“उठी उठी गवर निंदाडो खोल टीकी दो भई टीकी दो” गूंज रहे पारंपरिक गीत

बीकानेर। उठी उठी गवर निंदाडो खोल टीकी दो भई टीकी दो’ और ‘ बाडी आळा बाड़ी खोल ‘ सरीखे पारम्परिक गणगौरी गीतों से घर-घर गूंज रहे है युवा समाज सेवी प्रहलाद जोशी ने बताया कि धुलंडी से शुरू हुए सोलह दिवसीय बाला गणगौर पूजन उत्सव में बालिकाएं व युवतियां अच्छे वर और अच्छे घर की कामना को लेकर मां पार्वती स्वरूप गणगौर का पूजन कर रही है घरों की छतों पर मिटटी के पालसिए में रखी होलिका दहन के राख से बनी पिंडोलियों का अबीर, गुलाल, इत्र, पुष्प से गणगौरी गीतों के गायन के बीच पूजन कर रही है। इस दौरान अबीर, गुलाल से विभिन्न प्रकार के चित्र भी बना रही है। गणगौर पूजन उत्सव के दौरान दांतणिया देने, घुड़ला घुमाने, गवर का बासा देने और गणगौर गोठों के आयोजन भी हो रहा है गंगाशहर के धीरज पंचारिया ने कहा कि पूजन उत्सव की पूर्णाहुति पर गवर को पूगाने की रस्म होगी इस दौरान शहर में कई स्थानों पर मेले भरेंगे। गणगौर प्रतिमाओं का पूजन भी होगा।

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