नई शिक्षा नीति के एक साल पर प्रधानमंत्री मोदी का ऐलान
नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी मिले गुरुवार को एक साल पूरा हो गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एजुकेशन सेक्टर से जुड़े लोगों, टीचर्स और स्टूडेंट्स से सीधी बात की। इस दौरान उन्होंने दो बड़े ऐलान किए। पहला कि गांवों में भी बच्चों को प्ले स्कूल की सुविधा मिलेगी। अब तक यह कॉन्सेप्ट शहरों तक सीमित है। दूसरा कि इंजीनियरिंग के कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए टूल डेवलप किया जा चुका है। इससे इन भाषाओं के छात्रों को पढ़ाई में आसानी होगी।
प्रधानमंत्री ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एक साल पूरा होने पर सभी देशवासियों और विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि बीते एक साल में आप सभी लोगों, शिक्षकों, प्रिंसिपल और नीतिकारों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने में मेहनत की है। कोरोना के इस काल में भी लाखों नागरिकों, शिक्षकों, राज्यों से सुझाव लेकर, टास्क फोर्स बनाकर शिक्षा नीति को लागू किया जा रहा है।
मोदी के स्पीच की खास बातें…
- विद्या प्रवेश प्रोग्राम लॉन्च, गांवों तक पहुंचेंगे प्ले स्कूल
विद्या प्रवेश प्रोग्राम आज लॉन्च किया गया है। अब तक प्ले स्कूल का कॉन्सेप्ट बड़े शहरों तक सीमित है। विद्या प्रवेश के जरिए यह गांव-गांव जाएगा। ये प्रोग्राम आने वाले समय में यूनिवर्सल प्रोग्राम के तौर पर लागू होगा और राज्य भी इसे जरूरत के हिसाब से लागू करेंगे। देश के किसी भी हिस्से में अमीर हो या गरीब, उसकी पढ़ाई खेलते और हंसते हुए और आसानी से होगी। शुरुआत मुस्कान के साथ होगी तो आगे कामयाबी का रास्ता भी आसानी से पूरा होगा। इंजीनियरिंग के कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए एक टूल डेवलप किया जा चुका है। साथ ही मुझे खुशी है कि 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज 5 भारतीय भाषाओं हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी और बांग्ला में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं। - नई योजनाएं नए भारत के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी
एक साल में शिक्षा नीति को आधार बनाकर अनेक बड़े फैसले लिए गए हैं। इसी कड़ी में नई योजनाओं की शुरुआत का सौभाग्य मिला है। ये महत्वपूर्ण अवसर ऐसे समय में आया है, जब देश आजादी के 75 साल का महोत्सव बना रहा है। 15 अगस्त को हम आजादी के 75वें साल में प्रवेश करने जा रहे हैं। एक तरह से ये नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का इम्प्लिमेंटेशन आजादी के महापर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। नई योजनाएं नए भारत के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। हम कितना आगे जाएंगे, कितना ऊंचा जाएंगे, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में कैसी शिक्षा दे रहे हैं, कैसी दिशा दे रहे हैं, इसीलिए मैं मानता हूं कि भारत की नई शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ के बड़े फैक्टर में से एक है। इसे आधुनिक बनाया गया है और फ्यूचर रेडी रखा गया है। - पढ़ाई का ढंग बदला, स्टूडेंट्स ने इसे अपनाया भी
हमारे साथ मौजूद युवाओं के सपनों और उम्मीदों के बारे में पूछेंगे तो उनके मन में नयापन और नई ऊर्जा दिखाई देगी। युवा बदलाव के लिए पूरी तरह तैयार है, वो इंतजार नहीं करना चाहता है। कोरोना काल में कैसे हमारी शिक्षा व्यवस्था के सामने इतनी बड़ी चुनौती आई। पढ़ाई का ढंग बदल गया, लेकिन विद्यार्थियों ने तेजी से इस बदलाव को एडॉप्ट कर लिया है। ऑनलाइन एजुकेशन अब एक सहज चलन बन गया है। शिक्षा मंत्रालय ने भी इसके लिए प्रयास किए हैं। मंत्रालय ने दीक्षा प्लेटफॉर्म, स्वयं पोर्टल शुरू किया। छात्र पूरे देश से इनका हिस्सा बन गए। पिछले एक साल में 2300 करोड़ से ज्यादा हिट होना ये बताता है कि ये कितना उपयोगी प्रयास रहा है। आज भी हर दिन इसमें 5 करोड़ हिट हो रहे हैं। - 21वीं सदी के युवा को पुराने बंधनों से मुक्ति चाहिए
