SMS Hospital Fire Tragedy: ट्रॉमा सेंटर में आग का कौन जिम्मेदार? सुलग रहे हैं ये 10 बड़े सवाल

SMS Hospital Fire Tragedy: राजधानी जयपुर के SMS अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू में रविवार भीषण आग लगने से 8 मरीजों की मौत हो गई, जिनमें 3 महिलाएं शामिल हैं।

SMS Hospital Fire Tragedy: राजधानी जयपुर के SMS अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू में रविवार भीषण आग लगने से 8 मरीजों की मौत हो गई, जिनमें 3 महिलाएं शामिल हैं। वहीं, कई अभी गंभीर हैं। आग आईसीयू के स्टोर में लगी, जहां पेपर, चिकित्सा उपकरण और ब्लड सैंपल ट्यूब रखे थे। प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को आग का कारण माना जा रहा है। हादसे में 5 अन्य मरीज गंभीर रूप से झुलस गए और मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।

मृतकों में सीकर के पिंटू, आंधी के दिलीप, भरतपुर के श्रीनाथ, रुक्मणि, खुश्मा, सर्वेश, दिगंबर वर्मा और सांगानेर के बहादुर शामिल हैं। हादसे के समय आईसीयू में 11 और पास के वार्ड में 13 मरीज थे। सरकार ने 6 सदस्यीय जांच समिति गठित की है और एफएसएल टीम ने मौके से सबूत जुटाए हैं। घटना के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा, गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम, विधायक बालमुकुंदाचार्य सहित कई नेता एसएमएस अस्पताल मरीजों से मिलने पहुंचे हैं। कांग्रेस ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मृतकों के लिए उचित मुआवजे की मांग की।

बताते चलें कि यह अग्निकांड स्टाफ की लापरवाही और सुरक्षा उपायों की कमी की और इशारा करता है। क्या सरकार और चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर इन सवालों का जवाब देंगे?

अग्निकांड के बाद सुलगे ये 10 सवाल-

  1. सुरक्षा मानकों की अनदेखी क्यों? एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा आईसीयू में आग बुझाने के लिए फायर एक्सटिंग्विशर, पानी की व्यवस्था या ऑक्सीजन सिलेंडर कंट्रोल सिस्टम क्यों नहीं थे, जबकि यह राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है?
  2. स्टाफ की लापरवाही पर कार्रवाई कब? मरीजों के परिजनों के आरोपों के अनुसार, डॉक्टर और स्टाफ ने आग लगते ही भागने का सहारा लिया, केवल 4-5 मरीजों को बचाया, इसकी जांच रिपोर्ट कब जारी होगी और दोषियों पर क्या सजा?
  3. शॉर्ट सर्किट की चेतावनी को क्यों नजरअंदाज किया गया? आईसीयू के स्टोर रूम में जरूरत से ज्यादा कागज, मेडिकल उपकरण और ब्लड बैग्स इकट्ठा करने की अनुमति क्यों दी गई, जब शॉर्ट सर्किट जैसी जोखिम साफ दिख रही थी, आग की पूर्व चेतावनियों पर सरकार ने क्या कार्रवाई की?
  4. आग बुझाने का इंतजाम कहां गायब? परिजनों ने बताया कि आग लगने पर कोई सुविधा नहीं मिली, फायरफाइटिंग सिस्टम की कमी क्यों बनी रही, जबकि ट्रोमा सेंटर में 24 घंटे क्रिटिकल मरीज भर्ती रहते हैं?
  5. मरीजों की जान जोखिम में क्यों? 11 मरीजों वाले न्यूरो आईसीयू में आग से धुंआ फैलने पर गेट बंद थे या खुले? क्योंकि आग के बाद मरीजों की जान घुटने से भी गई है, एवाक्यूएशन प्रोटोकॉल की ट्रेनिंग स्टाफ को लास्ट कब दी गई थी?
  6. 8 मौतों के बाद सरकार में जिम्मेदारी कौन लेगा? मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जांच के आदेश दिए, लेकिन चिकित्सा मंत्री ने इस घटना पर चुप्पी क्यों साध रखी है, क्या यह विभागीय लापरवाही को छिपाने की कोशिश है?
  7. आग की पिछली घटनाओं से सबक क्यों नहीं? राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में पहले भी आग लग चुकी है, फिर भी सुरक्षा ऑडिट क्यों नहीं कराया गया, चिकित्सा विभाग का बजट कहां खर्च हो रहा है?
  8. पीड़ित परिवारों को न्याय कब मिलेगा? मृतकों के परिजन सिट-इन प्रोटेस्ट कर रहे हैं, लेकिन मुआवजा और मेडिकल मदद की घोषणा अभी तक क्यों नहीं की गई? क्या सरकार मौतों को ‘दुर्भाग्य’ कहकर टाल देगी?
  9. जांच कमिटी में पारदर्शिता कहां? अग्निकांड पर कमिटी गठित की गई, लेकिन इसमें विपक्ष के नेताओं या विशेषज्ञों को शामिल क्यों नहीं किया गया? क्या यह रिपोर्ट को कमजोर करने का प्रयास है? क्या इस घटना की न्यायिक जांच नहीं होनी चाहिए?
  10. भविष्य में रोकथाम का वादा खोखला क्यों? पीएम मोदी ने शोक व्यक्त किया, लेकिन राज्य सरकार ने पूरे सिस्टम में फायर सेफ्टी सुधार का ठोस प्लान कब पेश करेगी? क्या चिकित्सा मंत्री इस विफलता की नैतिक जिम्मेदारी लेंगे?

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