खर्राटे आदत नहीं, हो सकती है खतरनाक स्लीप एप्निया बीमारी

जयपुर @ jagruk janta। खर्राटे लेना एक बहुत ही आम समस्या है। हम सभी इसके प्रति लापरवाही दिखाते हैं और इसे गंभीरता से नहीं लेते, परंतु खर्राटे आना अच्छे स्वास्थ्य का सूचक नहीं है। लोगों में एक भ्रामक धारणा यह भी है कि खर्राटे गहरी नींद में होने के कारण आते हैं परंतु सच तो यह है कि ज्यादातर खर्राटे लेने वाले व्यक्तियों की नींद पूरी नहीं होती और वें स्लीप एप्निया नामक बीमारी से ग्रस्ति होते है।

नारायणा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, जयपुर की श्वांस रोग एवं स्लीप मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. शिवानी स्वामी ने बताया कि स्लीप एप्निया सांस में अवरोध (रूकावट) की बीमारी है। कई बार तो सांस इतनी अवरूद्ध हो जाती है कि व्यक्ति बैचेनी एवं घूटन के कारण उठ-बैठता है। स्लीप एप्निया अकसर सांस की नली में रूकवाट के कारण होती है, यह रूकावट मरीज के सोते समय सांस लेने में दिक्कत करती है। सोते समय जब सांस ठीक से नहीं आ रही होती है तो शरीर में ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है। जब शरीर में ऑक्सीजन क्रिटिकल लेवल से भी ज्यादा कम हो जाता है, तो यह शरीर के अन्य भाग जैसे की ब्रेन पर जोर डालता है।

स्लीप एप्निया के दुष्प्रभाव

स्लीप एप्निया के कारण अकसर लोगों का बीपी कंट्रोल नहीं होता, शुगर कंट्रोल नहीं होता, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, एरिद्मिया आदि की भी संभावना बढ़ जाती है। स्लीप एप्निया मरीज के “रिस्टोरेटिव स्लीप” को भी कम कर देती है यानि उस समय को कम कर देती है जिसमें मस्तिष्क खुद को ताजा करता है। ऐसे लोगों को रात में लगभग कोई आराम नहीं मिलता है और परिणामस्वरूप अगले दिन वें थका-थका महसूस करते है।

स्लीप एप्निया बीमारी के लक्षण

डॉ. शिवानी स्वामी के अनुसार रात में सोते समय सांस में अवरोध के कारण ऐसे मरीज खर्राटे काफी जोर-जोर से लेते है। कई बार रात में सोते-सोते खर्राटे कुछ देर के लिए रूक जाते है तो ये बैचेन होकर या तो करवट बदलते है, हाथ पैर हिलाते है और खर्राटे फिर शुरू हो जाते है या फिर ये नींद से जाग जाते है। स्लीप एप्निया के मरीज की नींद रात में कई बार टूटती है- उन्हे ऐसा लगता है कि गला सूख रहा है, पेशाब जाना है आदि। ऐेसे मरीज सुबह फ्रेश नहीं उठते, सिर भारी-भारी सा महसूस होता है और दिन में ये कहीं भी बैठे-बैठे झपकी लें लेते है।

महिलाओं में डिप्रेशन व हाईपो-थॉयरायड स्लिप एप्निया के लक्षण है, वहीं बच्चों में मुंह खोलकर सोना, खर्राटे लेना, एकाग्रता में कमी, स्कूल में खराब प्रदर्शन आदि इसके लक्षण है।

स्लीप एप्निया बीमारी किन लोगों में ज्यादा होती है

भारत में 19 से 25% लोग स्लिप एप्निया से ग्रस्ति है। मोटापे के परिणामस्वरूप सांस की नली में सिकुड़न के कारण यह बीमारी ज्यादातर मोटे लोगों में होती है किन्तु यह पतले लोगों में भी हो सकती है।

आपको या आपके साथी को विशेषज्ञ परामर्श करना चाहिए अगर निम्नलिखित लक्षण हैः

  • जोर-जोर से खर्राटे लेना और खर्राटों के बीच सांस लेना बंद हो जाना
  • खर्राटों के साथ कोई अन्य स्वास्थ्य समस्यां होना जैसे- बीपी, शुगर, थॉयरायड आदि
  • दिन के समय नींद की झपकी आना
  • अस्पष्ट कारणों से उच्च रक्तचाप
  • सुबह सिरदर्द रहना या सिर भारी महसूस होना

स्लीप एप्निया का उपचार

डॉक्टर पहले उचित परीक्षण द्वारा स्लीप एप्निया के कारण का निरधारण करते है यदि यह कारण नाक में मस्सा होना या नाक के परदे का तिरछा होना, टॅान्सिल, फूले हुए एडिनॉयड आदि है तो ऑपरेशन की सलाह दी जाती है। यदि व्यक्ति के मोटापे के कारण उसकी सांस की नली में सिकुड़न है तो उसे पैप थेरेपी लेने की सलाह दी जाती है। पैप थेरेपी सिर्फ सोते समय ही इस्तेमाल की जाती है और इससे मरीज के स्लीप एप्निया एवं अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में काफी सुधार आ जाता है।

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