21वीं सदी का आज का युवा अपनी व्यवस्थाएं और दुनिया अपने हिसाब से बनाना चाहता है। उसे एक्सपोजर चाहिए। उसे पुराने बंधनों और पिंजरों से मुक्ति चाहिए। आज छोटे-छोटे गांवों-कस्बों से निकले युवा कैसे-कैसे कमाल कर रहे हैं। इन्हीं दूरदराज इलाकों से आने वाले युवा आज टोक्यो ओलिंपिक्स में देश का झंडा बुलंद कर रहे हैं। भारत को नई पहचान दे रहे हैं। करोड़ों युवा अलग-अलग क्षेत्रों में असाधारण काम कर रहे हैं। - आने वाले समय में परीक्षा के डर से मुक्ति मिलेगी
नई व्यवस्था में एक ही क्लास और एक ही विषय में जकड़े रहने की बाध्यता को खत्म कर दिया गया है। युवा अपनी रुचि, सुविधा से कभी भी एक स्ट्रीम को चुन सकता है और छोड़ सकता है। कोर्स सिलेक्ट करते समय ये डर नहीं रहेगा कि डिसीजन गलत हो गया तो क्या होगा। आने वाले समय में परीक्षा के डर से भी मुक्ति मिलेगी। ये डर निकलेगा तो नए इनोवेशन का दौर शुरू होगा और संभावनाएं असीम होंगी। - युवाओं को एक कदम आगे का सोचना होगा
ये माना जाता था कि अच्छी पढ़ाई के लिए विदेश जाना होगा, लेकिन विदेशों से स्टूडेंट भारत आएं, ये हम देखने जा रहे हैं। देश के डेढ़ सौ से ज्यादा विश्वविद्यालयों में ऐसी व्यवस्था की जा चुकी है। हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च में आगे बढ़ें, इसके लिए गाइडलाइन जारी की गई है। आज बन रही संभावनाओं को साकार करने के लिए हमारे युवाओं को दुनिया से एक कदम आगे बढ़ना होगा, एक कदम आगे का सोचना ही होगा। आत्म निर्भर भारत का रास्ता स्किल डेवलपमेंट और टेक्नोलॉजी से जाता है। एक साल में 1200 से ज्यादा उच्च शिक्षा संस्थानों में स्किल डेवलपमेंट से जुड़े सैकड़ों कोर्सेज को मंजूरी दी गई। बापू कहा करते थे कि राष्ट्रीय शिक्षा को सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय होने के लिए राष्ट्रीय परिस्थितियों में रिफ्लेक्ट होना चाहिए। अब हायर एजुकेशन में मीडियम ऑफ इंस्ट्रक्शन स्थानीय भाषा भी विकल्प होगी। - भारतीय साइन लैंग्वेज को सब्जेक्ट का दर्जा दिया गया
3 लाख से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें सांकेतिक भाषाओं की जरूरत होती है। इसे समझते हुए भारतीय साइन लैंग्वेज को सब्जेक्ट का दर्जा दिया गया है। छात्र इसे भाषा के तौर पर भी पढ़ पाएंगे। हमारे दिव्यांग साथियों को मदद मिलेगी। आप भी जानते हैं कि किसी भी स्टूडेंट को पूरी पढ़ाई में प्रेरणा अध्यापक से मिलती है। जो गुरु से प्राप्त नहीं हो सकता, वो कहीं भी प्राप्त नहीं हो सकता। ये हमारे यहां कहा जाता है। ऐसा कुछ भी नहीं है, जो अच्छा गुरु मिलने के बाद दुर्लभ होगा। - शिक्षकों को आधुनिक जरूरतों के हिसाब से ट्रेनिंग मिलेगी
आज लॉन्च हुआ निष्ठा 2.0 भी इस दिशा में अहम भूमिका निभाएगा। देश के शिक्षकों को आधुनिक जरूरतों के हिसाब से ट्रेनिंग मिलेगी। शिक्षकों से कहना चाहता हूं कि इन प्रयासों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें।
नई शिक्षा नीति के एक साल पूरे
29 जुलाई 2020 को इसे मंत्रिमंडल से मंजूरी मिली थी। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो रहे इस कार्यक्रम में बच्चों के लिए विद्या प्रवेश प्रोजेक्ट की शुरुआत की। यह एक प्ले-आधारित स्कूल शिक्षा मॉड्यूल है। यह ग्रेड-1 के छात्रों के लिए 3 महीने का कोर्स है। साथ ही निष्ठा 2.0 कार्यक्रम शुरू किया गया। ये NCERT का डिजाइन किया गया प्रोग्राम है, जिसे टीचर्स की ट्रेनिंग के लिए बनाया गया है।
शिक्षा पर GDP का 6% हिस्सा खर्च होगा
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी इस दौरान मौजूद रहे। पिछले साल जारी की गई शिक्षा नीति में समानता, गुणवत्ता जैसे कई मुद्दों पर ध्यान दिया गया है। सरकार ने नई शिक्षा नीति पर केंद्र और राज्य के सहयोग से जीडीपी का 6% हिस्सा खर्च करने का लक्ष्य रखा है।