बीते कई दिनों से जम्मू कश्मीर में हो रही टारगेट किलिंग पर अब सरकार एक्शन में आ गई है, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को दिल्ली बुलाया है, दो दिन पहले ही शाह ने एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की थी, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, गृह सचिव अजय भल्ला, खुफिया ब्यूरो के निदेशक अरविंद कुमार प्रमुख रूप से शामिल थे
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही टारगेट किलिंग ( Target Killing ) ने केंद्र सरकार की चिंता बढ़ा दी है। यही वजह है कि इसको लेकिन अब गृहमंत्रालय किसी भी तरह की ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है। ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ( Amit Shah ) और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ( Manoj Sinha ) शनिवार को इस मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक दोनों के बीच शनिवार को बैठक हो सकती है। इस बैठक में गृहमंत्री जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के साथ सुरक्षा परिदृश्य और घाटी में निर्दोष लोगों की हत्याओं से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करेंगे। पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही कश्मीरी पंडितों की हत्याओं के बीच जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा को शनिवार को दिल्ली बुलाया गया है।
हाल ही में श्रीनगर के एक सरकारी स्कूल में आतंकवादियों ने प्रिंसिपल और एक टीचर को मार गिराया था। ये कश्मीर घाटी में टारगेट किलिंग की सबसे ताजा घटना है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को दिल्ली तलब किया है। कश्मीर में महज तीन दिन में पांच लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इनमें अधिकांश कश्मीरी पंडित हैं। बता दें कि गृह मंत्री के गुजरात से राष्ट्रीय राजधानी लौटने के तुरंत बाद ये बैठक होगी। गृह मंत्री गुजरात कुछ आधिकारिक और पार्टी मामलों से जुड़े शुक्रवार को एक दिवसीय यात्रा पर गए थे।
अब्दुल्ला के घर पर हुई पीएजीडी की बैठक
इससे पहले शुक्रवार को जम्मू कश्मीर में गुपकार घोषणापत्र गठबंधन ( PAGD ) की एक बैठक फारुक अब्दुल्ला के आवास पर आयोजित की गई। इस मीटिंग में कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा की गई। बैठक में पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती, एम वाई तारिगामी और जस्टिस (रिटायर्ड) हसनैन मसूदी मौजूद रहे।
हालातों के लिए सरकारी नीतियां जिम्मेदार
बैठक में कश्मीर में मारे गए निर्दोष लोगों की घटना की निंदा की गई। बैठक में कहा गया कि आम लोगों की हत्या की घटनाओं ने डर का ऐसा माहौल पैदा कर दिया है जो 1990 के दशक की शुरुआत के बाद से कभी नहीं देखा गया था। पीएजीडी ने मौजूदा हालात के लिए सरकारी नीतियों की ‘विफलता’ को जिम्मेदार ठहराया।