शिव दयाल मिश्राइच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प के बूते प्रत्येक मनुष्य अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेता है। मनुष्य अकेला ही जब लक्ष्य प्राप्त कर सकता है तो फिर उसके साथ उसकी टीम हो और उसके फालोअर्स हो तो […]
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शिव दयाल मिश्रापता नहीं, कब से इस संसार में खरीदने और बेचने का प्रचलन चला आ रहा है। मगर खरीदने और बेचने की स्थिति-परिस्थिति अवश्य भिन्न-भिन्न होती रही है। खरीद-फरोख्त के प्रचलन से पूर्व दुनिया में मुद्रा अथवा दूसरी कोई […]
शिव दयाल मिश्राशर्म और गर्व शब्दों का अपने आप में बहुत मायने है। मगर समय के साथ-साथ इनके मायने भी बदल गए हैं। पहले कोई भी गलत काम करने पर आदमी को शर्म महसूस होती थी। और… गर्व… गर्व शब्द […]
शिव दयाल मिश्रारोना भी एक कला है। हालांकि बिना रोये भी बहुत कुछ मिलता है। मगर, कहते है कि बिना रोये तो मां भी अपने बच्चे को दूध नहीं पिलाती। ये कहावत उस अबोध बालक के लिए गढ़ी गई थी […]
शिव दयाल मिश्रासन् 2019 के दिसम्बर माह में विश्व में कोरोना ने दस्तक दी थी। इसी कारण कोविड-19 नाम प्रचलन में आया। को- कोरोना, वि- वायरस, ड (डी) दिसम्बर-19 यानि कोविड-19। दिसम्बर 19 से लगातार यह वायरस 20 में चला, […]
शिव दयाल मिश्रासभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। आज हम अपना गणतंत्र का 73वां उत्सव मना रहे हैं। हमारे पुरखों की संघर्ष-चेतना के कारण अंगे्रजों को भारत छोडऩा पड़ा था। हर तबके के भारतीय अपने-अपने तरीके से प्रतिरोध करते […]
शिव दयाल मिश्राएक कहावत है जिसे मौके-बे-मौके किसी को भी कहते सुना जा सकता है। रिश्वत भी गिरगिट की तरह रंग बदलती रहती है। समय और परिस्थिति के अनुसार रिश्वत भी रंग बदलती रहती है। रिश्वत को कभी सहायता के […]
शिव दयाल मिश्रापांच राज्यों के चुनावों की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। पांच राज्यों में दो महीनों तक सियासी घमासान चलने वाला है। घमासान से तात्पर्य है धुंआधार चुनावी प्रचार, जोड़-तोड़, दल-बदल, सेंधमारी आदि। इस चुनावी तौर-तरीकों को चुनाव […]
शिव दयाल मिश्राआज हमारे समाज का असली चेहरा देखने की कोशिश करोगे तो जिस काम के लिए समर्थवान की जै-जै कार होती है और वही काम अगर गरीब करता है तो उसे दुत्कार और अपमान की घूंट पीकर अपमानित होना […]
शिव दयाल मिश्रापिछले कोई पौने दो वर्षों से पूरा विश्व कोरोना की मार झेल रहा है। इस कोरोना की मार में कई लोग और देश बर्बाद हो चुके हैं। कितने ही परिवार उजड़ गए हैं। किसी का भाई, किसी का […]
शिव दयाल मिश्रामोबाइल ने आज माला को गायब कर दिया है। एक जमाना था तब भगवान में अटूट विश्वास रहता था। हर समय इंसान ईश्वर को याद रखता था। ईश्वर से डरता था कि कहीं कोई पाप न हो जाए। […]
शिव दयाल मिश्राकहते हैं कि बदलाव प्रकृति का नियम है। जो आज है वो कल नहीं और जो कल है वो परसों नहीं। मगर हमारी संस्कृति के बारे में कहा जाता है कि वह अक्षुण्ण है। भले ही उसका रूप […]