
सिर्फ 16 गांवों की आबादी ही आएगी डूब क्षेत्र में
जयपुर। पूर्वी राजस्थान के लिए महत्वपूर्ण संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना के अंतर्गत बनने वाले डूंगरी बांध को लेकर शुक्रवार को शासन सचिवालय में मंत्री समूह ने प्रेस वार्ता की। मीडिया से बातचीत में कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, जल संसाधन मंत्री श्री सुरेश सिंह रावत और गृह राज्यमंत्री श्री जवाहर सिंह बेढ़म ने कहा कि डूंगरी बांध का निर्माण संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना का महत्वपूर्ण अंग है। इस बांध के निर्माण से मुख्यतः सवाई माधोपुर और करौली की 1 लाख 25 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पानी और लोगों को भरपूर पेयजल मिलेगा।
डॉ. मीणा ने कहा कि यह बांध संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना के तहत बनाया जाना है। इससे मात्र 16 गांवों की आबादी ही डूब क्षेत्र से प्रभावित होगी जबकि कतिपय लोगों द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है कि 76 गांव प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार परियोजना से विस्थापित होने वाले परिवारों के पुनर्वास को लेकर गंभीर है। उन्हें नियमानुसार मुआवजा प्रदान कर अन्य सुविधाओं के साथ नजदीक ही बसाया जाएगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि यह परियोजना व्यापक प्रदेश हित में है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस सम्बंध में किसी भी पक्ष से संवाद के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि बांध निर्माण से क्षेत्र में भूमि सिंचित होने के साथ-साथ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। किसानों की आय बढ़ने से क्षेत्र में खुशहाली आएगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
जल संसाधन मंत्री श्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वी राजस्थान के 17 जिलों के लिए संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना का शुभारंभ किया था। मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार इसे जल्द से जल्द क्रियान्वित करने के लिए संकल्पित है। इसी दिशा में यह बांध महत्वपूर्ण कड़ी है। उन्होंने कहा कि बांध निर्माण से कालीसिंध, पार्वती और चम्बल से समुद्र में व्यर्थ बहकर जाने वाले पानी को रोका जा सकेगा।
गृह राज्य मंत्री श्री जवाहर सिंह बेढ़म ने कहा कि इस परियोजना की सफलता को रोकने के लिए कुछ लोगों द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है। उन्होंने लोगों से गुमराह न होने की अपील की और राज्य हित में बनाए जा रहे बांध के निर्माण में सहयोग प्रदान करने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि डूब क्षेत्र में आने वाले अधिकतर गांव वर्तमान में मोरेल एवं बनास नदी के बहाव से भी प्रभावित हो रहे हैं। यह बांध बनास और मोरेल के बहाव क्षेत्र में पानी भरने के हिसाब से बनाया जा रहा है इसलिए इनके बहाव क्षेत्र का ही ज्यादा उपयोग होगा। इससे वर्षा के दौरान आने वाली बाढ़ को रोकने में भी सफलता मिलेगी।


