बीकानेर। जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने कहा कि पशुओं में फैलने वाले लम्पी स्किन डिजीज के मद्देनजर पशुपालन विभाग पूर्ण मुस्तैदी से कार्य करे। प्रत्येक पशु चिकित्सा केन्द्र पर पर्याप्त दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए ग्रामीणों को इस रोग के लक्षण और बचाव के प्रति जागरुक किया जाए।
जिला कलक्टर ने सोमवार को जिले में लम्पी स्किन की स्थिति की समीक्षा की। इस दौरान पशुपालन, ग्रामीण विकास सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में इस रोग के फैलाव के मद्देनजर अतिरिक्त सतर्कता बरती जाए। पशुपालन विभाग द्वारा मोबाइल चिकित्सा टीमें बढ़ाएं। पशुपालकों को रोगग्रस्त पशुओं को आइसोलेट करने के लिए जागरुक किया जाए। पशुओं को रखे जाने वाले स्थान को साफ-सुथरा रखा जाए। उन्होंने जागरूकता के कार्य में राजीविका की सुरक्षा सखियों की भागीदारी के निर्देश भी दिए।
क्या है लंपी स्किन डिजीज
लंपी स्किन डिजीज मवेशियों में तेजी से फैलने वाला विषाणु जनित गांठदार त्वचा रोग है। यह अफ्रीका और पश्चिम एशिया के कुछ हिस्सों में होने वाला स्थानीय रोग है। वर्ष 1929 में पहली बार इस रोग के लक्षण देखे गए थे। भारत में इसका पहला मामला मई 2019 में उड़ीसा के मयूरभंज में दर्ज किया गया। सिर्फ 16 महीनों में 15 राज्यों में यह बीमारी फैल गई। यह रोग लंपी स्किन डिजीज वायरस के संक्रमण के कारण होता है। यह मच्छरों,मक्खियों और जूं के साथ पशुओं की लार तथा दूषित जल एवं भोजन के माध्यम से एक पशु से दूसरे पशुओं में फैलता है। इसके रोकथाम के लिए फॉर्म और परिसर में जैव सुरक्षा उपायों को अपनाया जाना चाहिए। नए जानवरों को अलग रखा जाना चाहिए और त्वचा की गांठों और घावों की जांच कराते रहना चाहिए। प्रभावित क्षेत्र में जानवरों की आवाजाही से बचना, प्रभावित जानवर को चारा, पानी और उपचार के साथ झुंड से अलग रखे जाना चाहिए। ऐसे जानवरों को चरने वाले क्षेत्र में नहीं जाने देना चाहिए। टीकाकरण ही लंपी स्किन डिसीस की रोकथाम और नियंत्रण का सबसे प्रभावी साधन है।