बीजिंग। लगता है तालिबान से चीन का दोस्ताना रंग लाने लगा है। तभी तो तालिबान ने चीन के ऊपर खास मेहरबानी दिखाते हुए उसकी सबसे बड़ी टेंशन दूर कर दी है। तालिबान ने अफगानिस्तान से ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) से जुड़े आतंकियों को देश छोड़ने का फरमान जारी कर दिया है। उसने अपने इस कदम की सूचना चीन को भी दे दी है। गौरतलब है कि काबुल पर तालिबान का कब्जा होने के बाद से ही चीन ने उसके ऊपर इस बात के लिए दबाव बना रखा था। वहीं वह तालिबान का मददगार भी बना हुआ है। गौरतलब है कि चीन के विदेश मंत्री वांग ई ने बुधवार को अफगानिस्तान के लिए 31 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद का ऐलान किया था। इस सहायता में खाना, दवाएं और जाड़े के लिए जरूरी अन्य चीजों की सप्लाई शामिल है।
इसलिए चीन को मिलेगी राहत
ईटीआईएम वही आतंकी संगठन है जो चीनी प्रांत शिनजियांग की स्वतंत्रता के लिए मुहिम चला रहा था। इस संगठन की जड़ें अफगानिस्तान में रही हैं और शिनजियांग की सीमा अफगानिस्तान से मिलती है। यह आतंकी संगठन शिनजियांग प्रांत में बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाता रहा है। शिनजियांग में करीब एक करोड़ उइगर मुसलमान रहते हैं। गौरतलब है कि चीन यह आरोप लगाता रहा है कि ईटीआईएम का संबंध अलकायदा से है।
तालिबान के कड़े रुख के बाद उठाया कदम
ईटीआईएम के अफगानिस्तान छोड़ने के पीछे वजह तालिबान का कड़ा रुख बताया जा रहा है। तालिबान ने इस आतंकी संगठन को स्पष्ट कर दिया था कि वह अफगान धरती का इस्तेमाल किसी भी अन्य देश पर आतंकी हमले के लिए नहीं करने देगा। इन देशों में अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों का नाम भी शामिल है। तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स को यह जानकारी दी।
अमेरिका और यूरोपियन संघ की नजर में चीन दोषी
गौरतलब है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ चीन के ऊपर हमेशा आरोप लगाते रहते हैं। उनका कहना है कि चीन उइगर मुसलमानों को डिटेंशन कैंप में रखकर उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन करता रहता है। जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार थी, तब उसने ईटीआईएम से प्रतिबंध उठा लिया था। चीन ने इसे आतंकवाद से लड़ाई में चीन का दोहरा रवैया बताया था। हालांकि शाहीन ने इस बात का कोई जबाव नहीं दिया कि अगर चीन ईटीआईएम मेंबर्स को उसके हवाले कहने के लिए कहता है तो तालिबान का रुख क्या होगा?
एंटी-टेरिरज्म का आलापने लगा राग तालिबान
तालिबान प्रवक्ता शाहीन ने कहा कि ईटीआईएम सदस्यों को दिए संदेश के बाद उन लोगों का अफगानिस्तान में रहना मुश्किल हो जाएगा, जो हमारी धरती से अपना एजेंडा चलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में रक्षा मंत्रालय, आंतरिक मंत्रालय और खुफिया विभाग मिलकर देश में आतंक विरोधी अभियान चलाएंगे। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह सभी मिलकर सुनिश्चित करेंगे कि अफगानिस्तान में कोई ऐसी ताकत न पनपने पाए जो किसी अन्य देश के खिलाफ आतंकी अभियान चलाना चाहती हो।
आतंक को अपनी जड़ों से खत्म करना बताया मकसद
शाहीन ने कहा कि उनके क्षमता है, अनुभव है और जरूरी हथियार भी हैं। इनके दम पर इस तरह के सुरक्षा हालात से जूझने में आसानी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी देश की ऐसी कोई चिंता है तो वह डिप्लोमेटिक मीटिंग्स के जरिए हमें बता सकता है। शाहीन ने कहा कि तालिबान सरकार आतंक को अपनी जड़ों से खत्म करना चाहती है। अब हमारा मकसद देश के विकास पर ध्यान देना है। हम अपने लोगों को एक आरामतलब जिंदगी देना चाहते हैं।