राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय झाड़ोली में पहली से बारहवीं तक कक्षाए, 8 कमरों में चल रहीं है, करीब 300 छात्राएं स्कूल में है अध्ययनरत, बारिश में पूरे भवन में दौड़ता है करंट, कमरों के अभाव में बरामदे में बैठकर पढ़ने को मजबूर छात्राएं
सिरोही. सिरोही जिले के पिण्डवाड़ा तहसील के झाड़ोली गाँव में राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय असुविधाओं का दंश झेल रहा है…. सरकारों द्वारा बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने को लेकर बड़ी- बड़ी बाते व दावे किये जातें है…परन्तु उन दावो और बातो की जमीनी स्तर पर पड़ताल की जाती है… तो कई सवाल खड़े होते है….? हम बात कर रहें पिण्डवाड़ा तहसील के झाड़ोली गाँव में स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक़ विद्यालय की…जिसकी हालत देख आप भी चौक जाएंगे… कक्षा एक से लगाकर 12 वीं तक यह स्कूल है…जिसमें केवल आठ कमरे है…अब आप सोचिए इन आठ कमरों में यह स्कूल कैसे चल रहा होगा… इस भवन में बालिकाओं के खेलने के लिए क़ोई खेल ग्राउंड तक नहीं है….. स्कूली छात्राए स्कूल के बरामदे में बैठकर पढ़ने को मजबूर है…। सभी बच्चियों को प्रार्थना सभा में भी आने का अवसर नहीं मिलता क्योंकि स्कूल के पास में प्राप्त कैंपस की व्यवस्था ही नहीं है, कि एक साथ सबको बिठाकर प्रार्थना भी की जाए… किसी भी सांस्कृतिक प्रोग्राम को करने के लिए भी या अन्य कोई गतिविधियों को करने के लिए भी पर्याप्त स्पेस के अभाव में कोई भी कार्यक्रम सही से नहीं हो पाता। उसके बाद भी जिम्मेदार सिर्फ बड़ी बड़ी बाते करते है…।
ज़ब बारिश का मौसम होता है तब हालत ओर भी बद से बदतर हो जाते है…. भवन की छत से पानी टपकता है… साथ ही पूरे भवन में करंट भी दौड़ता है… उसके बाद भी इस भवन में बालिकाए पढ़ने को विवश है….। जो किसी खतरे से कम नहीं ऐसे में फिर भी क़ोई बड़ा हादसा हो गया तो फिर उसका जिम्मेदार कौन होगा..?
सरकार ने स्कूल को 12वीं तक क्रमोन्नत तो कर दिया परन्तु सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं दिया……न स्कूल का भवन पर्याप्त है, न खेल मैदान है, ओर नहीं पढ़ाई करवाने के लिए व्याख्याताओ की व्यवस्था है… ऐसे में आप सहज ही अनुमान लगा सकते है, बालिकाओं की पढ़ाई किस तरह से इन असुविधाओं के कारण दिनों दिन प्रभावित हो रहीं है…..।
स्कूल प्रशासन ने कई बार उच्च अधिकारियो को मौखिक और लिखित रूप से अवगत भी करवाया… परन्तु शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी व क्षेत्र के सत्ता पक्ष के नेता पूरे विषय पर मूकदर्शक होकर बैठे हुए है….. उन्हें बालिकाओं के हितों से मानो को सरोकर ही न हो…. यह भवन आठवीं क्लास के हिसाब से बना था, जो अब 12वीं क्लास तक इस भवन में कक्षाएं चलाना काफ़ी कठिन कार्य स्कूल प्रशासन के लिए प्रतीत हो रहा है….अधिकाश क्लास बरामदे में बैठानी पड़ती है, तो कुछ क्लास को सामूहिक रूप से एक साथ बैठाया जा रहा है….. आखिर स्कूल प्रशासन भी किधर जाएं…. जिनके जिम्मे यह समस्या समाधान करने का दायित्व है, वे ही पूरी तरह उदासीन बने हुए है….।
देश व प्रदेश की सरकारे बालिका शिक्षा को लेकर तमाम योजनाएँ भी चलाती है ताकि बालिकाओं को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जाएं…. परन्तु ज़ब जमीनी स्तर पर राजकीय स्कूल में पर्याप्त सुविधाएं ही नहीं होंगी तो फिर बालिका कैसे पढ़ेगी… यह भी बड़ा सोचनीय सवाल है….। इस स्कूल में की समस्या को लेकर शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियो को अवगत करवाने के बाद भी आज दिन तक इस समस्या का समाधान नहीं निकल पाया… वजह जो भी रहीं हो बालिकाओं का भविष्य मानो अंधकार में प्रतीत हो रहा है…. न उन्हें खेलने का अवसर मिलता है, जबकि शरीर के सर्वांगीण विकास के लिए खेल बहुत ही आवश्यक है,…परन्तु खेल मैदान ही स्कूल के पास नहीं तो छात्राएं कहा जाएं….। स्कूल के विद्यार्थियों ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री और सरकार से मांग की है कि उनकी वाजिब समस्याओं पर ध्यान दिया जाए और स्कूल के नए भवन की व्यवस्था की जाएं..।