सरकार के पहले सत्र में सेंगोल को लेकर मच गया बवाल, BJP बोली- चाहे जो हो नहीं बदलेंगे फैसला

नई दिल्ली. संसद सत्र के दौरान सेंगोल को लेकर सपा सांसद ने आपत्ती जताई है। नई सरकार के गठन के बाद संसद का पहला सत्र चल रहा है। इस बीच समाजवादी पार्टी के सांसद आर.के. चौधरी के एक पत्र से विवाद पैदा हो गया है। उन्होंने लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला और प्रोटेम स्पीकर को चिट्ठी लिखकर संसद में लगे सेंगोल को हटाने की मांग की है। यूपी की महाराजगंज संसदीय सीट से सांसद आर.के. चौधरी ने सेंगोल को राजा महाराजाओं का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसकी जगह भारतीय संविधान की प्रति रखने की मांग की है।

सदन में सेंगोल को देखकर हैरान रह गया
सपा सांसद ने पत्र में लिखा, ”मैं सदन की कुर्सी की दाईं ओर सेंगोल को देखकर हैरान रह गया। महोदय, हमारा संविधान भारत के लोकतंत्र का एक पवित्र दस्तावेज है, जबकि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है। हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है, किसी राजा या राजघराने का महल नहीं है। मैं आग्रह करना चाहूंगा कि संसद भवन में सेंगोल हटाकर उसकी जगह भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति स्थापित की जाए।”

अखिलेश यादव ने चौधरी का किया समर्थन
वहीं इस मामले पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हमारे सांसद आर.के. चौधरी ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब शपथ लेने गए थे तो प्रणाम नहीं किया था। इसलिए चौधरी को यह भावना आई कि सेंगोल को संसद से हटाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को संसद में भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति लगाने में क्या दिक्कत है।

सपा का इतिहास सनातन का अपमान करने का रहा- BJP
सपा सांसद के इस मांग पर भारतीय जनता पार्टी के ने जोरदारा पलटवार किया। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि समाजवादी पार्टी का लंबा चरित्र और इतिहास रहा है। वो भारतीय सेना, भारत की संस्कृति और सनातन धर्म का लगातार अपमान करते आए हैं। रामचरित मानस को गाली देना, हिंदू धर्म को गाली देना और आज गाली देते हुए, सेंगोल जो भारतीय तमिल संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, उसको भी गालियां दी और अपमानित करने का काम किया है।

सपा परिवारवाद का प्रतीक
शहजाद पूनावाला ने कहा कि वो परिवारवाद का प्रतीक हैं, जो खुद परिवारवाद का सिंबल है, दूसरे को परिवारवाद का सिंबल बोलते हैं। क्या जवाहर लाल नेहरू ने परिवारवाद के सिंबल को स्वीकार किया था। क्योंकि सबसे पहले सेंगोल को ग्रहण करने का काम उन्होंने ही किया था। समाजवादी पार्टी ने आज तमिलनाडु का अपमान किया है, डीएमके इंडिया गठबंधन में सपा के साथ है, वो बताएं तमिल संस्कृति का अपमान क्या वो सहन करते हैं।

नई संसद के उद्घाटन के समय सेंगोल स्थापित किया गया था
गौरतलब है कि नई संसद भवन के उद्घाटन के समय सेंगोल को स्थापित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे तमिलनाडु मठ से स्वीकार कर लोकसभा स्पीकर के आसन के पास स्थापित किया था। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सेंगोल को अंग्रेजों से भारत को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर स्वीकार किया था।

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