जोधपुर। बॉलीवुड एक्टर सलमान खान ने जिस काले हिरण का शिकार किया, उसी चिंकारा की याद में जोधपुर भव्य स्मारक बनने जा रहा है। काले हिरण का स्टैच्यू बनकर तैयार हो चुका है। यह यहां के कांकाणी गांव में बनाया जा रहा है। जल्द ही हिरण का स्टैच्यू कांकाणी में स्थापित कर दिया जाएगा।
आगे बढ़ने से पहले आइये, एक नजर डाल लेते हैं फ्लैश बैक पर। बात अक्टूबर 1998 की है। जोधपुर के आसपास फिल्म ‘हम साथ-साथ हैं’ की शूटिंग हो रही थी। आरोप है कि एक्टर सलमान खान, सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली बेंद्रे, नीलम व अन्य ने घोड़ा फार्म हाउस, भवाद और कांकाणी गांव में काले हिरण का शिकार किया।
शिकार मामले में सलमान मुख्य आरोपी थे। उन्हें 20 साल जोधपुर कोर्ट के चक्कर काटने पड़े। आखिर में 5 साल की जेल की सजा हुई। फिलहाल वह जमानत पर हैं। सलमान को छोड़कर बाकी आरोपी बरी हो गए हैं।
अब उसी घटना और चिंकारा की स्मृति में यह कदम उठाया गया है। मकसद है कि लोगों में वन्यजीवों और पर्यावरण के प्रति जागरूकता आए। चिंकारा का स्टैच्यू भारी-भरकम है। लोहे और सीमेंट से बना है और वजन है करीब 800 किलो। जोधपुर के सिवांची गेट निवासी मूर्तिकार शंकर ने इसे महज 15 दिन में तैयार कर दिया। उनसे भी जानते हैं कि उन्होंने यह हूबहू आकृति कैसे तैयार की।
शंकर बताते हैं, ‘ मैंने चिंकारा की हर एंगल से फोटो जुटाई। फोटो देखकर आंगन पर चॉक से स्कैच बनाया। फिर लोहे के सरियों को जोड़ कर हिरण का पिंजर तैयार किया। पिंजर को प्लास्टिक कट्टे से बांधा। फिर उसके चारों ओर ढांचे में सीमेंट भर दी। सीमेंट सूखने पर पानी की तराई की।
हिरण की शेप देकर सीमेंट को पकाया। फिर फीनिशिंग का काम हुआ। एक बार सीमेंट से हिरण की हूबहू आकृति बनने के बाद उस पर कलर पेंट किया। मूर्ति पर सींग सीमेंट या लोहे से बनाने के बजाय असली हिरण के लगाए। जंगल में मृत हिरण के अवशेष से सींग लाकर स्टैच्यू को लगाए गए हैं।’
कांकाणी में शिकार के बाद हिरण को जहां दफनाया गया, वहीं 7 बीघा इलाके में विशाल स्मारक बनाया जा रहा है। संत-महात्मा के जैसी चिंकारा की समाधि भी होगी। वन्यजीवों खासकर हिरणों के लिए एक रेस्क्यू सेंटर भी बनाया जाएगा। यहां बीमार हिरणों का इलाज और उनकी देखभाल की जाएगी।
कांकाणी निवासी वन्यजीव प्रेमी प्रेम सारण और बुधाराम ने बताया कि मूर्ति तैयार है। एक दिन और लगेगा फीनिशिंग में। मारे गए हिरणों के सम्मान में स्मारक भी लगभग तैयार है।
हिरण शिकार मामले में विश्नोई समाज ने लंबी लड़ाई लड़ी। समाज ने ही स्मारक के लिए जमीन दी है। स्मारक का रूप देने के लिए समाज के 200 लोग जुटे। कांकाणी युवा नाम से एक ग्रुप बनाया। कांकाणी स्मारक विश्नोई समाज की परंपराओं की याद दिलाएगा।