Women Reservation: सोनिया ने की ओबीसी आरक्षण की मांग लेकिन 2010 में अलग था मनमोहन सरकार का रुख, जानिए क्या बोले थे कानून मंत्री मोइली

Women Reservation: मार्च 2010 में महिला आरक्षण विधेयक को राज्यसभा में लाने में कामयाब रही UPA सरकार का दृष्टिकोण सोनिया गांधी की मांग से अलग था।

नई दिल्ली. लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण बिल में ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग की है। अब बीजेपी का कहना है कि जब कांग्रेस यह बिल राज्यसभा में लाई थी तब OBC आरक्षण शामिल नहीं था। अगर हम इस बिल से जुड़े इतिहास को खंगालेंगे तो जान पाएंगे कि मार्च 2010 में महिला आरक्षण विधेयक को राज्यसभा में लाने में कामयाब रही UPA सरकार का दृष्टिकोण इससे अलग था।

बिल पर क्या बोले थे कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली
राज्यसभा में पारित होने से पहले 9 मार्च, 2010 को बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए तत्कालीन कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने कहा था,”मैं ओबीसी, अल्पसंख्यकों और बाकी लोगों के लिए आरक्षण के बारे में स्पष्ट करना चाहूंगा कि आज की तारीख में हमारे पास केवल अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण है। हमारे पास पूरे देश का डेटा नहीं है क्योंकि 1931 के बाद कोई राष्ट्रीय जनगणना (जातियों के लिए) नहीं की गई है, एक राज्य में पिछड़ा वर्ग दूसरे राज्य में पिछड़ा वर्ग नहीं हो सकता है। अगर हम ओबीसी और अल्पसंख्यकों के लिए वास्तविक आरक्षण चाहते हैं तो हमें कई अन्य मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है।”

सोनिया गांधी ने लोकसभा में क्या कहा?
बुधवार को मोदी सरकार द्वारा लाए गए बिल पर बोलते हुए सोनिया गांधी ने मांग की कि तुरंत जाति जनगणना कराई जाए ताकि कानून लागू हो सके। सोनिया गांधी ने कहा, “कांग्रेस पार्टी इस विधेयक का समर्थन करती है। अगर यह विधेयक पारित हो जाता है तो हमें खुशी होगी, लेकिन, साथ ही हमें चिंताएं भी हैं। मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं कि पिछले 13 सालों से भारतीय महिलाएं अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी का इंतजार कर रही हैं, अब उन्हें कुछ और वर्षों तक इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है, ऐसा क्यों है?”

सोनिया गांधी ने आगे पूछा कि कितने वर्ष और यह अटका रहेगा? दो साल, चार साल, छह साल, आठ साल? क्या भारतीय महिलाओं के प्रति यह व्यवहार उचित है?

उन्होने आगे कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस मांग करती है कि इस विधेयक को तुरंत लागू किया जाए। इसके साथ ही, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी की महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना आयोजित की जानी चाहिए।”

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