जयपुर। कोरोना महामारी के बीच आज अखंड सुहाग की कामना का पर्व गणगौर परंपरागत तरीके से मनाया गया। घर पर रहकर ही आस-पड़ोस की महिलाओं ने 16 श्रृंगार कर चुनड़ी, लहरिया पहनकर पार्वती और शंकर भगवान के स्वरूप इसर-गणगौर की पूजा की। इस बार जयपुर में कई जगह होने वाले सामूहिक कार्यक्रम नहीं हुए। पिछले साल की तरह इस बार भी परंपरागत शोभा यात्रा नहीं निकाली जाएगी।
सुख-सौभाग्य, श्रेष्ठ वर की कामना के साथ कुंवारी लड़कियों, नव-विवाहिताओं और महिलाओं ने धुलंडी के दिन से होली की राख से सोलह गणगौर बनाकर पूजा शुरू करती हैं। गणगौर से पहले बुधवार को सिंजारा मनाया गया। महिलाओं ने सिंजारे की मेहंदी लगाई। नव विवाहिताओं के ससुराल से सिंजारा आया, जिसमें सुहाग का सामान, साड़ी और मिठाई आई। दूसरी तरफ कोरोना के कारण इस बार भी जयपुर में सिटी पैलेस से निकलने वाली गणगौर माता की परंपरागत सवारी आज भी नहीं निकलेगी। यह दूसरा मौका जब महामारी के कारण जयपुर स्थापना के बाद से यहीं गणगौर माता की सवारी नहीं निकलेगी। जनानी ड्योढी में ही गणगौर माता की पूजा-अर्चना कर रस्म निभाई।
मंदिरों में मनाया सिंजारा महोत्सव
बुधवार को सिंजारे पर शहर के मंदिरों में सिंजारा महोत्सव का आयोजन किया। राधा रानी को मेहंदी अर्पित की गई। कुछ मंदिरों में राधाजी के चरणों के दर्शन कराए गए। चांदनी चौक स्थित आनंद कृष्ण बिहारीजी मंदिर में पुजारी मातृप्रसाद शर्मा के सान्निध्य में सिंजारा महोत्सव पर राधा रानी के चरण दर्शन कराए। उन्होंने बताया कि राधाजी के चरणों में मेहंदी लगा कर सोलह श्रृंगार किया गया। इससे पहले पंचामृत अभिषेक किया और राधारानी को चुनरी की पोशाक धारण करवाकर घेवर, फीणी का भोग लगाया गया।
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