स्वर्णिम विजय मशालों का स्वागत किया
नई दिल्ली। PM मोदी गुरुवार को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पहुंचे। उन्होंने 1971 की जंग में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी और स्वर्णिम विजय मशालों के स्वागत और सम्मान समारोह में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री ने इस दौरान चार मशालों की ज्वाला को युद्ध स्मारक पर प्रज्वलित अमर जवान ज्योति के साथ समाहित किया। पिछले साल 16 दिसंबर को PM ने इन चार स्वर्णिम विजय मशालों को प्रज्वलित किया था।
PMO के मुताबिक, इन मशालों को देश के अलग-अलग हिस्सों में ले जाया गया। इनमें 1971 युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेता सैनिकों के गांव भी शामिल हैं। ये मशाल देश भर में सियाचिन से कन्याकुमारी, अंडमान निकोबार से लोंगेवाला, रण कच्छ और अगरतला तक ले जाए गए थे।
मुक्तियोद्धाओं और वीरांगनाओं को याद किया
PM मोदी ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा- मैं 50वें विजय दिवस पर मैं मुक्तिजोद्धाओं, वीरांगनाओं और भारतीय सशस्त्र बलों के वीरता और बलिदान को याद करता हूं। हमने साथ मिलकर दमनकारी ताकतों से लड़ाई लड़ी और उन्हें हराया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बांग्लादेश में विजय दिवस के राष्ट्रीय कार्यक्रम के मौके पर ढाका पहुंचे हैं। वह 3 दिन के बांग्लादेश दौरे पर हैं।
सैनिकों के साहस और बलिदान को याद करने का दिन
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि स्वर्णिम विजय दिवस के अवसर पर हम 1971 के युद्ध के दौरान अपने सशस्त्र बलों के साहस और बलिदान को याद करते हैं। 1971 का युद्ध भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। हमें अपने सशस्त्र बलों और उनकी उपलब्धियों पर गर्व है।
93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था
16 दिसंबर 1971 को भारत ने बांग्लादेश को आजादी दिलाई थी। पहले यह देश पाकिस्तान का हिस्सा था और इसे पूर्वी पाकिस्तान के नान से जाना जाता था। पाकिस्तानी सेना पर भारत की जीत और बांग्लादेश के गठन की वजह से हर साल 16 दिसंबर को भारत और बांग्लादेश में विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
इस युद्ध के अंत में 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था। पाकिस्तानी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल ए.ए.के. नियाजी ने भारत के पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण किया था। 16 दिसंबर की शाम जनरल नियाजी ने आत्मसमर्पण के दस्तावेज साइन किए थे।