किसानों को उन्नत तकनीकी से रूबरू कराने में कृषि मेले हो रहे हैं ‘मील का पत्थर’ साबित – कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री

जयपुर। कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि किसान उन्नत वैज्ञानिक तकनीक को अपनाकर उत्पादन में वृद्धि कर सकते हैं। कृषि मेले किसानों को नवीन तकनीक से रूबरू कराने में अहम योगदान देते है। राज्य में कृषकों को कृषि की उन्नत तकनीक के बारे में जागरूक करने के लिए कृषक मेलों का आयोजन ‘मील का पत्थर’ साबित होंगे। यह बात कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर और कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन संस्थान (आत्मा) के सहयोग से सोमवार को जोबनेर, जयपुर में आयोजित कृषि मेले के शुभारंभ समारोह में कही।

डॉ. मीणा ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सोच है कि देश में ऐसी योजनाएं लाई जाए जिससे हमारे किसानों की पैदावार में वृद्धि हो और कृषक आत्म निर्भर बन सके। सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं का लाभ लेकर हमारे कृषक समृद्ध बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के क्लेम वितरणों में व फसल कटाई प्रयोगों में आ रही कठिनाइयों को दूर कर किसानों को इसका पूरा-पूरा लाभ दिया जाएगा। अगर किसान की फसल में ओलावृष्टि, अतिवृष्टि या अन्य किसी प्राकृतिक आपदा से 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान हो जाता है तो उसके तुरंत गिरदावरी आदेश कराकर केंद्र व राज्य सरकार किसानों को नुकसान की भरपाई करती है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में खराबे के बाद किसानों को क्लेम में आ रही परेशानीयों को दूर कर इसका पूरा-पूरा फायदा कृषकों को दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि जो कृषक खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करते है और उसके पशु की अकाल मृत्यु हो जाती है तो उन्हें सरकार द्वारा पशु का क्लेम दिया जाता है। कृषि मंत्री ने कहा कि पहले किसानों को अनुदान का पैसा मिलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब वो पैसा सीधा कृषकों के खातों में आ रहा है। माननीय प्रधानमंत्री जी के अथक प्रयासों से हमारे रेतीले टीलों में भी फसले लहराने लगी है। आज का हमारा किसान विकसित कृषक बनकर उद्यानिकी की फसले पैदा कर आर्थिक रूप से मजबूत रहा है। यदि सभी कृषक उन्नत व वैज्ञानिक तरीके से खेती करने लग जाए तो श्री नरेंद्र मोदी जी का किसानों की आय दुगुनी करने का सपना जल्द ही पूरा हो जाएगा। कृषकों को उन्नत तकनीकी के गुर सीखाने के लिए कृषि विभाग द्वारा नीदरलैंड और डेनमार्क जैसे देशों में भेजा जाएग, जहां से किसान उन्नत तकनीक सीखकर उत्पादन में वृद्धि कर सकेंगे।

किसान आयोग के अध्यक्ष श्री सी. आर. चौधरी ने कहा कि कृषि मेलों के आयोजन से कृषक नवीन तकनीकी सीखकर अपनी पैदावार में वृद्धि कर सकते है। आज भारत दुनिया में सक्षम कृषि प्रधान देश है। उन्होंने किसानों से कहा कि वे फसलों में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग न करके जैविक उर्वरकों का उपयोग करें। क्योंकि इससे जमीन की उर्वरक क्षमता खत्म होती जा रही है। किसान उत्पादन बढ़ाए लेकिन इसके साथ गुणवत्ता का समझौता नहीं करें। भविष्य में विश्व पटल पर टिकना है तो, किसानों को उत्पादन की क्वालिटी पर ध्यान देना होगा।

शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी श्री राजन विशाल ने कहा कि किसानों को उन्नत तकनीक व उच्च गुणवत्ता युक्त बीज उपलब्ध कराने में कृषि विश्वविद्यालयों की अहम भूमिका रही है। कृषि मेले में उन्होंने राज्य में कृषि रणनीति में “4 पी”- ‘प्लानिंग’, ‘प्रोडक्शन’, ‘प्रोक्योरमेंट’ और ‘प्रोसेसिंग’ पर ध्यान केंद्रित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रत्येक उत्पाद का उत्पादन लेने के बाद प्रोसेसिंग बहुत जरूरी है बिना प्रसंस्करण के किसी भी वस्तु का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। इसके साथ ही उनकी आजीविका को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें स्थाई एवं टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि राइजिंग राजस्थान ग्लोबल समिट में कृषि क्षेत्र के 2400 एमओयू लगभग 50 हजार करोड रुपए के हुए है, जिनमें से 15 प्रतिशत तो धरातल पर आ चुके हैं। राज्य सरकार का ध्येय है कि प्रोसेसिंग का दायरा बढ़ाया जा, जिससे किसानों को अधिक से अधिक फायदा मिल सकेगा।

श्री राजन विशाल ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय बाजार की मांग के अनुसार फसलों की किस्मों को डेवलप करे, जिससे किसान इन किस्मों को अपनाकर अपने उत्पादन में वृद्धि कर सकेंगे। पुरे भारत में 42 प्रतिशत महिलाये कृषक है वही, राजस्थान में 55 प्रतिशत महिलाएं कृषक है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में 2200 करोड़ रुपये का बजट सैंक्शन किया जाना संभावित है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 35 प्रतिशत अधिक है। इससे हम अधिक कृषि योजनाओं का क्रियान्वयन कर किसानों को लाभान्वित कर सकेंगे।

मेले में आत्मा योजना अंतर्गत कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, डेयरी, व मत्स्य पालन, जैविक खेती, नवाचारी खेती तथा कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन गतिविधियों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 12 प्रगतिशील कृषकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

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