शिव दयाल मिश्रा
जागरूक जनता के 7वें वर्ष में प्रवेश करने पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ। पाठक और अखबार का रिश्ता शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। इस रिश्ते की बुनियाद पर जागरूक जनता आज सबकी पंसद बन गया है। सप्ताह का प्रत्येक बुधवार सकारात्मक खबरों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है। जागरूक जनता क्या है, आज पाठकों को यह बताने की आवश्यक कतई नहीं है? सकारात्मक सोच के सहारे आज जागरूक जनता पाठकों का दृढ़ विश्वास बन चुका है। प्रबुद्ध पाठकों के लिए सत्य और यथार्थ के प्रतिबिम्ब के साथ अपने आप में एक दृष्टिकोण है। विश्वास व पत्रकारिता के मूल्यों की नींव पर खड़ा भवन, स्वयं में ज्ञान की विरासत भी है। सरकारें आती रहीं, जाती रहीं, अंगुलियां भी उठी। जागरूक जनता बेदाग है और रहेगा। जागरूक जनता आज प्रदेश के विकास में अहम भूमिका निभा रहा है। आज जागरूक जनता के नियत प्रकाशन समय में अगर समय की थोड़ी बहुत देरी होती भी है तो पाठकों के मैसेज और फोन मन को सुकून देते हैं। सर, आज अखबार अपडेट नहीं हुआ है। पत्रकारिता के नाम पर आज अंधी दौड़ हो रही है। यह दौड़ कहां तक होगी यह तो बता पाना मुश्किल है। हाँ इतना जरूर विश्वास के साथ कह सकते हैं कि जागरूक जनता के पाठकों के साथ-साथ अन्य भी जागरूक जनता को इस अंधी दौड़ में अखबार को कभी नहीं देखेंगे। जागरूक जनता अपनी निष्पक्ष और सारगर्भित लेखनी के लिए जाना जाता रहा है। जागरूक जनता हर मोड़ पर लोकतंत्र का प्रहरी प्रमाणित हुआ है। जागरूक जनता को अपनी पत्रकारिता के लिए अनेकों पुरुस्कार भी मिले हैं। यह जागरूक जनता की प्रतिबद्धता का ही प्रमाण है। जागरूक जनता, अतीत के मूल्यों को भी संजोए हुए है और समय के साथ भी है।
जागरूक जनता, आज हर परिवार का गौरव बन रहा है। जागरूक जनता के एक ही संस्करण ने आज प्रदेश के साथ, साथ हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात को एक माला में पिराने का कार्य किया है। जागरूक जनता आज जन-जन का प्रतिनिधि भी बन रहा है। दूर-दराज गांवों की अंधेरी दुनिया भी अब प्रकाशित हो रही है। वहां की नई पीढ़ी को मुख्य धारा से जुडऩे का, नए युग की नई तकनीक से परिचित होने का अवसर मिलने लगा है। अन्तरराष्ट्रीय सीमा हो या राजनीति का घर आंगन जागरूक जनता अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। जागरूक जनता के अनेक नियमित कॉलम आज एक मिसाल बन रहे हैं। ‘सटीकÓ कॉलम आज पाठकों के साथ-साथ राजनीतिक गलियारों में भी चर्चित हो रहा है। ‘सेल्फी विद् डॉटरÓ महिलाओं से जुड़े लेख इत्यादि खूब पसंद किए जा रहे हैं।
