जयपुर. कृषि विपणन विभाग द्वारा पंत कृषि भवन में बैठक का आयोजन कर राज्य की सभी मण्डियों के प्रतिनिधि तथा आटा मिल, दाल मिल, तेल मिल व मसाला उद्योग के प्रतिनिधियों के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि 1 दिसम्बर 2024 से कृषक कल्याण फीस कृषि जिन्सों पर 1 प्रतिशत तथा फल-सब्जी पर 2 प्रतिशत प्रभावी रहेगी, परन्तु इसकी 50 प्रतिशत राशि कृषि विपणन विभाग/राज्य सरकार द्वारा वहन की जायेगी। खरीददार पर 50 पैसे का ही भार पड़ेगा, जो आज की तारीख में भी कृषि जिंसों पर 50 पैसे लागू है।
राज्य सरकार के कृषि विपणन विभाग के शासन सचिव राजन विशाल की अध्यक्षता में मीटिंग का आयोजन हुआ। जिसमें कृषि विपणन विभाग के अतिरिक्त निदेशक रवीन्द्र कुमार शर्मा, संयुक्त निदेशक संजय व्यास एवं टी.आर. मीणा, उप निदेशक श्रीमती प्रीति बैरवा मीटिंग में उपस्थित थे।
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमेन बाबूलाल गुप्ता, कार्यकारी अध्यक्ष सुरेश चन्द्र अग्रवाल, महामंत्री रिद्धकरण सेठिया, अतिरिक्त महामंत्री लक्ष्मीनारायण डंगायच, सहकोषाध्यक्ष कैलाश चन्द कायथवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रहलाद मेठी, मंत्री सत्यनारायण चितलांग्या, दाल मिलर्स संगठन मंत्री मधुसूदन गर्ग, तेल मिलर्स प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष एवं तेल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज मुरारका, मसाला प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष एवं राजस्थान मसाला उद्योग के अध्यक्ष रामावतार अग्रवाल, राजस्थान दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं संघ के अजमेर जिलाध्यक्ष विमल बड़जात्या, राजस्थान आटा रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविन्द ग्रोवर, बीकानेर संभाग के प्रभारी रतन लाल गोयल सादुलशहर, उपाध्यक्ष कुलदीप कासनियां श्रीगंगानगर, उपाध्यक्ष प्यारेलाल बंसल हनुमानगढ़जंक्शन, बीकानेर जिलाध्यक्ष जयदयाल डूडी, कोटा संभाग के उपाध्यक्ष मुकेश कुमार धाकड़ रामगंजमण्डी, संघ के भरतपुर जिलाध्यक्ष प्रकाश चन्द गुप्ता, भरतपुर संभाग उपाध्यक्ष शंकर लाल अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य योगश गोयल, जयपुर संभागीय स्थानीय उपाध्यक्ष श्यामसुन्दर नाटाणी, संगठन मंत्री प्रदीप कुमार अग्रवाल, सादुलशहर से स्वरूप जांगिड़, मुहाना मण्डी से गोविन्द चेलानी, योगेश तंवर आदि व्यापारी प्रतिनिधि मीटिंग में उपस्थित रहे।
कृषि विपणन विभाग के संयुक्त निदेशक टी.आर. मीणा ने प्रजेन्टेशन देते हुए स्पष्ट किया कि राज्य सरकार कृषि जिंसों पर कृषक कल्याण फीस 1 दिसम्बर से 1 प्रतिशत तथा फल-सब्जी पर 2 प्रतिशत प्रभावी करेगी, परन्तु इस मद में 50 प्रतिशत कृषक कल्याण फीस राज्य सरकार द्वारा वहन किया जायेगा।
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमेन बाबूलाल गुप्ता सहित उपस्थित सभी सदस्यों ने एकमत से कहा कि कृषक कल्याण फीस को समाप्त किया जाना चाहिये। यह किसान, उपभोक्ता तथा व्यापारी के हित में नहीं है और न ही इसका उपयोग इनके हित के लिये किया जाता है। राज्य सरकार अपनी अन्य योजनाएं चलाने हेतु इसका संचालन कृषक कल्याण फीस बोलकर कर रही है जो गलत है। उपस्थित सदस्यों ने यह भी सुझाव दिया कि यदि राज्य सरकार कृषक कल्याण फीस रखना चाहती है तो वह अपने नाके लगाकर कृषक कल्याण फीस एकत्रित करें। राज्य का कोई भी व्यापारी 1 दिसम्बर से कृषक कल्याण फीस संग्रहण नहीं करेगा। राज्य सरकार को 30 नवम्बर से पूर्व कृषक कल्याण फीस समाप्त करने के आदेश जारी करने चाहिये।
राज्य सरकार के शासन सचिव (कृषि) राजन विशाल ने कहा कि राज्य सरकार किसान के हित में योजनाएं चला रही है। नये उद्योगों को राहत देने के लिये कटिबद्ध है। इसलिये इस मद की आवश्यकता है। राज्य सरकार 1 दिसम्बर से खाद्यान्न पर 1 प्रतिशत एवं फल-सब्जी पर 2 प्रतिशत कृषक कल्याण फीस प्रभावी करेगी।
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमेन बाबूलाल गुप्ता ने कहा कि हम विनम्र शब्दों में सरकार से निवेदन करते हैं कि कृषि मण्डी सेस के अलावा किसान, उपभोक्ता तथा व्यापारी पर यह अतिरिक्त भार नहीं डालें। कृषक कल्याण फीस को समाप्त किया जायें, नहीं तो राज्य का व्यापारी बाध्य होकर आंदोलन के लिये तत्पर होगा। इस संबंध में 2 दिसम्बर को राजस्थान संघ की आमसभा आमंत्रित की जायेगी।