अनन्त चतुर्दशी के साथ दशलक्षण पर्व का समापन
बहुत से मिले हुए पदार्थ में से किसी एक पदार्थ को जुदा करने वाले हेतु को लक्षण कहते हैं जो सबसे भिन्न हो जो सबसे अलग दिखे ऐसा जो हेतु है पहचान का वह लक्षण है अभी तक हम कितनी वस्तुओं को जानते हैं संसार में हम बहुत सी वस्तुओं को जानते हैं और संसार में ऐसी बहुत सी वस्तुएं हैं जिनको हम जानते ही नहीं है उनका नाम ही सुना है तो——-
वस्तुओं को जानने के भी कुछ लक्षण होते हैं,
जिंदगी जीने के भी कुछ लक्षण होते हैं होते हैं
हजारों धर्म दुनिया में बंधुओं आत्मा को जानने के भी दस लक्षण पर्व होते हैं ,
आत्मा को पाने के दस लक्षण पर होते हैं।।
हिन्दू संस्कृति अनुसार
भगवान श्री कृष्ण ने गीता के अंदर धर्म के 10 लक्षण कहे हैं—–
शमो दमस्तप: शौचं क्षान्तरार्जव मेव च।
ज्ञान विज्ञान मस्तिक्यं ब्रह्म कर्म स्वभावजन्य।।
धर्म वह है जो स्वभाव से अद्भुत हुआ हो जो सहज हो या कृत्रिम हो शाश्वत हो वह धर्म है। गीता में शम कषाय के उपशम को धर्म कहा है। यही बात यहां कहीं जा रही है कि चार कषायों के नाश करने से ही धर्म होता है ,दम इंद्रियों के दमन को धर्म कहा है इंद्रियों का दमन संयम उसको धर्म कहा और यही बात आगे चलकर सभी आचार्यों ने कहीं तप , तप भी धर्म है, और शौच यानि निर्लोंमता , शांति क्षमा भाव आर्जवता, सरलता , ज्ञान विवेक विज्ञान संचरित्र स्थित आत्मा के अस्तित्व को स्वीकार करने वाले अस्तित्व के पाप पुण्य और परमात्मा के अस्तित्व को स्वीकार करने वाले अस्तित्व तक ब्रह्म कर्म स्वभावजान और ब्रह्मचर्य स्वभाव से उत्पन्न होने वाले धर्म हैं। कृत्रिम धर्म तो नाश हो जाते हैं लेकिन जो स्वभाव से उत्पन्न होते हैं वह कभी नाश नहीं होते यह सभी हिंदू संस्कृति की बातें हैं।
बौद्ध संस्कृति अनुभव
इसी प्रकार बौद्ध संस्कृति में 10 धाम बताए हैं सबसे पहले है जीव दया करना करना चोरी का त्याग ब्रह्मचर्य का पालन सत्य चुगली ना करना गाली ना देना लोग ना करना ज्ञान और गुप्त भेद न बताना यह 10 धाम बौद्ध संस्कृति के अंदर बताए हैं अब हमें और यदि अन्य संस्कृति का अवलोकन करना हो तो बाइबल में भी कहीं पीछे नहीं रखा गया है।
ईसा मसीह के अनुसार
बाइबल के अंदर धर्म के 10 धाम बताए हैं चोरी का त्याग हत्या न करना झूठ का त्याग अपराधी को क्षमा प्रेम करना खासकर इस धर्म पर विशेष अमल इसी संस्कृत में होता है प्रेम ही ईश्वर है प्रेम करने की शिक्षा दी जाती है प्रेम और सेवा यह विशेष गुण इस संस्कृत में पाए जाते हैं ब्रह्मचर्य पवित्रता क्रोध न करना मां ना करना और दूसरों का धन ना हड़पने यह 10 धर्म ईसाई संस्कृत में बताए गए हैं।
मुस्लिम संस्कृति के अनुसार
