शिव दयाल मिश्रा
आज आदमी अपने जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने में इतना व्यस्त हो गया है कि उसे अपनी सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों का ऐहसास ही नहीं रहता। और जब ऐहसास होता है तो उसके हाथ से बाजी निकल चुकी होती है। अपनी उम्र के चौथे पड़ाव में पहुंच जाने के बाद भी उसकी पारिवारिक जिम्मेदारियां पूरी नहीं हो पाती और वह अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की उधेड़बुन में ही लगा रहता है। यूं तो बहुत सारी जिम्मेदारियां परिवार के लिए होती है। मगर, बच्चों का विवाह सबसे बड़ी जिम्मेदारी मानी जाती है। आजकल केरियर बनाना बच्चों की पहली प्राथमिकता हो गई है। दूसरी तरफ लड़के-लड़कियों के मां-बाप कहते सुनाई पड़ते हैं कि अभी बच्चे पढ़ रहे हैं। कम्पीटिशन की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे करते-करते समय निकल जाता है। उम्र निकलने के बाद बच्चों की शादी करना बहुत परेशानी वाला काम हो जाता है। किसी को लड़का योग्य नहीं मिलता तो किसी को लड़की योग्य नहीं मिलती। यूं समाज में लड़के-लड़कियों की कोई कमी नहीं है। मगर कुछ महत्वाकांक्षाएं दिमाग में पनप जाती है और वे पूरी नहीं होती है तो न तो लड़की को लड़का और लड़के को लड़की पसंद आती है। पहले मां-बाप जो निर्णय कर लेते थे उसे लड़कियां सहजता से स्वीकार कर लिया करती थीं, मगर अब महत्वाकांक्षाएं पनप गई जिनके कारण लड़के के पास कम से कम दो सौ गज का प्लाट, सरकारी नौकरी, 10-20 लाख का बैंक बैलेंस, चार पहिया वाहन, दिखने में सुन्दर, लंबा पतला स्मार्ट लड़का, किसी तरह के नशे की लत भी नहीं हो, घर में नौकर-चाकर, जींस शर्ट, शरीर में चिपकते हुए कपड़े पहनने की आजादी, दहेज की कोई डिमांड नहीं, संयुक्त परिवार में नहीं रहना, घर से बाहर घुमाने ले जाना, लड़की गांव में नहीं रहेगी, मगर गांव में जमीन की इच्छा जरूर रहेगी। ऐसी-ऐसी बातें लड़की वाले लड़के के घर में होना मांगते हैं। स्वयं का स्तर भले ही कुछ भी हो। इसी प्रकार लड़के की भांति-भांति की मांग होती है। जो विवाह में बाधा बन गई है। कुछ समय बाद लड़का-लड़की स्वयं अपनी मर्जी से शादी कर लेते हैं या फिर अविवाहित रहने का ही फैसला कर लेते हैं। ऐसे में हमारे समाज का ताना-बाना बिगड़ता ही जा रहा है। कई मामलों में स्वजातीय लड़का-लड़की नहीं मिल पाते हैं तो फिर अन्तर्जातीय विवाह होते हैं उनको परिवार आसानी से स्वीकार नहीं कर पाता है। ऐसा होना अभिभावकों के दिमाग नहीं भरने वाला एक घाव बन जाता है। इसलिए समय पर वैवाहिक जिम्मेदारियों का निर्वहन होना चाहिए।
[email protected]
.
.
..