जासूसी केस पर हंगामे के चलते लोकसभा 2 बजे और राज्यसभा 12 बजे तक स्थगित
नई दिल्ली। आज संसद के मानसून सत्र का दूसरा दिन है। जासूसी केस पर हंगामे के बाद लोकसभा 2 बजे और राज्यसभा 12 बजे तक स्थगित कर दी गई है। सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले भाजपा संसदीय दल की मीटिंग हुई। मीटिंग में प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी नेताओं से कहा, ‘सत्य को बार-बार जनता तक पहुंचाइए, सरकार के काम के बारे में बताइए। कांग्रेस सब जगह खत्म हो रही है, लेकिन उन्हें अपने बजाय हमारी चिंता ज्यादा है।
मीटिंग में PM मोदी ने कहा, ‘कोरोना हमारे लिए राजनीति नहीं, मानवता का विषय है, पहले महामारी के दौरान महामारी से कम और भूख से ज्यादा लोग मरते थे। हमने ऐसा नहीं होने दिया। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी नेताओं से कहा, ‘वैक्सीनशन सेंटर पर जाएं, पीएम के मन की बात बूथ पर जाकर लोगों को सुनाएं। गरीब कल्याण योजना की जानकारी सभी तक पहुंचाएं। नड्डा ने सांसदों को गुरु पूर्णिमा के दिन धर्मगुरुओं के पास जाने के लिए भी कहा।
आज संसद में जासूसी पर हंगामे के आसार
संसद के दोनों सदनों में आज जासूसी केस पर हंगामे के आसार हैं। आज फोन हैकिंग को लेकर पेगासस प्रोजेक्ट पर मीडिया रिपोर्ट दोनों सदनों में हंगामे की वजह बन सकती है। इसको लेकर कांग्रेस सांसद मणिकम टैगौर ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव के लिए तो आम पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा में जीरो ऑवर में चर्चा के लिए नोटिस दिया है।
आज शाम को 6 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वदलीय बैठक भी करने वाले हैं। इस बैठक में कोरोना की तैयारियों को लेकर सरकार विपक्ष के सामने प्रेजेंटेशन दे सकती है। सरकार वैक्सीनेशन को लेकर आगे की तैयारियों के बारे में रोडमैप साझा कर सकती है। इसके साथ ही कोरोना की तीसरी लहर की तैयारियों को लेकर भी मीटिंग में चर्चा हो सकती है। मानसून सत्र का पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया था। इसके बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी। कुछ यही हाल राज्यसभा का भी रहा था।
पहले दिन पेगासस रिपोर्ट पर हुआ था हंगामा
पहले दिन कोरोना मैनजमेंट, किसान आंदोलन, डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों और राफेल विमान मामले को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा था। अभी सरकार संभलती, इससे पहले ही इजरायली स्पायवेयर पेगासस फोन जासूसी के मामले जमकर हंगामा हुआ। बाद में सरकार का पक्ष रखने आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव सामने आए। अमित शाह और रविशंकर प्रसाद ने भी विपक्ष पर निशाना साधा। लिस्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रशांत किशोर का भी नाम आने पर विपक्ष ने अमित शाह के इस्तीफे की मांग की थी।
रिपोर्ट में दावा- मोदी के मंत्री भी हैकिंग के दायरे में
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि न सिर्फ कांग्रेस के नेता बल्कि केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल और संसद में सरकार का बचाव करने वाले IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव के फोन भी हैकिंग टारगेट थे। रिपोर्ट में जिन नामों का जिक्र किया गया है, उनमें से प्रमुख लोग ये हैं..
- विपक्ष के नेता राहुल गांधी और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के फोन भी इस लिस्ट में शामिल थे।
- संसद में सरकार का बचाव करने वाले IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव का नाम भी इस लिस्ट में शामिल था।
- चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का नाम भी इस लिस्ट में बताया गया है। उन्होंने ही 2004 में मोदी की ब्रांडिंग की थी।
- पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है, जिन्होंने 2009 के चुनाव में मोदी-शाह के खिलाफ हुई शिकायत पर चुनाव आयोग के फैसले से असहमति जताई थी।
विदेशों में भी हुई पत्रकारों की जासूसी
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में पेगासस के क्लाइंट्स ने ऐसे पत्रकारों की जासूसी कराई, जो सरकार की नाकामियों को उजागर करते रहे हैं या जो उसके फैसलों की आलोचना करते रहे हैं। एशिया से लेकर अमेरिका तक में कई देशों ने पेगासस के जरिए पत्रकारों की जासूसी की या उन्हें निगरानी सूची में रखा। रिपोर्ट में दुनिया के कुछ देशों के नाम भी दिए गए हैं, जहां पत्रकारों पर सरकार की नजरें हैं। लिस्ट में टॉप पर अजरबैजान है, जहां 48 पत्रकार सरकारी निगरानी सूची में थे। भारत में यह आंकड़ा 38 का है
किस देश में कितने पत्रकारों पर नजर
- अजरबैजान: देश में दमन और भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले कम से कम 48 पत्रकारों पर सरकार निगरानी रख रही है।
- मोरक्को: सरकार के भ्रष्टाचार और मानव अधिकार उल्लंघन की आलोचना करने वाले कम से कम 38 पत्रकार निगरानी सूची में हैं।
- UAE: फाइनेंशियल टाइम्स के एडिटर और द वॉल स्ट्रीट जर्नल के इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टर समेत कम से कम 12 पत्रकारों की निगरानी की जा रही है।
- भारत: देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचकों समेत 38 पत्रकारों की निगरानी की जा रही थी।
- इनके अलावा मैक्सिको, हंगरी, बेहरीन, काजिकिस्तान और रवांडा में भी सरकारों ने पत्रकारों की जासूसी कराई।