यह बात अलग है कि कौन कितना किस धर्म का पालन करता है किसी व्यक्ति को कितनी जानकारी उसे धर्म के विषय में है यह बात अलग है लेकिन कुरान में 10 धर्म कहे हैं जिसमें रियाजत, रियाजत करने का तात्पर्य है नमस्कार करना और नमस्कार करना धर्म बताया है नमस्कार भी कहीं व्यक्ति कर सकता है तो व्यक्ति क्रोध से रहित हो मां से रहित हो दोनों बात आ गई रूपक कुछ भी हो सकते हैं शब्दों में अंतर भी हो सकते हैं लेकिन क्रिया वही होगी कार्य भी वही होगा जो धर्म रूप है खैरात का मतलब दान और दान वही व्यक्ति कर सकता है जो निला भी हो त्यागी हो वही व्यक्ति खैरात कर सकता है बात वहीं आ गई कहीं अलग नहीं छोड़ी न करना यह भी एक धर्म मुस्लिम धर्म के अंदर कुरान और बाइबल के अंदर यह भी बात कही है मात्र प्रेम माता से इसने करना सत्य एक धर्म है ब्रह्मचर्य की भी बात कुरान के अंदर कही गई है कि ब्रह्मचर्य पालन भी एक धर्म है मन ना करना भी धर्म है साहस रखना एक धर्म है परिग्रह का त्याग करना भी धर्म है कुरान पर विश्वास करना भी एक धर्म है यह 10 धर्म मुस्लिम संस्कृति में माने गए हैं
इस प्रकार से अगर देखा जाए तो सभी धर्म में एकरूपता पाई जाती है लेकिन उनके मानने का अलग-अलग क्रियाकलापों का अलग-अलग स्वरूप है विस्तृत ज्ञान के लिए यह जरूरी है कि हम एक दूसरे धर्म को समझें तभी हमें धर्म के 10 लक्षण की प्राप्ति होती है आत्मा अजर अमर है यह सभी धर्म में माना गया है।
जैनधर्म के दस लक्षण पर्व मे
दस दिवसीय दशलक्षण महापर्व 19 सितम्बर से प्रारम्भ हुए जिसमें क्रमश उत्तम क्षमा,मार्दव ,आर्जव सत्य शौच, संयम, तप,त्याग आकिंचन धर्म की विशेष आराधना जैन श्रावकों ने बड़े भक्ति भाव से की, जिसका समापन उत्तम बह्मचर्य धर्म के साथ गुरुवार,28 सितम्बर को होगा तो वही जैन श्रावक ओर श्राविकाओं द्वारा व्रत उपवास रखें जाएंगे।
शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के महामंत्री संजय जैन बड़जात्या ने अवगत कराया कि विगत दस दिनों से जैन मंदिरों में धर्म की महत्ती प्रभावना हुई तो वही जैन श्रावक श्राविकाओं ने मनोयोग से दस धर्मो की आराधना की। अंतिम दिवस जैन धर्म के बारहवें तीर्थंकर वासुपूज्य भगवान का निर्वाण कल्याणक पर मनाया जाएगा।
जैन देवालयों में सामूहिक अभिषेक विजयमती स्वाध्याय भवन में किये जायेंगे।
श्री आदिनाथ दिगंबर जैन अतीशय क्षेत्र भुसावर मैं चातुर्मास कर रहे श्री श्री 108 श्री मुनि युधिष्ठिर सागर महाराज के अनुसार बुधवार को आकिंचन धर्म की पूजा की गई तो परिग्रह को कम कर त्याग की ओर बढ़ने का संदेश दिया गया। आवश्यकता से अधिक संग्रह संसार मे उलझने का प्रमुख कारण है।
सामूहिक क्षमापना पर्व 1 अक्टूबर को
मन्दिर समितियों के अनुसार सामूहिक रूप से क्षमा पर्व का आयोजन 1 अक्टूबर को सांय मंदिर प्रांगण में आयोजित किया जाएगा।
-यतेन्द्र पाण्डेय्