गुडामालानी. कृषि विज्ञान केंद्र गुडामालानी द्वारा बारासन गाँव में किसान चौपाल का आयोजन किया गया। जिसमे कृषि विज्ञान केंद्र गुडामालानी के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ. बी.एल. मीणा ने सभी किसानों का स्वागत करते हुए बताया कि जीरा एक प्रमुख मसाला फसल है और राजस्थान के पश्चिमी जिलों के बहुसंख्यक किसानों की आजीविका जीरे की फसल पर निर्भर करती है क्योंकि यह कम समयावधि और न्यूनतम लागत में अधिक आमदनी देने वाली फसल है। देश का कुल उत्पादन में से सर्वाधिक 80 प्रतिशत जीरा राजस्थान एवं गुजरात में उगाया जाता है।
भारत में जीरा उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान तथा उत्पादकता में गुजरात का प्रथम स्थान है जबकि राजस्थान में जीरे की औसतन उपज 380 किग्रा प्रति हेक्टर है जो कि काफी कम है। जीरे की खेती राजस्थान में मुख्यतः बाड़मेर, जालोर, जोधपुर पाली, नागौर, सिरोही, अजमेर तथा जैसलमेर जिलों में बहुतायत रूप में की जाती है।! वर्तमान समय में पश्चिमी राजस्थान में जीरे का क्षेत्रफल दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है परन्तु प्रति हेक्टेयर उत्पादन काफी कम है जिसको बढ़ाने की नितान्त आवश्यकता है। साथ ही जीरे में आ रही उकठा रोग प्रमुख समस्या है जिससे निजात पाने के लिए जीरे की वैज्ञानिक खेती करने की सलाह देते हुए बताया कि जीरे की फसल का बीज उपचार तथा जीरे में समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हुए बुवाई से पूर्व मृदा व जल परिक्षण करवाने की सलाह दी एवं अन्य तकनीकों के बारे में जानकारी दी ।
डॉ विकास कुमार ने बताया कि जीरे की फसल के मार्केटिंग और उचित प्रबंधन के बारे में किसानों को सलाह दी एवं जीरे के विभिन्न रोगों के प्रबंधन के बारे में बताया! इस दौरान डॉ विनीत वशिष्ठ ने बताया कि जीरे की फसल में उकटा बीमारी से निजात पाने के लिये बायोराज ट्राईकोडर्मा से बीज उपचारित करने के बारे में बताया। इस दौरान डॉ. प्रदीप शर्मा ने ने भी विचार व्यक्त किए इस किसान चौपाल में बारासन गाँव के प्रगतिशील किसान और महिलाओं ने भाग लिया।