरी सलाह है कि हमारे आंतरिक मामलों पर गैरवाजिब टिप्पणियां करने से बाज आएं।’ उन्होंने कहा कि जहां तक बात ओआईसी के बयान की है तो हम जम्मू-कश्मीर पर उसकी वाहियात बातों को खारिज करते हैं।

जनता भूखों मर रही, लेकिन प्रॉपगैंडे से बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान

पुंजानी ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) पर भारत का हक जाताया और कहा, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। पाकिस्तान ने भारत के इलाके पर अवैध कब्जा कर रखा है।’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने आतंकी कारखाने से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए भारत के खिलाफ उलूल-जुलूल बातें करता रहता है। पुंजानी ने कहा, ‘ओआईसी को चाहिए था कि वह पाकिस्तान को राज्य प्रायोजित आतंकवाद से मुंह मोड़े और भारत की जमीन पर अनाधिकारिक कब्जा छोड़े, उसने अपने मंच का इस्तेमाल भारत के खिलाफ प्रॉपगैंडा चलाने के लिए कर रहा है।’ ध्यान रहे कि पाकिस्तान की विदेश मंत्री हीना रब्बानी खार ने गुरुवार को भारत का नाम लिए बिना कहा था कि पड़ोसी देश का सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है।

इतना जल्दी भारत की दरियादिली भूल गया तुर्किये!

तुर्किये में पिछले महीने भयंकर भूकंप आया जिसमें जान-माल का भारी नुकसान हुआ। भारत ने बिना यह सोचे कि तुर्किये लगातार जम्मू-कश्मीर के बहाने हमारे खिलाफ लगातार जहर उगलता रहता है, तुरंत मदद की हाथ बढ़ाई। भारत ने मानवता को सर्वोपरि समझते हुए सेना और एनडीआरएफ की टीम के साथ-साथ दवाइयां एवं अन्य राहत सामग्री के कई खेप भेजे। तुर्किये की जनता भी भारतीय दल की सेवा और लगन देखकर भावुक हो गई। लेकिन वहां की रेसिप तैयब एर्दोगन (Recep Tayyip Erdoğan) सरकार पर भारत की इस दरियादिली का कोई असर दिखता नहीं जान पड़ता है। वो कहते हैं ना, कुत्ते की दुम को जितना भी सीधा कर लो, रहता टेढ़ा ही है।


Jagruk Janta

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