- 1- पैरालिम्पिक कमेटी ऑफ इण्डिया एवं नारायण सेवा संस्थान के सांझे में आयोजन।
- 2- इस स्पद्र्धा के विजेताओं में से चीन में 2022 में हो रहे पैरा एशियन गेेम के लिए क्वालिफाई करेंगे।
- 3- पैरा ऑलम्पियन पद्म भूषण देवेन्द्र झाझरिया एवं अर्जुन अवार्डी कृष्णा नागर करेंगे शुभारम्भ।
- 4- दृष्टि बाधित, बौद्धिक असक्षम एवं शारीरिक दिव्यांग लेंगे हिस्सा।
उदयपुर @ jagruk janta। पैरालिम्पिक कमेटी ऑफ इण्डिया एवं नारायण सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में महाराणा प्रताप खेलगांव स्थित तरण ताल परिसर में 25 से 27 मार्च तक 21वीं राष्ट्रीय पैरा स्विमिंग चैम्पियनशिप का आगाज होगा। जिसकी सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई है। इस आयोजन में देश के करीब 400 (पुरूष-महिलाएं) नामी पैरालम्पिक स्विमिंग स्टार्स हौसले के समंदर में प्रतिभा का प्रदर्शन कर अचंभित करेंगे। यह जानकारी देते हुए नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल ने बताया कि झीलों की नगरी में दूसरी बार यह चैम्पियनशिप होने जा रही है। इससे पूर्व 17वीं राष्ट्रीय पैरा तैराकी स्पद्र्धा भी नवम्बर 2017 में संस्थान ने ही आयोजित की थी। इस ऐतिहासिक आयोजन के प्रति पूर्व की ही भांति दिव्यांग पैरा तैराकों के शिरकत करने व इनके अदम्य साहस व हौसले के जुनून को देखने के लिए खेल प्रेमियों में भारी उत्साह है। इसमें राजस्थान सहित दिल्ली, चंडीगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखण्ड, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पं. बंगाल, त्रिपुरा आदि 23 राज्यों से राष्ट्रीय पैरा स्विमर्स के आने का क्रम शुरू हो गया है। शहर में पैरा तैराकों के स्वागत के लिए जगह-जगह बैनर-हार्डिंग्स लगाए गए है। रेल्वे स्टेशन, बस स्टेण्ड व एयरोड्रम पर उनकी सहायता के लिए व्हील चेयर व वाहन के साथ कार्यकत्र्ता मौजूद है। आयोजन स्थल तरणताल व तैराकों के आवास स्थल बेरियर्स फ्री रखे गए है। खिलाड़ियों के आवास स्थल एवं आयोजन स्थल (खेलगांव-तरणताल) पर जहां आवश्यक हैं, वहां रैम्प बनाए गए है।
पैरा तैराकी के इस महाकुम्भ के सफल संचालन के लिए स्वागत समिति, आवास, वाहन, भोजन, प्रोटोकोल, पेयजल, विधुत, सफाई, प्राथमिक उपचार, भ्रमण आदि उपसमितियां अपनी जिम्मेदारियां का बखूबी निर्वहन कर रही है। तरणताल के चारों और दर्शकों के लिए छाया और तैराकों के बैठने, विश्राम व भोजन आदि के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। खेलप्रमियों की सुविधा के लिए पूल साइड पर बड़ी स्क्रीन लगाई गई है, जिस पर सभी इवेंट का सजीव प्रसारण होगा। खेलगांव मैदान व तरणताल के आस-पास लाइटिंग व पार्किंग की भी खास व्यवस्था रहेगी।
