क्षेत्रीय दलों में BRS ने की सबसे ज्यादा कमाई, TMC का खर्चा सबसे ज्यादा


एडीआर ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि क्षेत्रीय दलों के मामले में बीआरएस ने सबसे ज्यादा कमाई की है, जबकि टीएमसी ने सबसे अधिक खर्चा किया है।

नई दिल्ली: चुनाव अधिकार निकाय एडीआर ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) 737.67 करोड़ रुपये की आय के साथ क्षेत्रीय दलों के बीच कमाई के मामले में शीर्ष पर है, जबकि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पैसा खर्च करने के मामले में सबसे आगे है। बीआरएस की आय क्षेत्रीय दलों की कुल आमदनी का 42.38 प्रतिशत है। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक खर्च करने वाले शीर्ष पांच दलों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सबसे ऊपर है, जिसने संबंधित वित्त वर्ष में 181.18 करोड़ रुपये या क्षेत्रीय दलों के कुल खर्च का 37.66 प्रतिशत खर्च किया। इसके बाद वाईएसआर-कांग्रेस ने 79.32 करोड़ रुपये या 16.49 प्रतिशत खर्च किया। बीआरएस ने 57.47 करोड़ रुपये या 11.94 प्रतिशत खर्च किया। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने 52.62 करोड़ रुपये या 10.94 प्रतिशत और समाजवादी पार्टी ने 31.41 करोड़ रुपये या कुल खर्च का 6.53 प्रतिशत खर्च किया। 

टॉप-5 पार्टियों की कुल आय 1,541.32 करोड़ रुपये

भारत के क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की वित्तीय स्थिति के विश्लेषण में ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 57 क्षेत्रीय दलों में से 39 के लिए विस्तृत आय और व्यय रिपोर्ट तैयार की है। विश्लेषण के अनुसार, शीर्ष पांच दलों की कुल आय 1,541.32 करोड़ रुपये या क्षेत्रीय दलों की कुल आय का 88.56 प्रतिशत है, जबकि 39 क्षेत्रीय दलों की कुल घोषित आय 1,740.48 करोड़ रुपये है। निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट सौंपने की समयसीमा 31 अक्टूबर, 2023 निर्धारित की थी। हालांकि, इनमें से केवल 16 ने ही समयसीमा का पालन किया। 23 दलों ने अपनी रिपोर्ट देर से सौंपी। इसमें तीन से लेकर 150 दिन तक की देरी हुई। 

18 पार्टियों की नहीं मिली रिपोर्ट

एडीआर के अनुसार, रिपोर्ट तैयार करने के समय शिवसेना (एसएचएस), बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ), जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना (यूबीटी) जैसे प्रमुख दलों सहित 18 क्षेत्रीय दलों की ऑडिट रिपोर्ट निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं थी। कुल 19 क्षेत्रीय दलों ने वित्त वर्ष के लिए अव्ययित आय की घोषणा की। बीआरएस के पास खर्च नहीं की गई सर्वाधिक 680.20 करोड़ रुपये की आय रही। इसके बाद बीजू जनता दल की 171.06 करोड़ रुपये और द्रमुक की 161.72 करोड़ रुपये की आय खर्च नहीं की जा सकी। इसके विपरीत, 20 दलों ने अपनी आय से अधिक व्यय की सूचना दी जिसमें जनता दल (सेक्युलर) ने अपनी आय से 490.43 प्रतिशत अधिक खर्च किया। चंदा और चुनावी बॉण्ड सहित स्वैच्छिक अंशदान राजनीतिक दलों के लिए आय का प्राथमिक स्रोत थे, जिनकी राशि 1,522.46 करोड़ रुपये या कुल आय का 87.47 प्रतिशत थी। इसमें से 1,285.83 करोड़ रुपये चुनावी बॉण्ड से आए। 

8 दलों को चुनावी बॉण्ड से मिला चंदा

केवल आठ क्षेत्रीय दलों ने चुनावी बॉण्ड के माध्यम से चंदा प्राप्त करने की घोषणा की। एडीआर की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि निर्वाचन आयोग कड़ी समयसीमा लागू करे और देर से या ऑडिट रिपोर्ट जमा न करने पर राजनीतिक दलों को दंडित करे। राजनीतिक चंदा में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत दानकर्ता के विवरण का पूरा खुलासा करने का भी आग्रह किया गया है। रिपोर्ट में आयकर अधिनियम की धारा 13ए और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29 (सी) जैसे कानूनों को सख्ती से लागू करने का आह्वान किया गया है, जो राजनीतिक दलों द्वारा अपनी वित्तीय स्थिति का खुलासा करने को अनिवार्य बनाते हैं। 


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