भारतीय समाज संस्कृति और उत्तम संस्कारों का वाहक है जो पूर्व में भी दुनिया को जीने का मार्ग दिखाता रहा है और वर्तमान में भी ऐसा ही कुछ दिखाई देने लगा है। मगर समय की राह में यदा-कदा कुछ ऐसा वातावरण बनता है, जिससे प्राप्त […]
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सरकार जनता से शुल्क के रूप में पैसा वसूलती है और उस पैसे से सरकारी खर्चे और देश के विकास कार्य किए जाते हैं। ऐसे शुल्कों में बहुतेरे शुल्क हैं। जिन्हें वसूलने के लिए सरकार और सरकार की अधीनस्थ संस्थाएं शामिल हैं। यूं मान लो […]
शिव दयाल मिश्राभारतीय संस्कृति में 16 संस्कारों में से एक संस्कार विवाह संस्कार भी है जो हमारे समाज और परिवार को बांधकर रखता है। अगर विवाह नहीं होंगे तो न परिवार होगा और न ही समाज। आज समाज और परिवार दोनों ही दांव पर लगे […]
डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है और इन्हें धरती का भगवान कहने में कोई अतिशयोक्ति भी नहीं है। जिस प्रकार भगवान दुनिया में दुष्टों का संहार करके धर्म को स्थापित करते हैं ठीक उसी प्रकार डॉक्टर भी बीमारी रूपी राक्षस को नष्ट करके […]
शिव दयाल मिश्राइन दिनों रामचरित मानस की चौपाई पर देशभर में विवाद छिड़ा हुआ है। इससे संत समाज और भगवान श्रीराम के भक्त पहले से ही आहत हैं। ऐसे में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान कि जातियां भगवान ने नहीं, […]
शिव दयाल मिश्रासरकारी महकमों में छोटी से लेकर बड़ी नौकरी के लिए शैक्षणिक मानदंड होते हैं और उनको पार करने के बाद ही उसमें नियुक्ति संभव है। आजकल तो इतनी ज्यादा प्रतिस्पर्धा हो गई है कि चपरासी के लिए 10 पदों पर नियुक्ति करनी होती […]
न्यायपालिका देश की सर्वोच्च संस्था है। हम सब इस संस्था का सम्मान करते हैं। हमारे देश में बहुत कुछ अच्छा है तो बहुत कुछ अच्छा नहीं है। पीडि़त को न्याय समय पर नहीं मिलना भी मन को पीड़ा पहुंचाता रहता है। बार-बार कोर्ट के चक्कर […]
जिस दिन मनुष्य पृथ्वी पर जन्म लेता है उसी दिन से उसके लिए गीत, बधाईयां, निछावरी, ईनाम, बख्शीश आदि देना प्रारंभ हो जाता है। और ये सिलसिला उसकी मृत्यु पर्यन्त चलता ही रहता है। हां उसके स्वरूप अलग-अलग हो जाते हैं। कहीं उत्सव तो कहीं […]
शिव दयाल मिश्राकोरोना काल में रेलवे सेवाओं को बिल्कुल बंद कर दिया गया था। उसके बाद जैसे-जैसे स्थिति सामान्य होने लगी वैसे-वैसे रेलवे ने भी अपनी गाडिय़ों का संचालन पुन: शुरू कर दिया। जैसे-जैसे रेलगाडिय़ों का संचालन शुरू करने की खबरें आती रही हैं, वैसे-वैसे […]
शिव दयाल मिश्राएक तरफ हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी है तो दूसरी तरफ देश में अंग्रेजी का बोलबाला बढ़ता ही जा रहा है। बढ़े भी क्यों नहीं, क्योंकि अंग्रेजी में दो लोग आपस में बात कर रहे होते हैं तो पास खड़ा व्यक्ति जो कि अंग्रेजी […]
शिव दयाल मिश्रादया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान।तुलसी दया न छोडिय़े, जब लग घट में प्राण।।हमारी भारतीय संस्कृति दया, धर्म और कर्म पर आधारित है। यहां जलचर, थलचर और नभचर। तीनों ही तरह के जीवों को प्रकृति से जोड़कर उनकी किसी ना किसी […]
शिव दयाल मिश्राभारतीय संस्कृति में विवाह को सात जन्मों का बंधन माना गया है। कई लोग मनु का विरोध करते हैं, मगर मनु ने ही हमें सभ्यता के साथ जीने का मार्ग बताया है। अगर मनु का विरोध किया जाता है तो फिर हम मनुष्य […]