कभी शहजादा, तो कभी नामदार, कभी राजकुमार, राहुल गांधी पर हमले को लेकर किस रणनीति पर चलते हैं पीएम मोदी?


लोकसभा चुनाव को लेकर चुनाव प्रचार जोरशोर से चल रहा है। बीजेपी से लेकर कांग्रेस के बड़े नेता ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं। एक बार फिर से विरोधियों पर हमला करने के लिए राजनेता अपने तरकश से शब्दों के तीर छोड़ रहे हैं। पीएम मोदी एक बार फिर से राहुल गांधी पर हमले कर रहे हैं।

नई दिल्ली: ‘कांग्रेस के शाही परिवार के शहजादे ने ऐलान किया है कि अगर देश ने तीसरी बार भाजपा सरकार को चुना तो आग लग जाएगी।’ ये पीएम मोदी के भाषण की एक लाइन है। लाइन में शाही परिवार और शहजादे का इस्तेमाल विपक्षी दल कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी के लिए किया गया है। लोकसभा चुनाव के पहले दौर के मतदान की तारीफ करीब आ चुकी है। इस बीच पीएम मोदी बीजेपी की तरफ से ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं। इस बार भी पीएम के निशाने पर कांग्रेस और राहुल गांधी है। हर बार की तरह से पीएम की रणनीति वहीं है जो पिछले दो लोकसभा चुनावों के दौरान रही थी। इस रणनीति की खास बात है कि पीएम मोदी प्रत्यक्ष रूप से अपनी रैली में राहुल गांधी का नाम नहीं लेते हैं। कभी शहजादा तो कभी नामदार तो कभी राजकुमार…राहुल गांधी के लिए पीएम मोदी प्रतीकात्मक शब्दों का अधिक प्रयोग करते हैं। पीएम मोदी अपने विरोधियों पर हमले के लिए भाषा कौशल के साथ ही व्यंग्य का मिश्रण करते नजर आते हैं। पीएम मोदी विपक्ष के शब्दों वाले हथियार से उनपर ही रचनात्मक तरीके से वार करते हैं।

एक तीर से दो निशाने!
राजनीति में परसेप्शन या धारणा की भूमिका खास होती है। पीएम मोदी परसेप्शन गढ़ने में माहिर माने जाते हैं। माना जाता है कि चुनाव में तथ्यों से अधिक परसेप्शन प्रभावी होता है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने शुरुआती दिनों में, नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी को ‘शहजादा’ कहा था। 2014 के चुनाव प्रचार में पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर ‘शहजादा’ शब्द के जरिये ही वार किया था। शहजादा, हिंदी में राजकुमार के लिए उर्दू शब्द है। इसे डॉग व्हिसिल कहा गया। अंग्रेजी के इस शब्द का अर्थ है एक ऐसी भाषा जिसका प्रयोग राजनीति में, विरोध को भड़काए बिना किसी विशेष समूह से समर्थन हासिल करने के लिए होता है। शहजादा कहते ही पीएम मोदी बेहद बारीकी से राहुल गांधी की तुलना मुसलमानों से कर रहे थे। यह अब तक का सबसे अप्रिय उदाहरण था जब मोदी ने राहुल गांधी को संदर्भित करने के लिए वैकल्पिक तरीके खोजे थे। 2019 में पीएम मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से हमला करने के लिए डिस्लेक्सिक शब्द का प्रयोग भी किया था। पीएम मोदी ने आईआईटी खड़गपुर के एक कार्यक्रम में कहा था कि क्या डिस्लेक्सिक छात्रों की मदद के लिए एक आविष्कार भी किया जा सकता है जो 40 से 50 साल के बच्चे की मदद कर सके। मोदी के बयान के संदर्भ को आसानी से समझा जा सकता था। यह कहने की जरूरत नहीं थी कि वह किसकी बात कर रहे थे। ये सब लोगों को पता था। पीएम मोदी के इस बयान की विपक्षी दलों की आलोचना के साथ ही अधिक उम्र वाले दिव्यांग लोगों की तरफ से दुख व्यक्त किया गया था।

‘मैं बहुत सामान्य परिवार से आया हूं। चाय बेचने वाला परिवार, जिसका बैकग्राउंड, एक कामदार व्यक्ति। साहब ये बड़े बड़े नामदार हैं, हम उनका नाम लेने की हिम्मत ही नहीं कर सकते जी। हम तो छोटे लोग हैं जी।
पीएम मोदी, एक इंटरव्यू में

शहजादा के बाद 2019 में नामदार
नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में जहां सबसे पहले राहुल गांधी के लिए शहजादा शब्द का प्रयोग किया था। वहीं, 2019 में उन्होंने नामदार के रूप में पेश किया था। जनता के बीच नामदार कहने के साथ ही पीएम मोदी खुद को ‘कामदार’ के रूप में पेश कर रहे थे। दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल को दिया गया ये नाम नेहरू-गांधी के दौर को भी व्यक्त कर रहा था। राजनीति में गांधी परिवार का दबदबा रहा है। इसलिए पीएम मोदी ने नामदार के जरिये उस विरासत पर भी तंज किया था। पीएम मोदी ने इसके साथ ही कांग्रेस के ‘दरबारी कल्चर’ पर भी वार किया था। राहुल गांधी के लिए पप्पू शब्द का भी प्रयोग किया गया। इसको लेकर बीजेपी की तरफ से कई मीम्स भी बनाए गए। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार नरेंद्र मोदी गांधी परिवार को पसंद नहीं करते। यही वजह है कि पीएम मोदी राहुल गांधी के लिए इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। इसके जरिये मोदी विपक्ष की वही छवि जनता के सामने रखना चाहते हैं, जो उनकी नजर में है।

यह ‘ओल्ड स्कूल पॉलिटिक्स’ का नियम है। राहुल पर वार करने के लिए मोदी चुन-चुन कर शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। राहुल गांधी को लेकर बीजेपी ने कई मीम्स भी बनाए हैं।
नीरजा चौधरी, राजनीतिक विश्लेषक

दो लड़कों की फ्लॉप फिल्म
पीएम मोदी पिछले हफ्ते चुनाव प्रचार के लिए यूपी में पहुंचे थे। इस दौरान पीएम मोदी ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव का नाम लिए बिना निशाना साधा। पीएम मोदी ने कहा कि आपको याद होगा, यहां उत्तर प्रदेश में दो लड़कों की जो फिल्म पिछली बार फ्लॉप हो चुकी है, उन दोनों लड़कों की फिल्म को इन लोगों ने फिर से रिलीज किया है। मुझे समझ नहीं आता कि काठ की इस हांडी को ये इंडी गठबंधन वाले कितनी बार चढ़ाएंगे।

रैली में औसतन 10 बार अपना नाम
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी ने अपनी पांच रैलियों में से प्रत्येक में औसतन 10 बार अपना नाम लिया। इसके पीछे वजह थी कि उन्होंने अपने गृह राज्य के लोगों के साथ अपने जुड़ाव को मजबूत करने का पूरा प्रयास किया। पीएम मोदी ने रिकॉर्ड 13 वर्षों तक गुजरात का नेतृत्व कर चुके हैं। हालांकि, उस दौरान पीएम मोदी ने एक बार भी अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी का नाम नहीं लिया। उन्होंने केवल एक बार गांधी के उपनाम ‘रागा’ का परोक्ष संदर्भ देते हुए कांग्रेस सदस्यों का ‘राग-दरबारी’ कहकर मजाक उड़ाया था। हालांकि, मोदी ने अपनी हर रैली में हमले के दौरान औसतन 13 बार ‘कांग्रेस’ का जिक्र किया था।


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