होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है, मान्यता है कि इसी दिन होलिका ने भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को मारने की कोशिश की थी लेकिन वह भगवान की कृपा से बच गया। इसके बाद से ही होलिका दहन किया जाता है।

होली हिंदू धर्म के बड़े त्योहारों में से एक है, दिवाली के बाद अगर किसी त्योहार को लेकर सुगबुगाहट रहती है तो वह होली ही है। होली के दिन हर तरफ बस रंग बिखरे रहते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग, गुलाल, अबीर आदि लगाते हैं। यह त्योहार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। होली से पहले होलिका दहन होता है।
हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के एक दिन पहले यानी होली की पूर्व संध्या पर मनाया जाता है। इसके बाद पूर्णिमा तिथि पर होली मनाई जाती है। मान्यता है कि होलिका दहन के दिन घर से नकारात्मक शक्तियां भी जलाई जाती है, इसी कारण इस दिन उबटन लगाने की परंपरा है।
कब है होलिका दहन
पंचांग के मुताबिक, इस साल फाल्गुन माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च गुरुवार सुबह 10.35 बजे होगी और समापन 14 मार्च शुक्रवार दोपहर 12.23 बजे होगा। होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा।
क्या है शुभ मूहूर्त?
इस दिन शाम को 06.57 बजे भद्रा लग रही है, जो रात 08.14 तक रहेगा, फिर भद्रा मुख 10.22 बजे शुरू होगा, जो रात 11.26 बजे खत्म होगा। ऐसे में भद्रा समय के बाद होलिका दहन किया जाता है, तो रात 11.26 बजे से लेकर 12.30 बजे तक होलिका दहन किया जा सकता है यानी होलिका दहन के लिए 1 घंटा 4 मिनट मिलेगा।