पीसीआई के पैरा तैराकी चेयरमैन डाॅ. वी.के. डबास ने बताया कि 50 कोच व तकनीकी अधिकारी इस चैम्पियशनशिप में विभिन्न श्रेणियों में तैराकी स्पद्र्धाएं होगी। सीनियर वर्ग (15-17 वर्ष आयु वर्ग), सब जूनियर (12 से 14 वर्ष आयु वर्ग) तथा (एस 1-एस 10) कुल 10 वर्ग, दृष्टिबाधित श्रेणी में (एस-11-एस12) दो वर्ग होंगे जबकि मानसिक दिव्यांग श्रेणी में एस-14 वर्ग होगा। पीसीआई वल्र्ड पैरास्वीमिंग बाॅडी से मान्यता प्राप्त है। तथा पीसीआई के परिणाम अधिकृत व प्रमाणित है। चैम्पियनशिप मानक अन्र्तराष्ट्रीय तैराकी नियमों पर आधारित होगी। जिसमें सही समय व दूरी के मानक मापन के लिए ऑटोमेटिक ऑफिशिएटिंग इक्विमेंट (एवोई) का उपयोग शामिल है।
उन्होंने बताया कि इस तरह के आयोजनों से पैरा खिलाड़ियों का हौसला बढ़ता है और वे दिव्यांगता को चुनौती देते हुए अपने हौसले से जीवन को बुलन्दियों के आकाश से रूबरू करवाते है। इस आयोजन में पैरातैराकों के उत्साहवर्धन के लिए आयोजन समिति के आमंत्रण पर पैरामिम्पिक खेलों में दो स्वर्ण व एक रजत पदक विजेता देवेन्द्र झाझरिया एवं स्वर्ण पदक विजेता कृष्णा नागर आ रहे है।
श्री खेमचंद डबास मोमोरियल टीम चैम्पियनशिप ट्राॅफी उस राज्य को प्रदान की जाएगी, जो सर्वाधिक मैडल या अंक हासिल करेगा। तीनों आयु वर्ग के महिला-पुरूष वर्ग में से सर्वश्रेष्ठ तैराक भी चुने जाएंगे। स्वीमिंग कोच महेश पालीवाल ने बताया कि सभी टीमंे 23 मार्च अपराह्न तक उदयपुर पहुंच जाएगी। 24 मार्च को तरणताल परिसर में तैराकों के वर्गीकरण व वेरीफेकशन के साथ टीम प्रबंधकों, प्रशिक्षकों व अन्य ऑफिसर्स की बैठक होगी। 25 मार्च को सुबह 11.00 बजे चैम्पियनशिप का उद्घाटन देवेन्द्र झाझरिया एवं कृष्ण नागर सहित गणमान्य अतिथियों द्वारा किया जायेगा। चैम्पियनशिप का समापन समारोह 27 मार्च को 11.00 बजे होगा। संयोजक रविश कावड़िया,भगवान प्रसाद गौड़, विष्णु शर्मा हितैषी, रोहित तिवारी मौजूद रहे।
राजस्थान में तीसरी बारः
नेशनल पैरा स्वीमिंग की शुरूआत अक्टूबर 2000 में ग्वालियर (म.प्र.) से हुई। जिसमें 16 राज्यों से 152 पैरा तैराकों ने भाग लिया। 16वीं चैम्पियनशिप 2016 में जयपुर में तथा 17वीं और 21वीं उदयपुर में दूसरी बार संस्थान के तत्वावधान में हो रही है।
तैराकों को सरकारी लाभः
राष्ट्रीय स्तर के पैरा तैराकों को राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा सुविधाएं व पुरस्कार दिये जाते है। राजस्थान में नौकरी व नकद पुरस्कार, हरियाणा में 3 लाख का नकद पुरस्कार, म.प्र. में विक्रम अवार्ड के योग्य माना जाता है। कुछ राज्यों में एक या उससे अधिक मेडल प्राप्त करने वालों को सरकारी नौकरी दी जाती है।
पैरास्विमिंग में उच्च मानकः
राष्ट्रीय पैरा स्वीमिंग चैम्पियनशिप में भी अब उच्च स्तरीय मानकों पर आधारित नियम अपनाएं जाते है। पीसीआई ने भी नए मानकों का निर्धारण किया है, लेकिन कोरोना के चलते इन्हें इस वर्ष लागू नहीं किया गया। 21वीं चैम्पियनशिप पुराने मानकों पर ही आधारित होगी।
पैरालिम्पिक में पदक संख्या बढ़ीः