जागरूक जनता द्वारा पाठक के अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ सम्मान, आत्मभाव, सामाजिक सरोकार और मिट्टी से जुड़े रहने के निरन्तर प्रयास किए जा रहे है। समाचार पत्र का प्रकाशन एक पवित्र कार्य है और समाज के कामों में भी उसे भागीदारी करनी चाहिए। इस निहित उद्देश्य का जागरूक जनता भी अक्षरत पालन कर रहा है। जागरूक जनता के सामाजिक सरोकारों में ‘एक कार्यक्रम पर एक पौधाÓ और ‘बेजुबानों के लिए पानीÓ अभियान ने अपनी पहचान बनाई है। मानव संस्कृति में जिस प्रकार अहंकृति-प्रकृति-आकृति के आयाम हैं, वैसे ही जागरूक जनता के व्यक्तित्व के भी आयाम हैं-जिसमें पाठक अहंकृति (आत्मा) है, सच्चाई प्रकृति है और प्रसार की गुणवत्ता आकृति है। जागरूक जनता परिवार से जुड़े प्रत्येक सदस्य ने इसे नैसर्गिक स्वरूप देने का कार्य किया है। यही श्रम और तप की प्रकृति है। अत: श्रम और तप रूपी जागरूक जनता सदस्य और प्रकृति रूपी पाठक जागरूक जनता ही है। यही कृष्ण के ‘वसुधैव कुटु्बकम्Ó का स्वरूप है। आज यह गर्व से कहा जा सकता है कि अपने प्रकाशन काल में जागरूक जनताकर्मी जहां भी उपस्थित हैं, हमेशा जागरूक जनता के मूल्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। जागरूक जनता की अवधारणा के साथ समाज के सुख-दु:ख में अपनी महत्ती भूमिका निभा रहे हैं। इसे जागरूक जनता अखबार की अटूट कड़ी ही कहा जाएगा कि जो आज से 6 वर्ष पूर्व इस कड़ी में जुड़ा, वह आज भी जुड़ा हुआ ही है, इस प्रकाशन काल में हमे नए साथी भी मिले वे आज जागरूक जनता परिवार का अहम हिस्सा बन चुके हैं। यह करवां निरन्तर जारी है। जागरूक जनता स्पे्रषण का माध्यम है। सप्ताह भर लगातार जनता से जुड़े आयामों, संकल्पों, अनुभूतियों को जागरूक जनता टीम द्वारा संकलन करके अपने पाठकों तक पहुंचाया जा रहा है। जागरूक जनता आज स्तंभ होने के साथ सेतु का कार्य भी कर रहा है। जागरूक जनता मूल-स्वतंत्र विचारों के बल पर अपनी पहचान रखता है। जागरूक जनता ने हमेशा अच्छे का अनुसरण किया है। देश में आज कितने व्यवसाय नए पैदा हो गए जो विदेशी मूल के हैं। इनमें भारतीय संस्कृति की कहीं छाप नहीं है। जागरूक जनता कोई व्यवसाय का पर्याय नहीं बल्कि आम आदमी के बीच, उसकी जिन्दगी में भागीदारी है और उसी का प्रतिनिधि है। पाठक के स्मान में सर्वस्व त्याग को सदा तत्पर रहा है। बिना पाठकों के तो जागरूक जनता भी एक निर्जिव ही होगा। जागरूक जनता की जड़ में है स्वधर्म का बोध। शायद यही कारण है कि आज जागरूक जनता की टीम में सभी जातियां प्रतिनिधित्व कर रही है। कुछ कर जाना, कुछ दे जाना, एक वटवृक्ष की तरह सबको जोड़े रखना। आज पत्रकारिता में स्वयं की उपलब्धि से ज्यादा दूसरे की कमी को खोजा जा रहा है। व्यवसायिक होती पत्रकारिता में मूल्य गौण होता जा रहा है और कलम मूल्यवान बन रही है। पाठक और भगवान दोनों ही भाव के भूखे हैं। हम पाठकों का विश्वास बनाए रखने के लिए भगवान से यह प्रार्थना करते हैं कि हमारा विवेक कभी साथ नहीं छोड़े। हमारा लक्ष्य है पत्रकारिता के साथ-साथ जीवन मूल्यों को सार्थकता देना। हम सबको मिलकर देश का गौरव भी बढ़ाना है।
सभी का साधुवाद, धन्यवाद, जय हिन्द।