नई दिल्ली। G20 के इन्विटेशन कार्ड में ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ लिखने के बाद अब PM के अफिशियल दौरे पर भी ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ लिखा गया है। मोदी बुधवार को 20वें आसियान-इंडिया सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया सम्मेलन (EAS) में भाग लेने के लिए इंडोनेशिया जाएंगे।
PM के इस दौरे के कार्यक्रम से जुड़ा एक कार्ड BJP प्रवक्ता संबित पात्रा ने सोशल मीडिया x (पहले टि्वटर) पर शेयर किया। जिसमें ‘प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत’ लिखा नजर आ रहा है।
वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, सरकार को ब्रिटिश शासन से कोई समस्या है तो उन्हें तुरंत राष्ट्रपति भवन छोड़ देना चाहिए। आजादी से पहले यह वायसराय हाउस था। नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक को त्याग दें। सब भारत बना दो। सब खाली करा दो और जरूरत पड़े तो उसे गोले से उड़ा दो।
INDIA vs BHARAT विवाद पर किसने-क्या कहा…
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लिखा, देखो मोदी सरकार कितनी कंफ्यूज है! इवेंट का नाम 20वां आसियान-इंडिया सम्मेलन है, जिसमें हिस्सा लेंगे भारत के प्रधानमंत्री। यह सब ड्रामा इसलिए हो रहा है क्योंकि विपक्ष एकजुट हो गया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, इंडिया, दैट इज भारत- ये संविधान में है। मैं हर किसी को इसे पढ़ने के लिए कहूंगा। जब आप भारत कहते हैं, तो आपको इसका अर्थ समझ आता है और मुझे लगता है कि यह हमारे संविधान में भी रिफ्लेक्ट होता है।
एक्टर जैकी श्रॉफ ने कहा, भारत को भारत कहा जा रहा है, इसमें बुरी बात नहीं है। नाम बदलने से हम नहीं बदल जाएंगे।
भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने कहा, हम हमेशा ‘भारत माता की जय’ कहते हैं। भारत तो हमेशा रहा है।
विपक्षी गठबंधन I.N.D.I. A. के नाम पर भाजपा हमलावर… जानें क्या है यह मामला
INDIA नाम को लेकर विवाद तब से शुरू हुआ जब विपक्ष की 28 पार्टियों ने मिलकर एक गठबंधन बनाया। गठबंधन की पहली बैठक बेंगलुरु में 18 जुलाई को हुई थी। इसमें अलायंस का नाम I.N.D.I.A. (इंडियन नेशनल डेवलमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) रखा गया था। इसके बाद भाजपा विपक्ष पर हमलवार हो गई। PM मोदी ने INDIA की जगह इसे घमंडिया गठबंधन का नाम दिया। वहीं विपक्ष ने पलटवार करते हुए कहा था कि, BJP को INDIA नाम लेने से इतनी दिक्कत क्यों है।
ऐसे बदला जा सकता है नाम
अनुच्छेद 1 इंडिया और भारत दोनों नामों को मान्यता देता है। नाम बदलने के लिए संसद में संशोधन बिल लाना होगा। अनुच्छेद 368 के तहत दो तिहाई सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी। यानी लोकसभा के 356, राज्यसभा के 157 सदस्यों का समर्थन चाहिए।
आजादी के बाद संविधान सभा में भारत के नामों पर हुई चर्चा
क्या इसे महज इत्तेफाक माना जाए? ठीक 74 साल पहले 18 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एचवी कामथ ने देश का नाम इंडिया से बदल कर भारत या भारतवर्ष करने का संशोधन प्रस्ताव पेश किया था। इस पर बहस हुई। हालांकि यह वोटिंग के बाद गिर गया था।
संविधान सभा की बहस के दौरान ‘संघ का नाम और राज्य क्षेत्र’ खंड चर्चा के लिए पेश हुआ। जैसे ही अनुच्छेद 1 पढ़ा गया- ‘India, that is Bharat, shall be a Union of States’। संविधान सभा में इसे लेकर मतभेद उभर आए। फॉरवर्ड ब्लॉक के सदस्य हरि विष्णु कामथ ने अंबेडकर कमेटी के उस मसौदे पर आपत्ति जताई जिसमें देश के दो नाम इंडिया और भारत थे।
इसके बाद उन्होंने संशोधन प्रस्ताव रखा जिसमें इंडिया की जगह भारत नाम सुझाया गया। एक अन्य सदस्य सेठ गोविंद दास ने कहा कि वेदों, महाभारत, कुछ पुराणों और चीनी यात्री ह्वेन-सांग के लेखों में भारत देश का मूल नाम था। इसलिए स्वतंत्रता के बाद संविधान में इंडिया को प्राथमिक नाम के रूप में नहीं रखा जाना चाहिए।
भारत और इंडिया नाम का ओरिजिन कहां से हुआ और कैसे ये चलन में आया?
भारत नाम : प्राचीनकाल से भारत के अलग-अलग नाम रहे हैं। जैसे जम्बूद्वीप, भारतखंड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया। हालांकि इनमें सबसे ज्यादा प्रचलित नाम भारत रहा है। पौराणिक मान्यताओं को आधार मानने पर भारत नाम के पीछे दुष्यंत के बेटे भरत का ही जिक्र आता है। ऋग्वेद की एक शाखा ऐतरेय ब्राह्मण में भी दुष्यंत के बेटे भरत के नाम पर ही भारत नामकरण का तर्क है।
इंडिया नाम : सिन्धु नदी को ग्रीक भाषा में इंडस नाम से जानते थे। इंडस शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है। यूनान के इतिहासकार हेरोटोस ने 440 ईसा पूर्व इंडिया शब्द का इस्तेमाल किया था। उन्होंने तुर्की और ईरान से इंडिया की तुलना करते हुए कहा था कि इंडिया स्वर्ग जैसा है। जहां की मिट्टी उपजाऊ है और जिस क्षेत्र में काफी ज्यादा आबादी रहती है। वर्ल्ड हिस्ट्री वेबसाइट के मुताबिक 300 ईसा पूर्व पहली बार यूनान के राजदूत मेगस्थनीज ने सिंधु नदी के पार के इलाके के लिए इंडिया शब्द का इस्तेमाल किया।