भारत में कब तक आएगा कोरोना की दूसरी लहर का पीक, IIT के वैज्ञानिकों का दावा, जानें


देश में शुक्रवार को एक दिन में रेकॉर्ड संक्रमण के 3.32 लाख नए मामले आए जबकि 2263 लोगों की मौत हुई। देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 2428616 हो गई है। इस बीच दूसरी लहर के पीक का अनुमान जताया गया है।

नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस का कहर जारी है। मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं और लोगों की जानें जा रही हैं। हर किसी के मन में एक ही सवाल है आखिर कोरोना महामारी कब खत्म होगी। क्या यह आंकड़ा अभी और बढ़ेगा। इस बीच, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के वैज्ञानिकों ने बताया है कि दूसरी लहर का पीक कब आएगा। वैज्ञानिकों ने अपने गणितीय मॉडल के आधार पर अनुमान लगाया है कि भारत में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर 11 से 15 मई के बीच चरम पर होगी।

वैज्ञानिकों का कहना है कि उस समय देश में इलाजरत मरीजों की संख्या 33 से 35 लाख तक पहुंच सकती है और इसके बाद मई के अंत तक मामलों में तेजी से कमी आएगी। भारत में शुक्रवार को एक दिन में संक्रमण के 3,32,730 (3.32 लाख) नए मामले आए जबकि 2263 लोगों की मौत हुई। इसके साथ ही देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 24,28,616 हो गई है।

वैज्ञानिकों ने इस विधि से लगाया अनुमान

आईआईटी कानपुर और हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने एप्लाइड दस ससेक्टिबल, अनडिटेक्ड, टेस्टड (पॉजिटिव) ऐंड रिमूव एप्रोच (सूत्र) मॉडल के आधार पर अनुमान लगाया है कि मामलों में कमी आने से पहले मध्य मई तक उपचाराधीन मरीजों की संख्या में 10 लाख तक की वृद्धि हो सकती है।

इन राज्यों में 25 से 30 अप्रैल के बीच छू सकती हैं नई ऊचांई

वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और तेलंगाना नए मामलों के संदर्भ में 25 से 30 अप्रैल के बीच नई ऊचांई छू सकते हैं जबकि महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ संभवत: पहले ही नए मामलों के संदर्भ में चरम पर पहुंच गए हैं।

33 से 35 लाख हो सकती है उपचाराधीन मरीजों की संख्या

आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर साइंस विभाग में प्रोफेसर मनिंदर अग्रवाल ने को बताया, ‘हमने पाया कि 11 से 15 मई के बीच उपचाराधीन मरीजों की संख्या में वृद्धि होने की तार्किक वजह है और यह 33 से 35 लाख हो सकती है। यह तेजी से होने वाली वृद्धि है लेकिन उतनी तेजी से ही नए मामलों में कमी आने की संभावना है और मई के अंत तक इसमें नाटकीय तरीके से कमी आएगी।’

अनुसंधान पत्र को नहीं किया गया है प्रकाशित

वैज्ञानिकों ने अब तक इस अनुसंधान पत्र को प्रकाशित नहीं किया है और उनका कहना है कि सूत्र मॉडल में कई विशेष पहलू हैं जबकि पूर्व के अध्ययनों में मरीजों को बिना लक्षण और संक्रमण में विभाजित किया गया था। नए मॉडल में इस तथ्य का भी संज्ञान लिया गया है कि बिना लक्षण वाले मरीजों के एक हिस्से का पता संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की जांच या अन्य नियमों के द्वारा लगाया जा सकता है।

पहले कहा गया था 15 अप्रैल को आएगा पीक

इस महीने की शुरुआत में गणितीय मॉडल के माध्यम से अनुमान लगाया गया था कि देश में 15 अप्रैल तक संक्रमण की दर अपने चरम पर पहुंच जाएगी लेकिन यह सत्य साबित नहीं हुई। अग्रवाल ने कहा, ‘मौजूदा चरण के लिए हमारे मॉडल के मापदंड लगातार बदल रहे हैं, इसलिए एकदम सटीक आकलन मुश्किल है। यहां तक कि रोजाना के मामलों में मामूली बदलाव से पीक की संख्या में हजारों की वृद्धि कर सकते हैं।’


Jagruk Janta

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