चंडीगढ़। क्रिकेटर और पॉलिटिशियन रहे नवजोत सिद्धू अब क्लर्क बन गए हैं। पटियाला सेंट्रल जेल में उन्हें क्लेरिकल काम सौंपा गया है। सिद्धू की ड्यूटी जेल के दफ्तर के कामकाज में लगाई गई है। सिद्धू को 34 साल पुराने रोड रेज केस में 1 साल की बामशक्कत कैद हुई है। जेल के भीतर सिद्धू की सुरक्षा भी प्रबंधन के लिए चुनौती है। जिस वजह से उन्हें यह जिम्मा सौंपा गया है।
बैरक में ही काम करेंगे सिद्धू
सिद्धू की सुरक्षा को देखते हुए वह जेल दफ्तर का काम बैरक से ही करेंगे। सिद्धू को रोजाना जेल दफ्तर की फाइलें भिजवाई जाएंगी। उनकी ड्यूटी सुबह 9 से शाम 5 बजे तक होगी। इस दौरान वह कभी भी फाइलों का काम कर सकते हैं।
3 महीने नहीं मिलेगा वेतन
सिद्धू को अभी काम के बदले कोई वेतन नहीं मिलेगा। सिद्धू को क्लेरिकल का कोई एक्सपीरिएंस नहीं है। ऐसे में अभी वह अकुशल कर्मचारी हैं। 3 महीने बाद उन्हें अर्धकुशल होने पर 30 रुपए प्रतिदिन और फिर कुशल होने पर 90 रुपए दिए जाएंगे।
सुरक्षा के चलते फैक्ट्री में नहीं लगाया
सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने बामशक्कत कैद दी है। ऐसे में उनसे फैक्ट्री या बेकरी में काम लिया जा सकता था। हालांकि, सिद्धू की सुरक्षा भी चिंता का विषय है। फैक्ट्री और बेकरी में दूसरे कई हार्डकोर कैदी काम करते हैं। ऐसे में सिद्धू को उनसे दूर रखते हुए दफ्तर में लगाया गया।
जेल सुपरिटेंडेंट बोले- सिद्धू पढ़े-लिखे, पूरा सहयोग भी कर रहे
पटियाला सेंट्रल जेल के सुपरिटेंडेंट मनजीत सिंह टिवाणा ने कहा कि सिद्धू पढ़े-लिखे हैं, इसलिए उन्हें दफ्तर का क्लेरिकल कामकाज सौंपा गया है। उनकी सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि सिद्धू जेल में पूरा सहयोग कर रहे हैं।