नई दिल्ली । भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने मंगलवार को सियाचिन और पूर्वी लद्दाख का दौरा किया और इन इलाकों में सुरक्षा स्थितियों का जायजा लिया। उनके साथ उत्तरी कमान के सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाई. के. जोशी और फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के कमांडिंग जनरल अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल पी. जी. के. मेनन भी मौजूद थे। जनरल नरवणे ने इन क्षेत्रों में तैनात सेना के जवानों से मुलाकात की और कठिन परिस्थितियों तथा कठोर मौसम के दौरान ऊंचाई वाले इलाकों में सीमाओं की रक्षा में मुस्तैद रहने पर उनका हौसला बढ़ाया और उनकी ²ढ़ता एवं उच्च मनोबल के लिए सराहना की। फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के कमांडिंग जनरल अधिकारी ने सेना प्रमुख को इन इलाकों की मौजूदा सुरक्षा स्थिति और सेना की तैयारियों के बारे में जानकारी दी। सेना प्रमुख 28 अप्रैल, 2021 को वापस लौटेंगे। पैंगोंग झील क्षेत्र में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच आरंभिक सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया के बाद से यह उनकी लद्दाख की पहली यात्रा है। हालांकि पूर्वी लद्दाख में व्याप्त तनाव की स्थिति का अभी पूर्ण समाधान नहीं हुआ है। भारत और चीन के बीच सैन्य संघर्ष पिछले साल मई में शुरू हुआ था। दोनों देशों के बीच अब तक 11 कमांडर स्तर की वार्ता हो चुकी है। इस महीने में 11वें दौर की वार्ता के बाद, भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों को पीछे हटाने और बाकी बचे तनाव संबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिए सहमत हुए हैं। एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार, बकाया मुद्दों को शीघ्रता से हल करने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की है। चुशुल में कोर कमांडर की 11वीं वार्ता लगभग दो महीने के अंतराल के बाद हुई थी। भारतीय सैन्य प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल मेनन ने किया था। इस दौरान दोनों पक्षों ने एलएसी के पास सैनिकों को पीछे हटाने से संबंधित शेष मुद्दों के समाधान के लिए विचारों का विस्तृत आदान-प्रदान किया।
सेना प्रमुख ने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए सियाचिन और लद्दाख का दौरा किया
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