डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है और इन्हें धरती का भगवान कहने में कोई अतिशयोक्ति भी नहीं है। जिस प्रकार भगवान दुनिया में दुष्टों का संहार करके धर्म को स्थापित करते हैं ठीक उसी प्रकार डॉक्टर भी बीमारी रूपी राक्षस को नष्ट करके बीमार मनुष्य को स्वस्थ करते हैं। अब देखने की बात ये है कि जिस प्रकार भगवान कहने को तो सर्वशक्तिमान हैं, मगर भगवान ने जब-जब अवतार लिया है तब-तब जीवन उनका कष्टमय ही रहा है। अमूमन भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण की सबसे ज्यादा पूजा होती है और वे ही जनमानस में बसे हुए हैं। उनके अवतार (भगवान कभी जन्म नहीं लेते हैं) से लेकर स्वर्गारोहण (भगवान की कभी मृत्यु नहीं होती) तक जीवन कष्टमय ही रहा है। उसी प्रकार डॉक्टर जो हमें दिखाई देते हैं उनका अनदेखा जीवन भी है जो आम आदमी को दिखाई नहीं पड़ता। हमें उनके उस जीवन में झांक कर देखना चाहिए। जिस समय डॉक्टर कोरोना, स्वाइन फ्लू जैसे वायरल बुखार का इलाज करते हैं, उस समय वे खुद भी संक्रमित हो जाते हैं। उसके बाद डॉक्टर का परिवार भी संक्रमण का शिकार हो जाता है या होने का खतरा बना रहता है। पता होना चाहिए कि सर्जन उन मरीजों की भी सर्जरी करता है जो एड्स, एचसीवी जैसी जानलेवा संक्रामक बीमारियों से ग्रसित होते हैं और ये बीमारी सर्जरी के दौरान डॉक्टर एवं अन्य स्टाफ को भी हो सकती है। डायबिटीज फुट जैसे अत्यंत बदबू और कीड़े लगे घाव को बिना नाक-भौं सिकोड़े ठीक करता है। जबकि मरीज के घर वाले बदबू के कारण उन मरीजों को घर से बाहर रखते हैं। देखने में आता है कि प्रसूता कई बार डिलीवरी के दौरान डॉक्टर पर पॉटी, यूरिन कर देती है, बावजूद इसके डॉक्टर बिना किसी परेशानी के अपना काम करता रहता है। कई बार डॉक्टर के किसी परिजन की तबीयत खराब हो जाने पर भी पारिवारिक परिस्थितियों का सामना करते हुए भी मरीज को उनके हाल पर नहीं छोड़ता, बल्कि उनका उपचार करता है। देखा गया है कि कोई गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज अस्पताल में भर्ती होता है तो डॉक्टर उसकी देखभाल में रात भर जागता है और फिर प्रात: ही दूसरे मरीजों को देखने के लिए अपनी ड्यूटी पर तैनात रहता है। जब न्यूरोसर्जन और कार्डियक सर्जन 10-12 घंटे लगातार ऑपरेशन में होते हैं तो नींद तो दूर की बात वे अपना खाना-पीना भी भूल जाते हैं। कार्डियोलॉजिस्ट घंटों हानिकारक विकिरणों (रेडियेशन) का शिकार होते हैं जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो जाती है। ये भी पता चला है कि तनाव के कारण एक डॉक्टर आम आदमी की तुलना में 10 वर्ष कम जीता है। उपरोक्त बातों को अगर गौर से समझा जाए तो एक डॉक्टर मात्र पैसे के लिए ही ये सब कुछ नहीं करता है। पैसा तो कई लोग अन्य व्यवसायों में भी बहुत कमा लेते हैं। मगर ये धरती के भगवानों का सेवाभाव ही है। इसके बावजूद भी अगर अच्छा नहीं लगे तो छोड़ो धरती के भगवानों को और जाओ परमपिता परमात्मा की शरण में।
- शिव दयाल मिश्रा