शिव दयाल मिश्रा
बरसात से पूर्व हमेशा नालों की सफाई होती आई है। मगर सफाई आधी-अधूरी ही होती है। सफाई होती भी है तो जिस किसी ठेकेदार द्वारा करवाई जाती है वह नालों से निकले हुए कचरे को काफी समय तक उठाता नहीं है। बरसात ये तो देखती नहीं कि अभी कचरा उठा नहीं है इसलिए मैं नहीं आऊं। बरसात आने लग जाती है। नाले से निकाला हुआ कचरा वापस नाले में पहुंच जाता है जिसके कारण नाला वापस अवरुद्ध हो जाता है और बरसात में पानी सड़कों पर भर जाता है। चारों तरफ पानी ही पानी नजर आता है। यहां तक कि निचली और कच्ची बस्तियों में पानी घरों में भी भर जाता है। इस समय कोरोना के चलते लॉकडाउन लगा हुआ है। सड़कें सूनी हैं। बाजार बंद हैं। लोग बेरोजगार घूम रहे हैं। ऐसे में सफाई के लिए कर्मचारी भी आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं। इसलिए निगम को इस समय नालों की सफाई का काम प्रारंभ कर देना चाहिए। ताकि समय रहते नाले भी साफ हो जाएं और कचरा भी समय से उठाया जा सकता है। अगले महीने से तो हल्की-भारी बरसात प्रारंभ ही हो जाएगी। बरसात प्रारंभ होते ही सड़कें तालाब नजर आने लगेंगी और जान-माल का जो नुकसान होगा वह अलग। अभी पिछले महीने ‘तोक तेÓ तूफान का प्रभाव प्रदेश में भी देखने को मिला था। इस तूफान के कारण कई दिनों तक हल्की और भारी बरसात प्रदेश में देखने को मिली थी। इस बरसात में सड़क पर टेलीफोन कंपनियों द्वारा लाइन बिछाते समय खोदे गए गड्ढे धंस गए जो भी अभी तक नहीं भरे गए हैं। ऐसे में सड़क सूनी रहने के कारण वाहन चालक तेजी से वाहनचलाते हैं। गड्ढे नजर नहीं आते और वे दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। ये तो शुक्र है कि अभी तक इन गड्ढों में वाहन चालक के दुर्घटनाग्रस्त होने की कोई बड़ी घटना घटित नहीं हुई। अगर इन गड्ढों को नहीं भरा गया तो कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। अभी समय है नाले और सड़कों में बने गड्ढों को दुरुस्त कर दिया जाए। वरना बरसात होने के बाद कितने ही बेकसूर लोग दुर्घटना के शिकार हो जाएंगे।
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बरसात से पूर्व नालों की सफाई का ये सही समय!
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