किसान MSP को लेकर स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट को लागू करने को लेकर पिछले कई दिनों से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। सुरक्षाबल किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ रहे हैं। आंसू गैस के गोले से किसान परेशान हैं लेकिन उन्होंने इसका भी एक हल निकाल लिया है।
- किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन पर डटे हुए हैं
- इस दौरान सुरक्षाबल और किसानों के बीच झड़प भी हो रही है
- किसानों को रोकने के लिए पुलिसकर्मी आंसू गैस के गोले छोड़ रहे हैं
नई दिल्ली: पंजाब-हरियाणा सीमा पर स्थित शंभू में प्रदर्शन कर रहे किसान पुलिस की लगातार आंसू गैस छोड़ने का विरोध करने के लिए अनोखे तरीके अपना रहे हैं। बुधवार को बसंत पंचमी के दिन प्रदर्शनकारी किसानों ने पतंग उड़ाई, जो इस त्योहार का एक अनिवार्य हिस्सा है। गौरतलब है कि किसानों को रोकने के लिए पुलिस आंसू गैस के गोले छोड़कर उन्हें रोकने की कोशिश कर रही है। यही नहीं, किसानों को रोकने के लिए बॉर्डर पर बड़े-बड़े अवरोधक भी लगाए गए हैं।पुलिस की इस कार्रवाई से बचने के लिए किसान तरह-तरह के नुस्खे आजमा रहे हैं। वो पानी का छिड़काव से लेकर आंखों पर टूथपेस्ट तक लगा रहे हैं। किसान आंदोलन के कारण कई जगह बॉर्डर पर सख्ती की गई है।
प्रदर्शन स्थल पर मौजूद एक किसान गगनदीप सिंह ने कहा कि हम त्योहार मनाने के लिए पतंग लाए थे, लेकिन फिर ड्रोन आ गए। गलती से, पतंग की डोर ड्रोन के पंखे से उलझ गई, जिससे उसका उड़ना मुश्किल हो गया। हमने उसे नीचे खींचने की कोशिश की, लेकिन वो पीछे हट गया और बैरिकेड्स के दूसरी तरफ गिर गया।
टूथपेस्ट, मुल्तानी मिट्टी का लेप
प्रदर्शन स्थल पर कुछ किसानों को आंसू गैस के जलन से बचाने के लिए टूथपेस्ट की मोटी परत लगाते देखा गया। जबकि कुछ मुल्तानी मिट्टी और पानी का छिड़काव कर रहे थे। कुछ लोग धान को छानने वाली चलनी भी साथ लाए ताकि आंसू गैस से निकलने वाले धुएं की दिशा बदल सकें। प्रदर्शनकारियों में से एक अमित पुनिया ने कहा कि आंसू गैस त्वचा और आंखों को परेशान कर रहा है, असहनीय जलन पैदा कर रहा है। चूंकि कोलगेट और मुल्तानी मिट्टी ठंडक देती हैं, इसलिए हम इन्हें अपनी त्वचा को बचाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
शंभू में मौजूद दूसरे किसान मनजीत सिंह ने बताया कि कई किसानों को आंसू गैस के कारण सांस लेने में तकलीफ हो रही है। उन्होंने कहा कि कल से कुछ किसान उल्टी कर रहे हैं और हम खुद को चश्मे, मुल्तानी मिट्टी और पानी के पेस्ट के साथ-साथ चेहरे और नाक पर गीले कपड़े से बचा रहे हैं।
किसान मजदूर मोर्चा के मीडिया समन्वयक महेश चौधरी ने कहा कि आंसू गैस हमलों का मुकाबला करना असंभव है। हमारे पास इसके साधन भी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अब तक हम खुद को बचाने के लिए आंसू गैस के गोले पर गीली जूट की बोरियों का इस्तेमाल कर रहे हैं और जलन को कम करने के लिए नमक रखते हैं। इधर, बीकेयू शहीद भगत सिंह के प्रवक्ता तेजवीर सिंह ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों पर बुधवार को भी लगातार आंसू गैस छोड़ा गया।