नेपाल में अब सत्ता की कमान पहली बार महिला के हाथ में जा सकती है। प्रदर्शनकारी Gen-Z ने देश की पहली महिला चीफ जस्टिस को अंतरिम सरकार की मुखिया बनाने का प्रस्ताव दिया जिसे उन्होंने मान लिया है।

नेपाल में तख्तापलट के बाद अब सत्ता की कमान सेना के हाथों में हैं। देश में बातचीत और अंतरिम सरकार के गठन की चर्चा तेज है और सबसे बड़ी बात ये है कि सूत्रों के मुताबिक प्रदर्शनकारी जेन जी ने पहली महिला चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार की कमान संभालने का प्रस्ताव दिया और सुशीला कार्की ने जेन ज़ी के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। जेन ज़ी ने अपने फैसले के बारे में फोन करके सुशीला कार्की को अपना फैसला सुनाया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
इस तरह से नेपाल के लिए बड़ी खुशखबरी हो सकती है कि जैसे सुशीला कार्की देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं और उसके बाद अब वे पहली महिला प्रधानमंत्री बन सकती हैं। जेन ज़ी ने आज की बैठक के बाद ये स्पष्ट कह दिया कि दुर्गा परसाईं, रासपा और राप्रपा का नई सरकार में किसी भी तरह का दखल नहीं होगा और कमान सुशीला कार्की सत्ता संभालेंगी।
आखिर सुशीला कार्की को ही क्यों चुना गया?
बता दें कि साल 2017 में प्रमुख राजनीतिक दलों ने सुशीला कार्की पर पूर्वाग्रह और कार्यपालिका में हस्तक्षेप का आरोप लगाया था और फिर उनपर महाभियोग प्रस्ताव भी पेश किया गया था। लेकिन देश में उन्हें मिले भारी जन समर्थन और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण राजनीतिक दलों के इस प्रस्ताव को वापस ले लिया गया था। इसी बात से उनकी जनमानस में गहरी पैठ की बात पता चलती है।
इसके साथ ही उनमें क्या खास है, ऐसा देखा जाए तो अपने रिटायरमेंट के बाद सुशीला कार्की ने दो किताबें लिखीं, जिसमें से पहली उनकी आत्मकथा ‘न्याय’ है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन, न्यायिक संघर्षों और राजनीतिक दबाव की कहानी लिखी है। उनकी लिखी दूसरी किताब ‘कारा’ नामक एक उपन्यास है, जो उनकी हिरासत के समय से प्रेरित है और महिलाओं के सामाजिक संघर्षों को उजागर करती है।