बीकानेर। शिक्षा विभाग में एक बार फिर बड़े फेरबदल की तैयारी हो रही है। राज्य के जिन प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूल्स में बच्चों की संख्या कम है और टीचर्स जरूरत से अधिक है, उन्हें हटाया जाएगा। प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय ने स्टाफिंग पैटर्न और समानीकरण के लिए आज से प्रोसेस शुरू कर दिया है। पहले स्कूल्स के स्टूडेंट्स और टीचर्स की संख्या ली जा रही है। विभाग की साइट पर ये डाटा अपलोड करने होंगे कि स्कूल में कितने स्टूडेंट्स है और कितने टीचर्स है। इसके बाद आठ से ग्यारह दिसम्बर तक जरूरत से अधिक टीचर्स को अन्यत्र स्कूल में भेजा जाएगा।
31 अक्टूबर तक के स्टूडेंट्स आधार
सरकारी प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूल में 31 अक्टूबर की छात्र संख्या के आधार पर समानीकरण किया जाएगा। इस दिन स्कूल में कितने स्टूडेंट्स का एडमिशन हो चुका है? ये आंकड़ा विभाग की साइट शाला दर्पण पर ऑनलाइन अपडेट करना होगा। इसके बाद NIC की ओर से स्टाफिंग पैटर्न को शाला दर्पण पोर्टल पर लाइव किया जाएगा। इसमें बताया जाएगा कि कितने स्टूडेंट्स पर कितने टीचर्स स्कूल में रहेंगे। जिले के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी एक दिसम्बर तक हर स्कूल का डाटा चैक करेंगे और बाद में इसे लॉक करेंगे।
6 दिसम्बर को आएगी लिस्ट
विभाग उन टीचर्स की लिस्ट जारी करेगा, जो स्कूल में छात्र संख्या के मुकाबले अधिशेष है यानी ज्यादा है। ऐसे टीचर्स की बकायदा लिस्ट जारी होगी। इन टीचर्स को सीधे इधर-उधर भेजने के बजाय काउंसलिंग के माध्यम से अन्य स्कूलों में भेजा जाएगा। काउंसलिंग के लिए भी टीचर्स को इधर-उधर नहीं जाना बल्कि ऑनलाइन काउंसलिंग की जाएगी।
आठ सदस्यीय दल का गठन
शिक्षा विभाग ने बीकानेर के संयुक्त निदेशक की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया है जो राज्यभर में हो रहे समानीकरण पर नजर रखेगी। इस कमेटी में शाला दर्पण प्रकोष्ठ के उप निदेशक, , बीकानेर के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, निदेशालय के प्रारम्भिक शिक्षा के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, शाला दर्पण के अनुभाग अधिकारी को शामिल किया गया है। इसके अलावा शैक्षिक अनुभाग, बजट अनुभाग और संस्थापन अनुभाग के अधिकारी को भी शामिल किया गया है।
शहर में बढ़ेंगे पद
शिक्षा विभाग को इस बार शहरी स्कूल्स में पद बढ़ाने भी पड़ सकते हैं। दरअसल, कोरोना के कारण सरकारी स्कूल्स में बड़ी संख्या में बच्चों की संख्या बढ़ गई है। ऐसे में इन स्कूल्स में टीचर्स भी बढ़ाने पड़ सकते हैं। खासकर महात्मा गांधी स्कूल्स में बच्चों की संख्या में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है। वहीं हिन्दी माध्यम के स्कूल में भी स्टूडेंट़्स बढ़ गए हैं।