ऊँटनी के दूध की औषधीय उपयोगिता के आधार पर बिक्री हो‘-डॉ.साहू

ऊँटनी के दूध की औषधीय उपयोगिता के आधार पर बिक्री हो‘-डॉ.साहू

बीकानेर@जागरूक जनता। भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में ‘ऊँट पालकों का ऊँटों से भरण-पोषण‘ विषयक परिचर्चा का आयोजन हुआ। इस अवसर परकेन्द्र के निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू ने कहा कि ऊँटनी के दूध के औषधीय महत्व के प्रति आमजन में जागरूकता एक अत्यंत जरूरी पहलू है तथा उपयोगिता के आधार पर इसकी बिक्री-मूल्य का भी निर्धारण किया जाए ताकि उष्ट्र दुग्ध व्यवसाय एक सही दिशा की ओर अग्रसर हो सके। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री के आह्वान पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की ओर से ‘किसानों के लिए खाद्य एवं पोषण‘  विषय पर आधारित कार्यक्रम के साथ एनआरसीसी द्वारा इस महत्वपूर्ण परिचर्चा को जोड़ा गया।
केन्द्र निदेशक डॉ.साहू ने ऊँट पालकों से कहा कि अनुसंधान के आधार पर ऊँटनी का दूध मधुमेह, क्षय रोग, ऑटिज्म आदि के प्रबंधन में उपयोगी साबित हुआ है। ऊँटनी के दूध की दिल्ली, हैदराबाद, चैन्नई, लुधियाना, चंडीगढ़ आदि में बढ़ती मांग को देखते हुए उष्ट्र बाहुल्य राजस्थान राज्य के ऊँट पालकों को ही इस दूध को व्यापारिक दृष्टिकोण से अपनाने हेतु आगे आना होगा। जिससे देशभर में जरूरतमंद लोगों को यह सुलभ हो सके व ऊँट पालकों की आमदनी में बढ़ोत्तरी के साथ उष्ट्र प्रजाति के संरक्षण में भी सहायता मिल सकेगी।  
इस दौरान ऊँटनी के दूध को व्यावसायिक रूप देने के लिए ऊँटनी दूध का छोटे केन्द्रों से मुख्य केन्द्रों तक संग्रहण, प्रसंस्करण, शीतलीकरण की सुविधाओं की सुलभता पर चर्चा हुई। ऊँटनी के दूध में आयरन की प्रचुरता के कारण महिलाओं  के लिए इसकी उपयोगिता, स्कूली बच्चों के मिड-डे मील में दूध को शामिल किए जाने, मानव स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पारंपरिक उष्ट्र दुग्ध उत्पादों के निर्माण एवं इन्हें बढ़ावा देने पर जोर दिया। जिससे इनका निर्माण घरेलू स्तर पर कर दुग्ध उत्पादों को व्यावसायिक रूप दिया जा सके। चर्चा में सक्रिय संगठनों के निर्माण, उष्ट्र पर्यटन को और अधिक बढ़ावा देने के दिशा में योजनाबद्ध कार्यक्रम तैयार करने आदि पहलुओं पर भी गहन चर्चा की गई ताकि दूध का उत्पादन एवं पशु का संरक्षण किया जा सके।  
इस वर्चुअल परिचर्चा में उरमूल ट्रस्ट, बीकानेर के रामप्रसाद हर्ष ने उरमूल द्वारा ऊँटनी के दूध की औषधीय आधार पर लोकप्रियता एवं स्वीकार्यता के संबंध में स्थानीय स्तर पर दूध की सार्वजनिक स्थलों पर बिक्री, इसका आमजन में रसास्वादन, विशेष अवसरों पर दुग्ध उत्पादों का निर्माण कर इनकी उपलब्धता आदि हेतु किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। वहीं लोकहित पशुपालक संस्थान, सादड़ी के निदेशक हनुवंत सिंह राठौड़ ने एनआरसीसी के दूध को बढ़ावा देने हेतु किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए इस बात पर जोर दिया कि इस व्यवसाय में लाने वाली व्यावहारिक मुद्दों पर नियमित चर्चाएं की जाए व एक नीतिगत प्रस्ताव तैयार कर सरकार को प्रस्तुत किया जा सके। इस दौरान गृह महाविद्यालय,रा.कृ.वि., बीकानेर की डॉ. ममता सिंह ने किसानों से ऊँटनी के दूध के संग्रहण एवं भण्डारण आदि के मुद्दों पर बात की ताकि दूर-दराज के क्षेत्रों में इस दूध की आपूर्ति संभव हो सके।
परिचर्चा के समन्वयक डॉ.आर.के.सावल ने कहा कि परिचर्चा में किसानों के लिए ऊँटनी के दूध का परिवार के पोषण में योगदान, मानव स्वास्थ्य में इसकी भूमिका, दूध के पारंपरिक एवं नूतन उत्पाद के साथ इन उत्पादों का आमजन के लिए उपयोग को बढ़ाए जाने तथा ऊँटनी के दूध को एक व्यावसायिक दृष्टिकोण दिए जाने आदि मुख्य चर्चा के बिन्दु सम्मिलित रहे। इस महत्वपूर्ण परिचर्चा में करीब 40 से अधिक ऊँट पालकों, उद्यमियों, विषय-विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों ने सक्रिय सहभागिता निभाई।

Date:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

जसोल Dham में Somnath ज्योतिर्लिंग के पावन अंश के दिव्य दर्शन

सनातन आस्था, आध्यात्मिक चेतना एवं सांस्कृतिक वैभव का ऐतिहासिक...

माउंट abu की पर्वतीय वादियों से शुरू हुआ aravli बचाओ अभियान

कांग्रेस के निर्मल चौधरी सहित कद्दावर नेता संयम लोढ़ा...

गुजरात के 35 B N एन सी सी यूनिट का पर्वतारोहण शिविर प्रारम्भ

माउंट आबू @ जागरूक जनता। माउंट आबू के स्वामी...

Jagruk Janta Hindi News Paper 24 December 2025

Jagruk Janta 24 December 2025Download