Pindwada क्षेत्र कि पहाड़ियों का ऐतिहासिक अस्तित्व संकट में, ग्रामीणों का गुस्सा उबाल पर राष्ट्रपति के नाम सौपा कलेक्टर को ज्ञापन

  • पिण्डवाड़ा क्षेत्र में प्रस्तावित खनन परियोजना को एक स्वर में निरस्त करने कि उठाई मांग
  • सैकड़ों ग्रामीण जिला मुख्यालय पहुंचे, राष्ट्रपति–प्रधानमंत्री तक पहुंचाई गुहार

सिरोही। सिरोही जिले की पिण्डवाड़ा तहसील में प्रस्तावित चुना पत्थर खनन परियोजना का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। मंगलवार को क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों ने सिरोही जिला मुख्यालय पहुंचकर जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों ने साफ चेतावनी दी कि “किसी भी हाल में पिण्डवाड़ा की ऐतिहासिक पहाड़ियों को खनन की भेंट नहीं चढ़ने देंगे।”
ग्रामीणों का कहना है कि इस परियोजना से क्षेत्र की पर्यावरणीय और सामाजिक, आर्थिक और भौतिक संरचना को गंभीर खतरा है। पहाड़ खत्म हो जाएंगे, खेती-बाड़ी चौपट हो जाएगी और आदिवासी समाज उजड़ जाएगा।

आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा

पिण्डवाड़ा की अरावली श्रृंखला और आसपास के पहाड़ आदिवासी बहुल गांवों में खनन परियोजना को लेकर लगातार विरोध जारी है। मंगलवार को क्षेत्र से सैकड़ों ग्रामीण सिरोही पहुंचे। कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते समय ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की और परियोजना को तुरंत निरस्त करने की मांग की। वाटेरा सरपंच सविता देवी ने कहा – “जनता एकजुट है, इस परियोजना को हर हाल में रद्द करवाया जाएगा। सरकार को क्षेत्र के भविष्य से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं देंगे।”

पूर्व में हुई जनसुनवाई बनी विरोध का मंच

गत इसी महीने में 19 सितम्बर को भीमाना पंचायत भवन में आयोजित पर्यावरणीय जनसुनवाई ग्रामीणों के तीखे विरोध का केंद्र बन गई थी। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि जनसुनवाई की सूचना छिपाई गई और छोटे कक्ष में आयोजन किया गया। भारी विरोध के बाद प्रशासन को बैठक बाहर टेबल-कुर्सियों पर करनी पड़ी।
ग्रामीणों ने उस दौरान 100 से अधिक लिखित आपत्तियाँ दर्ज कराते हुए परियोजना को जनविरोधी बताया था।

ग्रामीणों की मुख्य मांगें नहीं मानी तों होगा उग्र आंदोलन

पिण्डवाड़ा क्षेत्र में सभी खनन स्वीकृतियाँ रद्द की जाएं।
अरावली पर्वतमाला को “खनन-मुक्त क्षेत्र” घोषित किया जाए।
पेसा Act, फारेस्ट राइट्स एक्ट और EIA Notification 2006 का सख्ती से पालन हो।
नियम विरुद्ध जनसुनवाई कराने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

खनन परियोजना से भविष्य में संभावित खतरे

ग्रामीणों ने आशंका जताई कि खनन शुरू होने पर:
खेत–खलिहान और जंगल नष्ट होंगे।
धूल प्रदूषण से दमा, कैंसर और श्वसन रोग बढ़ेंगे।
भूजल स्तर नीचे जाएगा।
तेंदुआ, सियार, खरगोश और पक्षियों का प्राकृतिक आवास खत्म होगा।
आदिवासी समाज की कृषि और पशुपालन आधारित आजीविका पूरी तरह प्रभावित होगी।

सिरोही प्रशासन से गंभीर सवाल.?

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नेताओं के दबाव में कार्य हो रहे हैं और जनसुनवाई महज औपचारिकता भर थी। ग्रामीणों की लिखित आपत्तियों को गंभीरता से नहीं लिया गया।

ग्रामीणों का ऐलान जल्द होगा उग्र आंदोलन

ग्रामीण प्रतिनिधियों ने साफ कहा –
“किसी भी हालत में खनन नहीं होने देंगे। जरूरत पड़ी तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।” जिसमे हजारों कि संख्या में क्षेत्र वासी सड़को पर उतरेंगे और इस चुना पत्थर खनन परियोजना को किसी भी हाल में शुरू नहीं होने देंगे।

इनकी मौजूदगी रही

ज्ञापन सौंपने के दौरान वाटेरा सरपंच सविता देवी, समाज सेवी तुषार पुरोहित, पंचायत समिति सदस्य बलवंत चौधरी भारजा, भाजपा नेता रतन लाल गरासिया, कांग्रेस नेता राकेश देवासी, शिवसेना नेता भरत राजपुरोहित, राजू जणवा, राजू चौधरी, रमेश कुमार घांची, खेता राम गमेती, मेवा बाई, गजारामे घांची, पदमाराम घांची, राजू घांची, उड़ता सूरज संगठन से भरत चौधरी सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे।

Date:

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

गोल की बेटी प्रियंका ओझा बनीं RPSC चयनित सहायक आचार्य, जहाँ की पढ़ाई, उसी में मिली नियुक्ति

सिरोही। सिरोही के गोल गांव की होनहार बेटी प्रियंका...

Jagruk Janta Hindi News Paper 24 September 2025

Jagruk Janta 24 September 2025Download

#Pindwada ब्लॉक में अवैध क्लीनिकों पर स्वास्थ्य विभाग की बड़ी कार्रवाई

अजारी और उदयपुर रोड पर झोलाछाप डॉक्टर पकड़े गए,...