सन 2016 में ब्राजील में आयोजित 15वें समर पैरालिम्पिक गेम में भारत के पैरा खिलाड़ियों ने 4 पदक हासिल किए थे। जबकि 2021 में टोकियों में सम्पन्न 16वें पैरालिम्पिक गेम में भारतीय पैरा खिलाड़ियों ने 19 पदक हासिल किए। हमें उम्मीद है कि 2024 में पेरिस (फ्रांस) में होने वाले पैरालिम्पिक में भारत अपने प्रदर्शन में और अधिक सुधार करेगा। पीसीआई का मानना है कि उदयपुर में हो रही 21वीं राष्ट्रीय पैरा स्विमिंग चैम्पियनशिप में सफल होने वाले तैराक 2022 में चीन में होने वाले पैरा एशियन गेम के लिए क्वालिफाई करेंगे।
दुर्घटना ख्वाहिश ना तोड़ सकी अब्दुल की
रतलाम (मध्यप्रदेश) निवासी अब्दुल कादिर इंदौरी (15 वर्ष) 2014 में अपने दोस्तों के साथ लुका-छुपी खेल रहे थे। छुपने के लिए अब्दुल छत की तरफ दौड़कर गए लेकिन हाई टेंशन लाइन का उन्हें भान ना था। परिणाम स्वरुप वो 11 केवी करंट की चपेट में आ गए। अब्दुल के साथ खेल रहे अन्य साथियों ने दुर्घटना की जानकारी तुरंत अब्दुल के परिवार को दी। पिता हुसैन उसे अस्पताल लेकर गए। इस दुर्घटना से अब्दुल को दोनों हाथ खोने पड़े। एक दिन अब्दुल ने सोशल मीडिया पर एक तैराक को देखा जिसके दोनों हाथ नहीं थे। बालक अब्दुल उससे इतना अधिक प्रभावित हुआ कि तैराक बनने का फैसला कर लिया। रतलाम में ही एक स्विमिंग कोच ने अब्दुल की प्रतिभा देखते हुए आगे आकर हुसैन से संपर्क किया और कहा कि वह अब्दुल को निशुल्क तैराकी प्रशिक्षण देना चाहते है। तब क्या था…. जैसे बच्चे को कोच के रूप में राजा भैया भगवान के रूप में मिल गए। बालक का तैराकी प्रशिक्षण रोज होने लगा। कड़ी मेहनत और संघर्ष के बूते अब्दुल अब तक 15 वर्ष उम्र में ही राष्ट्रीय पैरालम्पिक में 8 गोल्ड और 3 सिल्वर मैडल जीत चुके हैं। नौवीं कक्षा में पढ़ रहे अब्दुल 21 वीं राष्ट्रीय पैरालंपिक में हिस्सा लेने उदयपुर आ रहे है। वह स्वयं दिव्यांगों के लिए प्रेरणास्रोत बनेंगे।
स्वप्रेरणा से लगा चुकी है मेडल्स की झड़ी देवांशी
फरीदाबाद निवासी देवांशी सतीजा जन्म से ही दाएं हाथ से दिव्यांग है। उनकी बड़ी बहन दिव्या एक तैराक है। एक बार बड़ी बहन ने स्विमिंग की स्टेट चैंपियनशिप प्रतियोगिता में भाग लिया था। तब दिव्या का खेल देखने पूरा परिवार गया। बहन का मनोबल बढ़ाने के लिए छोटी बहन देवांशी स्विमिंग पूल के पास खड़ी होकर चीख-चिल्ला उत्साह बढ़ा रही थी कि अचानक वह पानी में गिर गई। लोग सोच रहे थे कि बच्ची पानी में डूब जायेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ, देवांशी पानी में तैरती हुए स्विमिंग पूल से बाहर आ गई।
फिर क्या था देवांशी का जीवन ही बदल गया और उसने भी बहन की भांति तैराक बनने का निर्णय लिया। बड़ी बहन दिव्या ने देवांशी की प्रतिभा को देख उसे हर रोज स्विमिंग का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया। स्कूल खत्म होने के बाद देवांशी हर रोज घण्टों तक तैराकी प्रशिक्षण लेती रही। अब तक 19 वर्ष की उम्र में वह वह 50 से अधिक गोल्ड मैडल जीत चुकी है। इनमें 20 गोल्ड मैडल वह राष्ट्रीय पेरालिम्पिक में जीत चुकी है। बी. कॉम. में पढ़ने वाली देवांशी 21वीं नेशनल पैरा स्वीमिंग चैम्पियनशिप में हिस्सा लेते हुए सैकड़ों दिव्यांगों का हौसला बढ़ाने के उद्देश्य से उदयपुर पहुंची है।