शिव दयाल मिश्रा
दुनिया में समय के साथ-साथ कई चीजों का स्वरूप बदल जाता है। क्योंकि बदलाव प्रकृति का नियम है। स्वभाव से भी प्रकृति प्रदत्त हर चीज समय के साथ बदलती चली जाती है। इसीलिए कहा गया है कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। आप सोच रहे होंगे कि यहां किस बदलाव की बात हो रही है। तो आपको बता दें कि जयपुर में उत्तर पश्चिम में बहुत पहले से द्रव्यवती नदी बहती थी। जो आमेर के पीछे पहाड़ों से निकलकर सांगानेर होती हुई ढूंढ नदी में मिल जाती थी। वर्तमान में विद्याधर नगर-शाी नगर को जोडऩे के लिए इस नदी पर पुल बनाया हुआ है। इसी पुल के पास एक दरगाह बनी हुई है जिसका नाम है अमानी शाह की दरगाह। कालांतर में इसी अमानी शाह के नाम से द्रव्यवती नदी को अमानी शाह का नाला कहा जाने लगा। और अभी कुछ वर्षों पहले तक इसे अमानी शाह का नाला ही कहा जाता था। हालांकि अभी भी लोगों की जुबान पर द्रव्यवती नदी के बजाए इसे अमानी शाह का नाला ही कहा जाता है। समय बदला जयपुर में सौन्दर्यकरण की बयार चली। द्रव्यवती नदी, जिसमें शहर का सड़ांध मारता जगह-जगह गंदा पानी भरा रहता था। इस गंदे पानी से निजात दिलाने के लिए द्रव्यवती नदी को अहमदाबाद (गुजरात) में शहर के बीचोंबीच बहने वाली साबरमती नदी की तर्ज पर स्वच्छ जल से बहने वाली नदी का स्वरूप दिए जाने की योजना बनी और योजना पर काम शुरू भी हुआ, मगर गंदे नाले में भरे पानी के कारण कई जगह इसका काम अभी अटका हुआ है। अब सोचने की बात यह है कि जयपुर में पीने का पानी भी पूरी तरह उपलब्ध नहीं हो पा रहा है ऐसे में इस नदी में बहने के लिए पानी कहां से आएगा। इसमें तो ले-देकर शहर का गंदा पानी भरा हुआ है जो सड़ांध मारता रहता है। इसमें कई लोगों की डूबकर जान भी जा चुकी है। अब इस द्रव्यवती नदी की हालत तो देखो। यह कब नदी से नाला और अब नाले से नाली बन चुकी है। इसके लंबे चौड़े पाट में कुछ वैध और कुछ अवैध कालोनियां बस चुकी हैं। इस सड़ांध मारती नाली के आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ेगा और जिस नाले में बरसात के दौरान पानी को जमीन सोख लेती थी वहां अब कंक्रीट के जंगल उग आए हैं। देखो तो, द्रव्यवती नदी (नाला) सौन्दर्यीकरण के नाम पर नाली बन गया।
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