- कृषि महाविद्यालय जोबनेर और कृषि महाविद्यालय वासो के छात्रों के बीच रेडी गतिविधियों का हुआ आदान प्रदान
- भारत में 8 बाजरे की बायोफार्टिफाइड किस्मों में से दो किस्में कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर से विकसित कुलपति डॉ बलराज सिंह
- एक्सपोजर विजिट से आत्मविश्वास एवं कौशलता में होती है बढ़ोतरी –कुलपति डॉ बलराज सिंह
जोबनेर . कृषि के क्षेत्र में नवाचार की जानकारी प्राप्त करने के लिए गुजरात के कृषि महाविद्यालय वासो के 60 छात्र एवं छात्राएं श्री कर्ण नरेंद्र कृषि महाविद्यालय का भ्रमण किया, इस भ्रमण का प्रमुख उद्देश्य छात्रों को कृषि की नवीनतम तकनीकों और अनुसंधान से रूबरू होना था।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बलराज सिंह ने कृषि महाविद्यालय वासो, गुजरात से आए विद्यार्थियों को कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के इतिहास तथा अनुसंधान कार्यों से रूबरू करवाया। उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में विद्यार्थियों के लिए प्रायोगिक ज्ञान जरूरी है, डॉ बलराज सिंह ने बताया कि विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों के बीच गतिविधियों का आदान-प्रदान नई चीजें सीखने व अपनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस तरह के एक्सपोजर के माध्यम से छात्र नई चीजें, प्रौद्योगिकियां सीखते हैं और साथ ही उनका आत्मविश्वास और कौशल भी बढ़ता है। उन्होंने बताया कि पीएचडी के विद्यार्थी पहले क्रेडिट सेमिनार डिपार्टमेंट में ही आयोजित करते थे, लेकिन नई शुरुआत करते हुए एक ही प्लेटफार्म पर सभी विद्यार्थी व फैकल्टी के सदस्य गहनता से मंथन करते हैं जिससे उनके ज्ञान कौशल एवं संचार में वृद्धि होती है और इसका लाभ भविष्य में आयोजित होने वाले कंपटीशन के इंटरव्यू में होगा साथ ही
छात्रों में कॉन्फिडेंस व ज्ञान में वृद्धि होती हैं। डॉ बलराज सिंह ने विश्वविद्यालय के अनुसंधान कार्यों पर प्रकाश डाला व जोबनेर से विकसित की गई कई किस्मों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में बाजरे की 8 बायोफार्टिफाइड किस्में हैं जिसमें से दो किस्में आर एच बी 233 व आर एच बी 234 कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर से विकसित की गई हैं।
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता एवं संकाय महोदय डॉ एम आर चौधरी ने महाविद्यालय स्तर पर की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी साथ ही छात्रों से वार्तालाप की। तत्पश्चात कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के रेडी छात्रों और कृषि महाविद्यालय वासो के रेडी छात्रों के बीच गतिविधियों का आदान प्रदान हुआ जिसमें कृषि महाविद्यालय जोबनेर के रेडी छात्र प्रियांशु ने रेडी प्रोग्राम की गतिविधियों के बारे में संक्षिप्त वर्णन किया। प्रियांशु ने कहा कि रेडी के छात्र 56 दिन के विलेज अटैचमेंट कार्यक्रम के दौरान कृषि से जुड़े मॉडल, खरपतवार, बीज और उर्वरक संग्रह करते हैं और दैनिक गतिविधियों की दैनिक डायरी बनाए रखते हैं।
रेडी छात्रा सोनू और हर्षिता ने विभिन्न प्रगतिशील किसानों की सफलता की कहानियों के बारे में जानकारी दी और उन्होंने कृषि महाविद्यालय वासो के छात्रों के सामने वार्षिक रेडी एल्बम भी प्रस्तुत किया।
इसी क्रम में कृषि महाविद्यालय वासो के छात्र विवेक पटेल ने बताया कि रेडी कि इस तरह के कार्यक्रम से उनके व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ाने में बहुत मदद मिलती हैं। साथ ही कृषि महाविद्यालय जोबनेर के रेडी प्रोग्राम की गतिविधियों की सराहना की एवं उन्होंने यहां से सीखी गई गतिविधियों को अपनाने की बात कही।
डॉ मनीषा शर्मा ने कृषि महाविद्यालय वासो के विद्यार्थियों को महाविद्यालय जोबनेर की विभिन्न प्रकार की इकाईयों तथा फार्म पौंड, पोल्ट्री, डेयरी फार्म व पुस्तकालय का भी भ्रमण करवाया।
डॉ बी एस बधाला ने रेडी गतिविधियों की जानकारी दी साथ रेडी छात्रों के साथ वार्तालाप की, डॉ संतोष देवी समोता व डॉ राजेश सिंह ने बताया कार्यक्रम में कृषि महाविद्यालय वासो के 60 विद्यार्थियों के साथ कृषि महाविद्यालय जोबनेर के 36 विद्यार्थी कार्यक्रम से लाभान्वित हुए।