शिव दयाल मिश्रा
कोरोना काल में रेलवे सेवाओं को बिल्कुल बंद कर दिया गया था। उसके बाद जैसे-जैसे स्थिति सामान्य होने लगी वैसे-वैसे रेलवे ने भी अपनी गाडिय़ों का संचालन पुन: शुरू कर दिया। जैसे-जैसे रेलगाडिय़ों का संचालन शुरू करने की खबरें आती रही हैं, वैसे-वैसे ही सीनियर सिटीजनों की नजरें खबरों में यही ढूंढ़ती रहती हैं कि शायद अब की बार खबरों में वरिष्ठ नागरिकों के किराए में छूट देने की घोषणा सरकार ने कर दी हो। मगर, हर बार यही पढऩे को मिलता है कि वरिष्ठ नागरिकों को किराए में अभी कोई छूट नहीं। रेलवे को बहुत घाटा सहना पड़ रहा है। सोचने वाली बात यह है कि जब चारों तरफ फ्री सामान बांटा जा रहा है, कहीं बिजली फ्री, कहीं अनाज फ्री तो कहीं बैंकों का कर्ज मुक्ति। कुछ क्षेत्र तो ऐसे हैं जहां स्कूलों की फीस फ्री अथवा छूट या फिर जमा कराने के बाद वापसी हो जाती है। मगर, ऐसी खबरों को पढऩा जिसमें कहा गया हो कि सरकार को बहुत घाटा उठाना पड़ रहा है। बड़ा आश्चर्य होता है कि कितने सीनियर नागरिक यात्रा पर जाते हैं और कितने फ्री जाते हैं। मात्र कुछ प्रतिशत किराया ही तो कम लिया जाता था। दूसरी ओर सरकार सांसद, विधायक, पंच, सरपंच, पार्षद यानि कि जो भी एक बार चुनाव जीत जाता है उसे दुनिया भर के भत्तों सहित अनेक सुविधाएं एक से अधिक बार आजीवन प्राप्त होती रहती हैं। अगर इन सुविधाओं की तुलना की जाए तो सीनियर सिटीजन्स के लिए किराए में छूट तो कुछ भी नहीं है। इसलिए सरकार को चाहिए कि इस छूट पर गंभीरता से विचार कर रेलवे में पूर्व की तरह सीनियर सिटीजन्स के अलावा जिनको भी छूट मिलती रही है। उन्हें छूट देने की व्यवस्था करनी चाहिए।
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