दिवंगत नेताओं के परिवार के साथ ही दिग्गज नेताओं के पुत्रों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी, स्थानीय और जमीनी कार्यकर्ताओं के नामों पर फिलहाल विचार नहीं, कांग्रेस का थिंक टैंक नेता पुत्रों पर दांव खेलने के मूड में
जयपुर। प्रदेश की चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में एक बार फि परिवारवाद की छाया देखने को मिलेगी। जमीनी और स्थानीय कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर कांग्रेस एक बार फिर से नेता पुत्रों और परिवारवालों पर ही दांव खेलने की तैयारी में है। कांग्रेस थिंक टैंक के नेताओं ने भी अपनी रिपोर्ट में परिवारवाद पर मुहर लगाई है।
अब थिंक टैंक की रिपोर्ट पर कांग्रेस आलाकमान का ठप्पा लगना ही बाकी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भले ही वंशवाद और परिवारवाद से दूर रहने का दावा करते हों, लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी पार्टी परिवारवाद से बाहर नहीं निकल पा रही है। विधानसभा चुनाव के बाद अब उपचुनावों में भी परिवाद का बोलबाला रहने वाला है।
हालांकि चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का ऐलान होना अभी बाकी है, लेकिन उपचुनावों को लेकर सत्ता और संगठन में तैयारियां तेज हैं। जिन चार सीटों पर उपचुनाव हो रहा है उनमें से तीन सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा है।
चारों सीटों पर नेता पुत्रों को उतारने की तैयारी
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की माने तो चार सीटों सहाड़ा, राजसमंद, सुजानगढ़ और वल्लभ नगर में कांग्रेस नेता पुत्रों को उतारने की तैयारी में है। इनमें दिवंगत नेताओं के पुत्रों के साथ ही दिग्गज नेताओं के नामों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इनमें सुजानगढ़ से दिवंगत मास्टर भंवर लाल मेघवाल के पुत्र मनोज का नाम तय बताया जा रहा है तो वहीं वल्लभ नगर से दिवंगत गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी को चुनाव मैदान में उतारने पर मंथन चल रहा है, इसके अलावा एक और नेता पुत्र के नाम पर भी यहां से चुनाव लडाने की चर्चा है।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र और आरसीए चेयरमैन वैभव गहलोत, सीपी जोशी के पुत्र हिमांशु के भी चुनाव लड़ाने की चर्चा सत्ता और संगठन में गंभीरता से चल रही है। वैभव गहलोत को राजसमंद और हिमांशु को सहाड़ा से चुनाव मैदान में उतारने की चर्चा है।
हालांकि विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी भले ही दोनों के चुनाव लड़ने से इनकार कर रहे हो, लेकिन जिस तरह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने विश्वस्त नेताओं और मंत्रियों को राजसमंद और सहाड़ा में झोंक रखा है, उससे साफ है कि वैभव गहलोत का राजसमंद से चुनाव लड़ना तय है। पार्टी के थिंक टैंक से जुड़े नेताओं ने भी इसके संकेत दिए हैं। इसके अलावा सहाड़ा से कांग्रेस के दिवंगत कैलाश त्रिवेदी के पुत्र के नाम पर चर्चा चल रही है।
सहानुभूति बंटोरने की रणनीति
चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी परिवारवाद की रणनीति अपनाने की पीछे एक वजह क्षेत्र की जनता की सहानुभूति बंटोरना भी है। कांग्रेस में ऐसी चर्चा है कि सहानुभूति के चलते क्षेत्र की जनता कांग्रेस के उम्मीदवारों को जिता देगी। अगर दिवंगत नेताओं के परिवार वालों से अलग पार्टी किसी और को उम्मीदवार बनाती है तो लोगों की नाराजगी का सामना पार्टी को करना पड़ सकता है। यही वजह है कि पार्टी के थिंक टैंक ने परिवारवाद औऱ वंशवाद को चुना है।
सत्ता-संगठन की साख दांव पर
वहीं चार सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव सत्ता और संगठन की साख दांव पर लगी है। चूंकि चार सीटों पर तीन सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। ऐसे में तीन सीटों पर जीत सुनिश्चित करना सत्ता और संगठन के लिए काफी अहम है। माना जा रहा है कि अगर सत्ता के लिए भी ये चुनाव इसलिए ज्यादा महत्व रखते हैं कि अगर इन सीटों पर कांग्रेस की हार होती है तो माना जाएगा कि सरकार के प्रति लोगों में नाराजगी है और अगर जीत होती तो माना जाएगा कि सरकार के कामकाज पर जनता की मुहर लगी है।