राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे़ भी रहे मौजूद -राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन में विश्व शांति, अध्यात्म व ग्लोबल वार्मिंग की बात करते हुए -सभी से एक पेड़ लगाने का किया आहृान
जयपुर। राष्ट्रपति श्रीमति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को सिरोही जिले में ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में शुक्रवार को वैश्विक शिखर सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस दौरान श्रीमति मुर्मु ने अपने सम्बोधन में विश्व शांति, अध्यात्म, ग्लोबल वार्मिंग पर बात करते हुए केंद्र सरकार की योजनाओ स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन और आयुष्मान भारत योजना की सराहना भी की। इसके पूर्व सुबह मान सरोवर परिसर में उन्होंने एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत पौधारोपण कर 140 करोड़ देशवासियों से पौधारोपण का आहृान किया।
डायमंड हॉल में आध्यात्मिकता द्वारा स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज विषय पर आयोजित सम्मेलन में संबोधित करते हुए राष्ट्रपति श्रीमति द्रौपदी मुर्मु ने शांति और एकता का महत्व बताते हुए आध्यात्मिक मूल्यों को अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता का मतलब धार्मिक होना या सांसारिक कार्य का त्याग करना नहीं है। आध्यात्मिकता का अर्थ है अपने भीतर की शक्ति को पहचानकर अपने आचरण और विचारों में शुद्धता लाना। उन्होंने विचारों और कर्मों की शुद्धता की बात करते हुए इसे स्वच्छ और स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए आवश्यक बताया।
राष्ट्रपति श्रीमति मुर्मू ने ग्लोबल वार्मिंग से विश्व को बचाने के लिए पर्यावरण संरक्षण की अपील की। उन्होंने सभी से जन्म दिवस जैसे मौकों पर एक पेड़ लगाने की बात कही। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा जीवामृत और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जो कि बेहद आवश्यक है और यह स्वस्थ समाज के निर्माण में लाभकारी भी है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार देशवासियों के स्वच्छ और स्वस्थ जीवन के लिए अनेक प्रयास कर रही है। स्वच्छ भारत मिशन के हाल ही में दस वर्ष पूरे हुए हैं। इस मिशन ने समाज में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाई है। जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर में स्वच्छ जल मुहैया कराने का भी संकल्प लिया गया है उन्होंने आयुष्मान भारत के तहत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के फैसले की सराहना करते हुए बताया कि इन प्रयासों को सफल बनाने में जन भागीदारी का महत्वपूर्ण स्थान है।
कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागड़े ने भी संबोधित किया उन्होंने कहा कि अध्यात्म भारत की वह सुदृढ़ परंपरा है,जिसके जरिए जीवन की उत्कर्ष राहों का निर्माण किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि अध्यात्म जीवन की नैतिकता है। स्वच्छ और स्वस्थ जीवन की राहों का निर्माण अध्यात्म में निहित है।
श्री बागडे ने भारतीय ज्ञान परंपरा की चर्चा करते हुए अध्यात्म से जुड़े मानवीय मूल्यों की भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि अध्यात्म भारतीय जीवन का अंग है। हमारी संस्कृति में व्यक्ति की बजाय मनुष्य बनने पर जोर दिया गया है। मनुष्य बनने का अर्थ है, अपने लिए नहीं सम्पूर्ण समाज के लिए जीना। यही भारतीय संस्कृति है, जिससे स्वच्छ और स्वस्थ समाज का निर्माण किया जा सकता है।
इस दौरान पशुपालन मंत्री श्री जोराराम कुमावत, राज्य के मुख्य सचेतक श्री जोगेश्वर गर्ग,जिला प्रमुख अर्जुनराम पुरोहित,आबूरोड नगरपालिका अध्यक्ष मगनदान, जिला परिषद सदस्य कन्हैयालाल सहित अन्य उपस्थित थे।