राजस्थान में मानसून की झमाझम बारिश के बीच बीसलपुर बांध ने खुश खबर दी है।
जयपुर। राजस्थान में मानसून की झमाझम बारिश के बीच बीसलपुर बांध ने खुश खबर दी है। बांध में दो दिन से पानी की आवक में इजाफा हो रहा है, जिसके चलते बांध से आस बंधी है। विभाग की माने तो बांध का जलस्तर बुधवार सवेरे तक 309.89 मीटर पहुंचा गया। ऐसे में पिछले 24 घंटे के दौरान 26 सेंटीमीटर पानी की आवक हुई है। उधर, बांध के भराव क्षेत्र में बह रही त्रिवेणी नदी का जलस्तर 2.20 मीटर पंहुच गया है और माना जा रहा है कि अगले दो दिन के भीतर बीसलपुर बांध में पानी की आवक तेजी से बढ़ सकती है। जल संसाधन विभाग के अधिशाषी अभियंता मनीष बंसल ने बताया कि दो दिन से बांध में पानी की आवक बढ़ रही है। मंगलवार सवेरे तक बांध का जलस्तर 309.63 था, जो बुधवार सवेरे 309.89 मीटर पहुंच गया है। 24 घंटे के भीतर 26 सेंटीमीटर पनी की आवक ज्यादा हो गई है। भीलवाड़ा में अच्छी बारिश के चलते त्रिवेणी नदी का जलस्तर भी बढ़ गया है। नदी 4.20 मीटर की ऊंचाई पर बह रही है। बीसलपुर बांध का कुल जलस्तर 315.50 मीटर है।
बांध में 31 जनवरी तक का पानी
जलदाय विभाग के अधीक्षण अभियंता सुभांशु दीक्षित ने बताया कि बीसलपुर बांध का जलसतर बुधवार सवेरे 309.89 मीटर पर आ गया। वर्तमान जलस्तर से जयपुर और अजमेर को 31 जनवरी, 2022 तक पेयजल आपूर्ति की जा सकती है। बांध का जलस्तर मानसून से पूर्व 309.35 मीटर तक चला गया था और अब 309.89 मीटर हो गया है। यानि बांध में एक टीएमसी पानी की आवक हो चुकी है। दीक्षित ने बताया कि बांध का जलस्तर इस मानसून 312 मीटर तक भी पहुंचता है तो अगले एक साल तक जयपुर के लाखों उपभोक्ताओं की प्यास बुझाई जा सकती है।
पिछले साल 313.28 मीटर था जलस्तर
बीसलपुर में पानी की आवक की बात करें तो पिछला मानसून बांध को लबालब नहीं कर सका था। लेकिन इस बार आस जग रही है कि बांध में अच्छा पानी आ सकता है। पिछले साल एक सितंबर को बांध का जलस्तर 313.28 मीटर था, जिससे जयपुर, अजमेर और अन्य स्थानों को लगातार जलापूर्ति हो रही है। पिछले मानसून बांध में कुल 6 टीएमसी पानी की आवक ही हो सकी थी। जलदाय विभाग का मानना है कि त्रिवेणी में आगामी दिनों में पानी की आवक बढ़ेगी और ऊंचाई पर चलने के बाद बांध में तेजी से पानी की आवक होगी।
बांध पर पांच बार चली चादर
बीसलपुर बांध पर अब तक पांच पार चादर चल चुकी है। बांध का कुल जलस्तर 315.50 मीटर है। जल संसाधन विभाग की माने तो वर्ष 2004 में पहली बार चादर चली थी। उसके बाद वर्ष 2006, 2014, 2016 और वर्ष 2019 में चादर चली थी। पिछली बार चादर चलने के दौरान जल संसाधन विभाग को बांध के सभी गेट खोलने पड़े थे। करीब 20 दिन तक बांध से पानी बाहर निकालना पड़ा था।