सरकार ने 7 नई कंपनियों को दी पेट्रोल-डीजल बेचने की परमिशन, इसमें मुकेश अंबानी की कंपनी भी शामिल

नई दिल्ली। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 7 कंपनियों को देश में ऑटो ईंधन बेचने का अधिकार दे दिया है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) के अलावा ये 7 कंपनियां भी पेट्रोल और डीजल बेचेंगी। ये अधिकार साल 2019 में संशोधित मार्केट ट्रांसपोर्टेशन फ्यूल्स नियमों के आधार पर दिए गए हैं।

RIL और असम गैस कंपनी सहित इन्हें मिला अधिकार
मंत्रालय के एक टॉप अधिकारी के मुताबिक मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) को इन नियमों के तहत अधिकार दिए गए हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि RIL के मौजूदा रिटेल मार्केटिंग ऑथराइजेशन को उसकी सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस BP मोबिलिटी (RBML) को ट्रांसफर किया गया है।

चेन्नई की इंडियन मोलासेस कंपनी (IMC) जो ऑयल टर्मिनल्स में स्पेशलाइज्ड है, इसे भी देश में ऑटो ईंधन बेचने की मंजूरी मिली है। इसने भारत से तेल और गैस का पता लगाने और उत्पादन करने के लिए दूसरे दौर की बिडिंग के लिए दांव लगाया था, लेकिन IMC कोई प्रोजेक्ट हासिल नहीं कर पाई थी। IMC को पेट्रोलियम प्रोडक्ट, लिक्विफाइड गैस, एसिड और वेजेटेबल ऑयल को को स्टोर करने के लिए जाना जाता है। असम सरकार की अनुबंधित कंपनी असम गैस कंपनी को भी देश में ऑटों ईंधन की बिक्री का अधिकार मिला है।

ऑनसाइट एनर्जी को भी सरकार ने देश में पेट्रोलियम रिटेलिंग की मंजूरी दी है। ये कंपनी साल 2020 में ही अस्तित्वि में आई है। M K एग्रोटेक और मानस एग्रो इंडस्ट्रीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर को भी नए नियमों के मुताबिक रिटेल में पेट्रोलियम उत्पाद बेचने की मंजूरी मिली है। मानस एग्रो इंडस्ट्रीज और इंफ्रास्ट्रक्चर का अपना खुद का LPG ब्रांड है। इसका नयारा एनर्जी के साथ एथनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल बेचने के लिए करार भी है।

अभी 90% बाजार पर सरकारी कंपनियों का कब्जा
ये नए ऑथराइजेशन या अधिकार उन कंपनियों को दिए गए थे जिनकी न्यूनतम नेटवर्थ 250 करोड़ रुपए थी। अगर रिटेल और थोक दोनों ही बिक्री के लिए अधिकार चाहिए तो न्यूनतम नेटवर्थ 500 करोड़ रुपए होनी चाहिए। साल 2019 के नियमों के मुताबिक ऑथराइजेशन मिलने के 5 साल के अंदर कंपनियों को कम से कम 100 रिटेल आउटलेट्स तैयार करने होंगे, जिसमें से 5% ग्रामीण इलाकों में होने चाहिए। देश में अभी 90% फ्यूल रिटेलिंग के कारोबार पर सरकारी कंपनियों का कब्जा है, बाकी RIL और नयारा एनर्जी के पास है।

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