बीकानेर@जागरूक जनता । नियमो की अगर बात करें तो वो सिर्फ आमजन पर ही लागू होते है सरकारी कर्मचारियों पर नहीं.. जी हां हम बात कर रहे है नगर निगम की जो एक तरफ नियमों का हवाला देकर गाइडलाइन की अनुपालना करने वालो पर प्रतिष्ठानों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर इनकी दुकानें सीज कर रहा है तो दूसरी और नगर निगम में अनुशासन की हदें पार की जा रही है । निगम कर्मचारी ऑफिस टाइम में कार्यालय नही पहुंचते है जिस वजह से आमजन को काफी परेशानी भुगतनी पड़ती है । क्या निगम के कर्मचारियों को नियमों की धज्जियां उड़ाने के लिए खुली छूट है ??नगर निगम में जन्म एंव मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए लोग लाइन में लगकर निगम कर्मियों का सुबह 09:45 तक इंतजार कर रहे थे जबकि इस ऑफिस में लगी तीनो कुर्सियों पर एक भी कर्मचारी नही था । जबकि निगम ने इस कार्यालय के बाहर बाकायदा एक नोटिस चस्पा कर रखा है जिसमे जन्म एंव मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए समय सुबह 9:30 से दोपहर 01:30 तक लिख रखा है । युवा व्यवसायी विकास ओझा भी इसी कतार में खड़े निगम के लापरवाह कर्मचारियों का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे । ओझा ने बताया वे जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए काफी टाइम से निगम कर्मियों का इंतजार कर रहे थे, ओझा ने गुस्सा जताते हुए कहा कि क्या नियम सिर्फ आमजन पर लागू होते ?? बता दे, महापौर शुशीला कंवर राजपुरोहित ने कर्मचारियों की लेट लतीफी को लेकर कई बार आकस्मिक चैकिंग कर लापरवाह कर्मचारियों को अनुशासनहीनता का पाठ पढ़ाया था लेकिन आदत से मजबूर निगम के कुछ चुनिंदा कर्मियों का कमोबेश यही हाल है । ऐसे में निगम प्रशासन को चाहिए कि पहले अपने कार्यकाल में नियमों का पाठ पढ़ाये और बाद में आमजन को ।