टूटी हुई हड्डी अब दवा खाने से ही ठीक हो जाएगी। महज 15 से 20 दिनों तक दवा खाने पर हड्डियां जुड़ जाएंगी। हड्डियों को जोड़ने वाली नई दवा सीडीआरआई ने खोज निकाली है। दरअसल, गुरुवार को सीएसआईआर-सीडीआरआई ने प्रभावी रैपिड फ्रैक्चर-हीलिंग दवा की तकनीक को अहमदाबाद स्थित ट्रोइका फार्मास्युटिकल को हस्तांतरित किया है।
लखनऊ। हाथ-पैर या शरीर के किसी भी अंग के की हड्डी में अगर फ्रैक्चर आ जाए, तो उसे ठीक करने के लिए महीनों प्लास्टर लगवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। टूटी हुई हड्डी अब दवा खाने से ही ठीक हो जाएगी। महज 15 से 20 दिनों तक दवा खाने पर हड्डियां जुड़ जाएंगी। हड्डियों को जोड़ने वाली नई दवा सीडीआरआई ने खोज निकाली है। दरअसल, गुरुवार को सीएसआईआर-सीडीआरआई ने प्रभावी रैपिड फ्रैक्चर-हीलिंग दवा की तकनीक को अहमदाबाद स्थित ट्रोइका फार्मास्युटिकल को हस्तांतरित किया है।
15 से 20 दिनों तक दवा का करना होगा सेवन
सीडीआरआई के निदेशक डॉ. डी श्रीनिवास रेड्डी ने कहा कि संस्थान और ट्रोइका फार्मास्युटिकल के बीच प्रभावी रैपिड फ्रैक्चर-हीलिंग दवा की तकनीक के आगे के विकास, निर्माण और व्यावसायीकरण लाइसेंस के लिए समझौता किया है। सीडीआरआई प्रवक्ता डॉ. संजीव यादव ने बताया कि फ्रैक्चर की दशा में मरीजों को दो से तीन माह तक प्लास्टर बांधने की जरूरत पड़ती है। लेकिन सीडीआरआई ने जो दवा खोजी है, उससे मरीजों को राहत मिलेगी। दवा का सेवन डॉक्टर की सलाह पर 15 से 20 दिन करना पड़ेगा। हालांकि, इस दौरान टूटी हड्डी आपस में जुड़ जाएगी। मरीज को प्लास्टर भी बंधवाना होगा। इससे हड्डियों के गलत जुड़ने के खतरे को भी टाला जा सकेगा।
जल्द उपलब्ध होगी दवा
डॉ. अतुल गोयल और डॉ. दिव्या सिंह ने कहा कि मौजूदा समय में हड्डी के फ्रैक्चर को जोड़ने के लिए मुंह से लेने वाली दवा (ओरल) उपलब्ध नहीं है। भारत ने प्रथम चरण में क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति भी हासिल कर ली है। ट्रोइका के कार्यकारी निदेशक डॉ. अशील पटेल ने इस बारे में कहा कि जल्द ही दवा मरीजों के लिए लाई जाएगी।