नई दिल्ली। आज साल का दूसरा और पहला पूर्ण चंद्रग्रहण है। साथ ही 6 साल में पहली बार सुपरमून और चंद्रग्रहण का संयोग बना है। यानी आसमान में चांद आम रातों के मुकाबले ज्यादा बड़ा और चमकीला दिखाई दिया। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील और रूस समेत कई देशों में शानदार नजारा देखने को मिला। आज चांद धरती के सबसे नजदीक है।
शाम को 7 बजकर 19 मिनट पर खत्म हुए इस चंद्र ग्रहण को भारत के कुछ हिस्सों में ही आंशिक तौर पर देखा गया। ज्यादातर देशों में चांद बड़े आकार के साथ लाल रंग में दिखाई दिया। इस कारण इसे ब्लडमून या सुपर फ्लावर ब्लडमून भी कहा गया।
सुपरमून और ब्लडमून होता क्या है?
पूर्णिमा पर चांद जब पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है तो हमें वह बड़ा और चमकीला नजर आता है। इसे ही सुपरमून कहते हैं। इस दौरान सामान्य चंद्रग्रहण के मुकाबले चांद 30% तक ज्यादा बड़ा और 14% तक ज्यादा चमकदार दिखाई देता है। यानी सुपरमून की 2 शर्तें हैं; पहली चांद पृथ्वी के सबसे नजदीक हो और दूसरी उस दिन पूर्णिमा भी हो।
वहीं, चंद्रग्रहण के दौरान सूरज और चांद के बीच पृथ्वी आ जाती है। तब सूर्य की रोशनी को चांद तक पहुंचने से पृथ्वी रोक देगी। सबसे अधिक वेवलेंग्थ वाला लाल रंग प्रभावी होगा। इससे चांद पर लाल रंग की चमक दिखेगी, जिसकी वजह से इसे ब्लड मून भी कहते हैं।