शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री देना नहीं, व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता बढ़ाना हो – राज्यपाल

आरटीयू के नव निर्मित प्रवेश द्वार का लोकार्पण

जयपुर /कोटा। राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री हरिभाऊ बागडे ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य महज डिग्री प्रदान करना नहीं बल्कि व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता बढ़ाना होना चाहिए। स्कूल, कॉलेज एवं विश्वविद्यालय में सिर्फ किताबी पाठ्यक्रम के आधार पर नहीं वरन् व्यावहारिक ज्ञान के आधार पर शिक्षा दी जाए ताकि व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता में वृद्धि हो सके।

श्री बागडे गुरुवार को राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के नवनिर्मित मुख्य प्रवेश द्वार के लोकार्पण समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने विश्वविद्यालय का नया प्रवेश द्वार बनने पर सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

राज्यपाल ने कहा कि किसी भी शिक्षण संस्थान का सही परिचय वहां प्रदान की जा रही शिक्षा से होता है। प्राचीन समय में गुरुकुलों में दी जाने वाली शिक्षा का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरुकुलों में विविध भाषाओं एवं विषयों की अभ्यास आधारित शिक्षा दी जाती थी। उस जमाने में डिग्री वाले इंजीनियर नहीं होते थे लेकिन वे तकनीकी दृष्टि से इतने दक्ष थे कि मजबूत इमारतें बनाते थे। वहां विद्यार्थियों की स्मरण शक्ति को बढ़ाते हुए ज्ञान दिया जाता था।

श्री बागडे ने कहा कि विकसित प्रौद्योगिकी से जीवन की जटिलताओं के समाधान में मदद मिलती है। तकनीकी शिक्षा व्यक्ति के जीवन को समृद्ध बनाते हुए उसे समाज में उच्चतम स्तर प्रदान करने का मार्ग भी प्रशस्त करती है। उन्होंने तकनीकी विश्वविद्यालयों का आव्हान किया कि वे गुणवत्तापूर्ण प्रौद्योगिकी का विकास कर विश्व में भारत को अलग पहचान दिलाएं।

राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा के साथ विद्यार्थियों के शारीरिक विकास के लिए स्कूलों में खेल मैदान अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में खेल मैदान नहीं होंगे तो बच्चों के शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न होगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों की बौद्धिक एवं शारीरिक क्षमता विकसित करने पर आधारित है।

राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. एस.के. सिंह ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय का मुख्य प्रवेश द्वार धौलपुर के लाल रंग के पत्थरों से बनाया गया है और यह राजस्थान की वास्तुकला को भी दर्शाता है। यह प्रवेश द्वार संस्थान की परम्परा एवं गरिमा के साथ आधुनिकता का भी प्रतीक है। इस प्रवेश द्वार से ज्ञान के मंदिर में प्रवेश करते हुए विद्यार्थी सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करेंगे।

लोकार्पण के बाद राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण भी किया।

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